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deepalirajmenari4573
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deepali

I'm not writer 🙃🙃

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deepali

कवि ✍️
कल्पनाओं का सरोवर
मैंने देखे है उस सरोवर में अनेकों प्रेम रूपी हंस 
 दुःख,दया, करूणा भी पनपे इस सरोवर में
फिर भी कवि ने एक नौका को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया 
जिसे पाठक ईश्वर के नाम से पुकारते हैं

©deepali #lotus
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deepali

कुछ तो नशा है इस शहर में
वरना हर कोई यहां आने को बेताब ना होता
(Udaipur)

©deepali #Udaipur #apnicityudaipur
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deepali

अगर अंत मेरा तू है 
तो फिर एक नये आरम्भ का मोह नहीं







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©deepali सत्य ही शिव है

सत्य ही शिव है

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deepali

लड़कियां
रिश्तों को बचाने के लिए
अपना प्रेम हार जाती है

©deepali #girl
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deepali

बिखरी पड़ी हूं आज मोतियों की तरह
तुम प्रेम धागा बन मुझे एक बार फिर समेट लो,,,


 कृष्ण दिवानी दीपाली

©deepali #Krishna
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deepali

अजीब सी उलझन में हूं 
कुछ रंगों में रंगी हूं 
ये कलयुगी मीरा
 फिर किसी कान्हा के 
सपने सज़ा रही है 
कहां अंत है ना जाना कहां फिर आरम्भ है 
पता नहीं ये प्रेम है 
या 
इस जोगन का अंत

©deepali #प्रेम #विरह
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deepali

मैं एक मिडिल क्लास लड़का हूं

मैं एक मिडिल क्लास लड़का हूं एक छोटी सी नौकरी से अपना घर चलाता हूं मेरे शोक 18 की उम्र तक आते-आते बदल गए। मैं घर का छोटा अब बड़े काम की तलाश में निकला हूं।

 हर एक की निगाह अब मुझे तकती है अब मेरे कंधों पर भी जिम्मेदारियों का बोझ आया। तुम तो कह गए" घर रहो" में अब भी काम की तलाश में बाहर जाता हूं मैं एक मिडिल क्लास लड़का हूं अपनों की जरूरते पुरी कर आता हूं। 

मैं एक मिडिल क्लास लड़का हूं
 कभी कभी हालातों से हार जाता हूं फिर ख्याल आता है अपनों का,,
सिसकियां रोक जिंदगी नए सिरे से शुरू कर आया हूं

©deepali #Hopeless
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deepali

आज की शाम

आज फिर खुद से जा मिली 
मंजर कुछ ऐसा था मानो दो प्रेमी वर्षों बाद एक दुजे से मिले 
दुपट्टा मेरा बार बार खुले गगन में उड़ने को बेताब था एक में थी के उसे समेटने में व्यस्त थी। लटाए सम्भाले ना सम्भल रही थी। प्रकृति की सकारात्मक ऊर्जा अपने चरम पर पहुंच चुकी थी। मैं भी इस प्रकृति को अपने शब्दों में समेटने में व्यस्त थी मेरे कानों में मंदिर की आरती सुनाई पड़ रही थी दुसरी ओर मंजिद की अज़ान(मुझे मालूम नहीं क्या कहते हैं शायद अज़ान ही कहते होंगे ब्राह्मण की लड़की जो ढहरी) पंछी आसमान में उड़ रहे थे आसमान नीला पीला प्रतित हो रहा था जैसे मानों किसी चित्रकार ने हर सकारात्मक रंग भरा हो इस प्रकृति रूपी चित्र में। मैं भी इस शाम में खो गई थी कुछ गीतों के साथ 😊❤️

©deepali

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deepali

मैं 24 सा नौजवान प्रिए
तुम हजारों की सरकारी नौकरी प्रिए
बस कुछ ऐसा ही
मुश्किल अपना मेल प्रिए

©deepali #Love
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deepali

सुनो प्रेम तुम कहां रहते हो 
कहीं तुम परमात्मा के आस पास तो नहीं
या तुम मेरे ही मन के कोने में दुबक कर बैठे हो 
कहीं तुम प्रकृति में तो विराजमान नहीं
मैं तुम्हें महसूस करना चाहती हूं 
कहीं तुम मेरे लिखे अक्षरों में तो समाहित नहीं 
तुम्हारी खोज जारी है 
आस मन में है की कही तुम्हारा पता
 नुक्कड़ पर बैठी बूढ़ी औरत को तो नहीं पता कहीं 
या गली मौहल्लों में गूंजती तुतलाती आवाज तो नहीं जानती
लोग तुम्हें किस नाम से जानते हैं ये भी मुझे मालूम नहीं 
फिर भी तुम्हारी तलाश में निकली हूं 
सुनो प्रेम तुम कहां रहते हो
मैं तुम्हें महसूस करना चाहती हूं

©deepali #vacation
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