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anupammishra0537
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Anupam Mishra

A Poetic Soul enriched with Spiritualism ढूँढते हैं हम अफसाने शब्दों के शहर में ताकि दिल की गहराईयों की तह पा समा सके आप में से किसी के दिल में।

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Anupam Mishra

ज़िंदगी की सुबह बहुत ही खूबसूरत होती है
उगते सूरज की भांति सपनो का उदय होता है,
जैसे सारे जीव जंतु अपने कार्य में रत्त हो जाते हैं
वैसे ही शरीर के सारे अंग कर्मों में संलग्न हो जाते हैं
आंखें नई दुनिया को देखती है और समझती है
कान सुनते हैं और बोलने को शब्दों की समझ देते हैं
हृदय प्रेम रस को रक्त प्रवाह के साथ संचालित करता है
और मस्तिष्क जिज्ञावश हर नई चीज को अपनाता है,
जैसे जैसे दोपहर आती है, यौवन परवान चढ़ता है
अपनी ही अग्नि में खुद मचलकर जलता जलाता है,
कभी तो बादल रूपी विकट परिस्थितियों में उलझ जाता है
और कभी उन्हें चीर कर किसी योद्धा की तरह सामने आता है,
अपने इसी जीवन काल में ये कितना कुछ सीखता सिखाता है,
कितनों को हंसाता है रुलाता है, बनाता और बिगाड़ता है,
धीरे धीरे ये अग्नि ठंड पड़ने लगती है, जैसे सांझ पड़ती है,
सपनों के रंगों को इस जगह जैसे विराम सी लग जाती है,
मन में तैरते उमंगों को जैसे अपने घोंसले की याद आती है
वो सब एक एक कर जैसे आंखों की रौशनी साथ चले जाते हैं
और ये जिस्म भी ठंडी रात के लिए तैयार हो जाता है
जिसमें इसका अंग अंग शिथिल पड़ने लग जाता है
जीवन का दिन यूं ही बनते संवरते निकल जाता है।

©Anupam Mishra #Grassland
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Anupam Mishra

इस बेजुबान मन की भला क्या बात करें
कभी तो चांद सूरज पर भी ये राज करे
सारी दुनिया को अपना गुलाम मान के चले
स्वच्छंद होकर लहरों की भांति हिलकोड़े मारे
तो कभी बंदिशों में आकर सांस तक रोक दे
रक्त के कण कण में मनहूसियत का विष भर दे
घुटन में रहकर पल भर को जीना दुभर कर दे
भीतर की चैनियत को खुद से बेखबर कर दे!

जाने कब किसको ये अपना फरिस्ता मान ले
और जाने कब उससे ही सांसों की डोर बांध ले
फिर खुद ही उससे चोट खाकर ऐसा रुख कर ले
कि उसकी एक झलक से भी बौखला जाए,
जिस आसमान के चादर में कभी चैन की नींद सोए
उसी की कड़कड़ाहट से ये छिपता छिपाता फिरे,
जिस धरती की गोद में ये सर रखकर रोए
उसी की ज्वालामुखी से घबराकर ये दूर भागे।

कोई तो इस बावरे से मन को समझावे
इसकी समझ से दुनिया न टूटे न बन पावे!
©अनुपम मिश्र

©Anupam Mishra #Morningvibes
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Anupam Mishra

Tom and Jerry
Went to the fairy
To say her sorry,
Tom fell down over Jerry
And smashed his cherry,
Jerry got angry
And pushed Tom in dairy,
Tom was still merry
Relishing fresh milk with celery.
Jerry made a discovery
Tom had a poor memory
He left Tom in the dairy
And ran fast to the fairy
But poor Tom followed Jerry

©Anupam Mishra #TomAndJerryMovie
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Anupam Mishra

क्या ही हो गया अगर दिल की बात जुबां पर आ जाए
क्या हमारी बात से आसमान धरती पे आ गिरेगा
या फिर सूरज चांद की जगह कोई और ले लेगा?
क्या समंदर का जल धरती की गोद में कहीं खो जायेगा?
जाने कैसे समझाऊं इस ढीठ दिले नादान को
कि इसके कुछ कहने या न कहने से कुछ न बदलेगा
नजरिया हर किसी का जैसा है वैसा ही रहेगा
कोई उसे समझे ऐसी उम्मीद बेबुनियाद ही होगा!
खोया है हमने बहुत, रोए हैं वर्षों अपलक हमारे नैन,
पर कोई नहीं था जो समझाता कहां मिलेगा चैन,
न जाने कितनो के आगे शीश झुका गुजारे दिन रैन
पर कहीं उस मन को ठंडक ना मिली, वो रहा बेचैन।
देर से ही पर ये इस बेजुबान को समझ में आया 
कि खुद को खुद के सिवाय और कोई भी न समझ पाया
तब स्वयं को स्वयं से प्रेम करने को उकसाया,
हारे हुए मन को प्यार से जीवन जीना सिखलाया!
आज जीवन का आधा सफ़र तय कर चुके हम
हर मोड़ पर टूटते जुड़ते हुए आगे बढ़ते रहे हम,
कइयों ने साथ देने को हाथ दिखाया जरूर
पर वो हाथ देखते देखते ही ओझल हो गए।
अब बस ये शेष ज़िंदगी है और है ये वर्तमान
जिसकी हरेक बूंद का करते हैं हम रसपान,
अब इसकी परवाह ही नहीं, कैसी होगी पहचान
कोई कहे बेशरम अधम या फिर कहे महान!
©अनुपम मिश्र

©Anupam Mishra #TakeMeToTheMoon
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Anupam Mishra

तुम हो या न हो
मैं हूं या न हूं
हम साथ हों ना हो
क्या फर्क पड़ता है?
सूरज होगा
चांद तारे होंगे
होंगी ये बहारें
बरसेंगी फुहारें!
मेरा तुम्हारा क्या
ना तो कल हमसे था
 ना ही कल हमसे होगा
बस हम हैं, तुम हो
एक समय की बात है
जो धूल में घुल जायेगा
इतिहास बनकर रह जाएगा

©Anupam Mishra #MorningTea
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Anupam Mishra

मेरे प्यारे बीते हुए लम्हें,
शुक्रगुजार हूं तुम्हारे
तुम्हारे साथ के लिए,
तुम्हारे हर रस व राग के लिए,
तुम जैसे आए पास मेरे
वैसे ही आकर चले गए,
और छोड़ गए कुछ यादें
कुछ शहद सी मीठी, 
कुछ लाल मिर्च सी तीखी,
और कुछ इमली सी खट्टी
जो कभी नमकीन पानी संग
आंखों से टपक पड़ती है
© अनुपम मिश्र

©Anupam Mishra #खत
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Anupam Mishra

मेरी सखा, मेरी सहेली
अजीब है वो अलबेली
करती है बाते ना जाने कितनी
कि भीतर का सब हो जाता खाली
हो आक्रोश या प्रेम से भरी कहानी
हर बात की लगा देती वो थाली
जब कभी उमरती भावों की घटाएं
वो बरस बरस कर रूह तक भिगो देती
और फिर सारे बांध को तोड़कर
कितने ही और चहेतों को डूबो लेती।
कभी कभी रूठ भी जाती है
बुलाने पे भी पास नहीं आती है
शायद मेरे प्रेम को आजमाती है
पर दिल की आवाज नहीं टालती है,
थिड़क थिड़क कर पन्नों पर
न जाने कितनों के मन लुभाती है
आजकल तो काफी मॉडर्न हो गई है
पेन की जगह उंगलियों को दे दी है।
©अनुपम मिश्र

©Anupam Mishra #शब्द
#freebird
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Anupam Mishra

Let the child in you prosper in wisdom
Retaining its warmth and innocence;
Let the child in you explore dreams
Retaining the love within and patience;
Let the child in you grow and develop
Retaining the curiosity and childishness.

©Anupam Mishra #ChildrensDay
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Anupam Mishra

रौशन रहे सबका घर आंगन,
तृप्त हो सबका तन व मन,
बरसता रहे सबके हृदय से प्रेम धन,
दीयों सा जलता रहे ये विश्व वन,
लहलहाता रहे इसके लौ का जीवन
पाकर विश्वास और सौहार्द का इंधन!
शुभ दीपावली
मां लक्ष्मी की आरती उतारो,
पकवान और मिष्ठान चढ़ाओ,
गाओ, नाचो खुशियां मनाओ,
दिए जलाकर जश्न मनाओ,
एक दूसरे का मुंह मीठा कराओ!

©Anupam Mishra #girl
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Anupam Mishra

नहीं बनना हमे कोई सति या सावित्री
जिसे स्त्रियां अपना आराध्य मानती हैं
जिनकी तरह जलकर भस्म होना 
वो अपनी परिणति मानती है;
नहीं देना हमे कोई भी अग्नि परीक्षा
अपनी पवित्रता के प्रमाण को
क्योंकि परिणाम की सफलता भी
हमारे परित्याग नहीं रोक सकती।
जाने कैसी थी वो पांचाली द्रौपदी
जिसे पाण्डवों ने बांट लिया अन्न की भांति,
उससे मिली क्या उनकी माता को मुक्ति
या पांच भ्रताओं को मिली तृप्ति?
पांच पतियों के साथ भी बनी रही वो सति
क्यूंकि उसे उनके रिश्तों से नहीं थी आपत्ति,
दुष्ट दुर्योधन से अपमानित होकर भी
क्यूं ना ली उसने स्वयं चण्डी की आकृति;
सम्पूर्ण महाभारत प्रतीत होता है स्त्री का वैरागी
हो वो गांधारी, कुन्ती या फिर द्रौपदी
क्यूं उन्हें अपने अस्तित्व की न थी कोई आजादी?
क्या उनमें शक्ति थी बस अपने गर्भ के रक्षा की?
क्यूं ये दोहरे नियम बने हैं स्त्रियों और पुरुषों की
पुरुष चाहे तो बेझिझक नई दुनिया बसाता जाए
पर उपेक्षिता स्त्री यदि नया जीवन जीना चाहे
तो उसे गुनहगार करार कर जलने को मजबूर किया जाए!
©अनुपम मिश्र

©Anupam Mishra #Woman
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