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bindasbanaras1248
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AJR@GHUVANSHI

"प्रिए" एकांत को पिघलाकर उसी मे व्यस्त रहता हूँ ..... इंसान हूँ ,मुरझाकर भी मस्त रहता हूँ ....

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AJR@GHUVANSHI

White ऐसे समझो प्रिए....
जब भी कोई गाड़ी बनती है, तो उसको सही प्रकार से चलाने के लिए एक पत्रिका बनती है जिसमें उस गाड़ी को चलाने के लिए सम्पूर्ण विवरण होता है....
और यह केवल एक गाड़ी ही नही वरन सभी उपयोगी वस्तुओ का विवरण उसके पत्रिका मे होता है.....
ठीक उसी प्रकार जीवन की भी एक पत्रिका होती है,
जिसमे सब निहित है कि किस प्रकार मनुष्य को क्या करना है ,और कब करना है.....
लेकिन मनुष्य की तो आदत है पत्रिका "न" पढ़ने की और जब फसते है तो पत्रिका ढूंढते है....
अर्थात.
पत्रिका पढ़ो क्योंकि उपकरण आप बनाए नही, लेकिन जिसने उपकरण बनाया उपयोग करने का विवरण भी दिया जो पत्रिका मे है ,ठीक उसी प्रकार जन्म तो स्वयं हुआ नही लेकिन क्या ,कब करना है ,पत्रिका मे है .....
अगर यदि पत्रिका का प्रयोग नही करोगे तो थोड़े दुर चलने के बाद गैराज मे ही मिलोगे....

©AJR@GHUVANSHI
  #love_shayari #Ja #priyankadwivedi #mahadev
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AJR@GHUVANSHI

प्रिए....
जिस तरह किसी को पूरणतयाः जानने के लिए,
जन्मांक और वास्तु कि आवश्यकता होती है....
और ए तब फलित होगा जब अनुकूल दशा होगी...
ठीक उसी प्रकार जीवनसाथी के साथ, 
जीवन जीने के लिए विनम्रता और प्रेम 
दोनो आवश्यक है....
और ए तब फलित होगा ,
जब समर्पण की दशा होगी...

©AJR@GHUVANSHI
  #mahadev #Vastu #kunduji #SUMAN
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AJR@GHUVANSHI

प्रिए....
पूजा कोई भी हो शुरूआत सर्वदा श्रीगणेश से ही होती है,
सम्पन्न सर्वदा महादेव पर होता है..
ठीक उसी प्रकार मनुष्य का जन्म चक्र 
केतु से प्रारंभ होकर राहू पर समाप्त होता है....
क्योंकि जब ए देव देते है तो उसकी सीमा नही होती
बाकी सबकी सीमाए है!
 प्रिए.....

©AJR@GHUVANSHI
  #mahadev
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AJR@GHUVANSHI

प्रिए....
जल नभ से गिरे या नयन से...... !
किसी को अनुवाद की आवश्यकता नही होती......


यदि समझना हि है तो,
दो बूँदो के समयान्तराल को समझो...

©jagat Raghuvanshi 
  #akanksha #Pr
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AJR@GHUVANSHI

"आप इतनी प्यारी क्यों हो,
प्रिए....
जगत में पूर्णतम क्यों हो,
प्रिए....
मिलकर जब साथ होते है! तब भी उदासी आती है...
तो बगैर आपके जीवन क्यों जिए,
प्रिए"....

©jagat Raghuvanshi 
  #  Priye# shayari

# Priye# shayari #Quotes


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