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गौरव 'हिन्दुस्तानी'

मैं वो पागल हूँ जो एहसासों को शब्दों में पिरोता हूँ। शायर, ग़ज़लकार।

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गौरव 'हिन्दुस्तानी'

यही तमन्ना थी दिल में मेरे, सफ़र की तुम हमसफ़र बनो बस,
इसी तवक़्क़ो पे यार मैं तो, ख़ुदा कसम आज मर गया हूँ।
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गौरव 'हिन्दुस्तानी'

न अब मुहब्बत की बात करना कि इक दफ़ा में ही डर गया हूँ।
मैं तुझको पाने की चाह में तो, शहर-शहर, दर ब दर गया हूँ।

© गौरव 'हिन्दुस्तानी' #मुहब्बत #डर #चाह #शहर #दर_ब_दर
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गौरव 'हिन्दुस्तानी'

देखें थे जो ख़्वाब, अधूरे छोड़ दूँ क्या ?
अपने हाथों से अपने सपने तोड़ दूँ क्या ?
उसको जाना है तो वो बेशक चली जाए- 
उसकी खुशी के लिए मैं रास्ते मोड़ दूँ क्या ?

     © गौरव 'हिन्दुस्तानी' #ख़्वाब #सपने #रास्ते #खुशी
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गौरव 'हिन्दुस्तानी'

क्या बताएं हम तुम्हें कैसा फ़साना हो गया।
देश ये शतरंज का बस इक खिलौना हो गया। #फ़साना #देश #शतरंज #खिलौना
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गौरव 'हिन्दुस्तानी'

बाद मरने के, मुझे घर पर बुलाने वो गए।
रूह को कुछ इस तरह मेरी सताने वो गए।

✒️ गौरव 'हिन्दुस्तानी' #घर #सताने #रूह #मरने
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गौरव 'हिन्दुस्तानी'

उदर की तालाबन्दी

रात के तकरीबन 3 बज रहे होंगे कि अचानक पेट की पीड़ा से आँख खुल गयी। पीड़ा भी ऐसी कि किसी तरह लुंगी सम्भालते हुए गुसलख़ाने की तरफ भागा। 15 मिनट तक गुसलख़ाने में मेहनत करने के बाद जब बाहर आये, तब भी दर्द में कोई फ़र्क नहीं पड़ा। घर मे दर्द की पड़ी दवाईयाँ भी खा लिए लेकिन दर्द ऐसे कुंडली मार कर बैठा था जैसे उसका स्थायी पता यही हो। दर्द के इस आलम में बरबस ही मुँह से निकल पड़ा "साला ये कौन सी मुसीबत आन पड़ी।"
तभी आकाशवाणी की तरह ही उदरवाणी हुई, कुछ गड़-गड़ाहट, कुछ फुस्सा-फुसी और कुछ परपराहट के बाद एक स्पष्ट आवाज़ कानों में आयी....

उदरवाणी- "बस चंद मिनटों की पीड़ा तुम्हें मुसीबत लगने लगी और मुझे जो पिछले 16 दिनों से लगातार पीड़ा दे रहे हो उसका क्या ?"
 मैं- "मैंने कौन सी पीड़ा दी तुम्हें ?"
उदरवाणी- "पापी एक तो पाप करते हो और अब अन्जान बन रहे हो"
मैं- "पाप ? मैंने कौन सा पाप किया ?"
उदरवाणी- पिछले 16 दिनों से बैठे बैठे जो घास फूस मुझमें भर रहे हो, वो पाप नहीं तो क्या है ?
मैं-  "भाई वो तो शुद्ध सात्विक भोजन है।"
उदरवाणी- "भाई मत बोल, भाई बोलने का हक़ खो दिया तूने और क्या शुद्ध सात्विक भोजन बे साले। बड़ा संत बन रहा है तू ? उतने दिनों से जो लज़ीज़ माँस और अमृत समान मदिरा का सेवन करा रहा था क्या वो पाप था चू..."
मैं- (बीच में रोकते हुए) "ओये अपशब्द मत बोल।"
उदरवाणी- "अबे चुप चूड़ा के छटे हुए कचड़े, ये बता मेरी ख़ुराक मुझे देता है या बढ़ाऊँ अपना टॉर्चर?"
मैं- "अरे यार इस तालाबंदी में मैं तेरी ख़ुराक कहाँ से लाऊँ ?"
उदरवाणी- "साले आम के अचार के गुठली ये भी मैं ही बताऊँ ? मुझे इनकी आदत लगाने से पहले सोचना था तुम्हें।"
मैं- "अरे यार गलती हो गयी मुझसे, आगे से ध्यान रखूँगा। लेकिन अभी मुझे इस पीड़ा से मुक्त कर दे मुझसे सहन नहीं हो रहा।"
उदरवाणी- "सुन बे चिमण्डी से शक्ल के मेरा ख़ुराक मुझे दे वर्ना वो हश्र करूँगा कि उदर की तालाबंदी करना भूल जाएगा।"
........और तभी एक जोर के गड़-गड़ाहट, कुछ फुस्सा-फुसी और कुछ परपराहट के साथ मेरी आँखें खुल गयी और मैं भागता हुआ गुसलख़ाने में घुसा।

✒️गौरव 'हिन्दुस्तानी' #उदर #तालाबन्दी #हास्य_व्यंग्य
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गौरव 'हिन्दुस्तानी'

Alone  है रूहानी इश्क़ मेरा, एहसास-ओ-एतबार किसे होगा।
सूरत पर सब मरते हैं, मुझसे भला प्यार किसे होगा। #एहसास #प्यार #एतबार
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गौरव 'हिन्दुस्तानी'

कुछ ग़म हमने शौक़ से पाले हैं।
कुछ उनकी निगाहों में ताले हैं।

मुहब्बत का इनाम कैसे दिखाएं,
सीने में दिल और दिल पे छाले हैं।

© गौरव 'हिन्दुस्तानी' #ग़म #निगाहें #मुहब्बत #दिल #दर्द_भरी_शायरी
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गौरव 'हिन्दुस्तानी'

कौन आवाम-ए-शहर को दे गया ज़हराब ये,
अब तो' इन्दौरी का लगता ही नहीं है ये शहर।

© गौरव 'हिन्दुस्तानी' #ज़हराब #शहर #इंदौरी #आवाम
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गौरव 'हिन्दुस्तानी'

एक लहर उधर है, एक तपिश इधर है।
मैं इश्क़ का रेत हूँ, वो हुस्न का समन्दर है। #रेत #समन्दर #तपिश
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