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Best रूह Shayari, Status, Quotes, Stories

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Rashmi Vats

Kalpana Srivastava

#रूह लव स्टेटस लव कोट्स शायरी लव लव शायरियां लव कोट्स LiteraryLion Poonam महज़ विचित्र शायर

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White कुछ खुसफहमियां हमने भी पाल ली थी
कि उसे मेरी परवाह है..
दूर जाने पर पता चला 
उसे तो सिर्फ मुझसे मेरे रुपयों की दरकार थी..
पास आकर प्यार जताना तो
बस एक बहाना थ उसका ..
उसे जिस्म की तो मैं उसके
रूह की तलबगार थी।

©Kalpana Srivastava #रूह  लव स्टेटस लव कोट्स शायरी लव लव शायरियां लव कोट्स LiteraryLion  Poonam  महज़  विचित्र शायर

'मनु' poetry -ek-khayaal

#Emotional Love Life #Poetry #शायरी Shayari #रूह #Soul

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paras Dlonelystar

Adv.Pramod@Basti

#रूहों का ये #किस्सा है दो #रूह ओं का ये #रिश्ता है

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बेजुबान शायर shivkumar

#sad_shayari #SAD अगर सच मे समझते हो तो , आज से मेरी #ख़ामोशी समझना । आज से हम कुछ नहीं कहेंगे,

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Shubham Bhardwaj

aaj_ki_peshkash

#संगीत की #धुन से #जीवन को #साज़ करें, #दिल की गहराईयों में छू जाए वो तार बसाएं। #दर्द को आहटों में पिघलाए, संगीत ही है जो #रूह को #सुकून दिलाए।"

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Madhur Nayan Mishra

Rabindra Kumar Ram

*** ग़ज़ल *** *** करें तो क्या करें *** " दिल गवारा ना करें तो क्या करें , तेरे बगैर फिर गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते में ज़िक्र तेरा आज भी हैं , अब तेरा महज ज़िक्र भी ना करें तो क्या करें , मिलना तो मुकम्बल हुआ ही नहीं ,

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*** ग़ज़ल *** 
*** करें तो क्या करें ***

" दिल गवारा ना करें तो क्या करें ,
तेरे बगैर फिर गुजारा ना करें तो क्या करें ,
उल्फते-ए-हयाते  में ज़िक्र तेरा आज भी हैं ,
अब तेरा महज ज़िक्र भी ना करें तो क्या करें ,
मिलना तो मुकम्बल हुआ ही नहीं ,
तेरे हिज़्र में दिन और रात का गुजारा ना करें तो क्या करें ,
उल्फते-ए-हयाते ज़िक्र तेरा आज भी हैं ,
ऐसे भी इस रुसवाई में ना जिये भला तो क्या करें ,
मलाल हैं अब तेरे बाद मलाल अब कुछ भी ना रह जायेगा ,
तिश्नगी हैं अब मलाल कुछ भी तेरे बगैर मलाल कुछ भी नहीं रह जायेगा ,
रूह-ए-ख़्वाबीदा हूं जाने कब से इस उल्फत में तुझे मेरा ख्याल जाने कब आयेगा . " 

                         --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** 
*** करें तो क्या करें ***

" दिल गवारा ना करें तो क्या करें ,
तेरे बगैर फिर गुजारा ना करें तो क्या करें ,
उल्फते-ए-हयाते  में ज़िक्र तेरा आज भी हैं ,
अब तेरा महज ज़िक्र भी ना करें तो क्या करें ,
मिलना तो मुकम्बल हुआ ही नहीं ,
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