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monikasharma5188
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Monika Sharma

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Monika Sharma

 सिमट जाते हो तुम अपने आप में
जैसे घड़े में पानी सिमटता है
मैं बिखर जाती हूँ इस तरह
 जैसे अंबर से पानी बरसता है
आओ! 
एक साथ नदी की तरह बहते हैं
एक दूजे के साथ ,एक दूजे में रहते हैं।
।।श्रीहरि कृपा।।

©Monika  Sharma
  #loversday हमारा साथ

#loversday हमारा साथ #कविता

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Monika Sharma

unconditional love

unconditional love #शायरी

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Monika Sharma

# Hope बाक़ी है

# Hope बाक़ी है #शायरी

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Monika Sharma

#Hope बाक़ी है

#Hope बाक़ी है #शायरी

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Monika Sharma

राम और जानकी के हृदय की व्यथा

राम और जानकी के हृदय की व्यथा #कविता

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Monika Sharma

कविवर श्री गोपाल दास 'नीरज' के जन्मदिवस पर इस 'प्रेम पथिक' का पुण्यस्मरण। मेरा ये गीतांश आपको समर्पित कविश्रेष्ठ!
      दर्द अपना सह लिया ओ दर्द उसका ले लिया 
     आप ही कहें भला कि हमने क्या ग़लत किया।
सरफिरी सी इक नदी, बँटी-बँटी, डरी -डरी
सेहराओं की सीप में भी नेह से भरी- भरी।
     कश्तियों को थामकर तूफ़ाँ को अपने नाम कर
     गिरने और संभलने को ही कर्म अपना मान कर।
हाथ उसके हाथ में दरिया का, जल को खल गया। 
आप ही कहें भला कि हमने क्या ग़लत किया....
श्रीहरि कृपा

©Monika  Sharma
  #PhisaltaSamay समर्पण

#PhisaltaSamay समर्पण #कविता

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Monika Sharma

तुम मात- पिता गुरु प्राण सखा
तुम ही मेरे जीवन धन हो।
तुम श्रद्धा मेरी भक्ति मेरी
तुम ही मेरा निश्चल मन हो।।
।।श्रीहरि कृपा।।

©Monika  Sharma
  #umeedein जीवन धन

#umeedein जीवन धन #कविता

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Monika Sharma

मेरी लिखी सबसे खूबसूरत कविता का अंश

न किस्सा कोई पुराना था
न यादें कोई पुरानी थी।
कुछ वो मेरा दीवाना था
कुछ मैं उसकी दीवानी थी। 

श्रीहरि कृपा
मोनिका शर्म

©Monika  Sharma
  #lalishq किस्सा

#lalishq किस्सा #कविता

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Monika Sharma

मेरी आज की ग़ज़ल के चंद अशआर.....

हमने दिल में यार ठिकाना रखा है
ख़ुश रहने का एक बहाना रखा है।

जब जी चाहे हमसे मिलने आ जाए
घर दुश्मन के आना -जाना रखा है।

ऐसे ही तो कहते कोई बात नहीं
दिल में हमने एक ज़माना रखा है।

सिवा प्रेम के और न कुछ भी पास रखा
नए-पुराने यारों से भी याराना रखा है।

प्यार, मुहब्ब्त कल को हमीं पढ़ाते हैं
नए तौर- तरीकों में सबक पुराना रखा है।

श्रीहरि कृपा
मोनिका शर्म

©Monika  Sharma
  #Exploration सहेजना और संभालना

#Exploration सहेजना और संभालना #शायरी

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Monika Sharma

पाँव काँटों पर चले 
अंगार सीने में जले हैं।

यथार्थ के रण क्षेत्र में
स्वप्न आँखों में पले हैं।

कंटकों के जाल से भी
फूल कुछ अनगिन चुनें हैं।

बिजलियों की रार में भी
दीप आशा के जले हैं।

श्रीहरि कृपा
मोनिका शर्

©Monika  Sharma #Parchhai यथार्थ

#Parchhai यथार्थ #कविता

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