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Kamlesh Kumar

I'm an theatre artist and writer.

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Kamlesh Kumar

रिश्तेदार जाते हुए मेरे भाई को पैसे ना दे जाए।

©Kamlesh Kumar
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Kamlesh Kumar

फूल भी हमें अब कांटो से चुभते है,
जिन पर लिखा, तेरा नाम हुआ करता था,

मैंने वो सारे खत फाड़ दिए,
जिन पर लिखा, तेरा नाम हुआ करता था,

तेरा नाम मिटाना मेरा ज़ुल्म हो गया,

हम मिटा ना पाए उस दिल को,
जिस पर लिखा, तेरा नाम हुआ करता था!!

©Kamlesh Kumar
  क्या ज़ुल्म था मेरा??

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Kamlesh Kumar

इन आंखों में समंदर सी नमी है,
जिसमे डूबता हर एक गम है मेरा,
खोने को खुदा भी नही मेरे पास,
बस तुझे दूरी का एक गम है मेरा!

©Kamlesh Kumar
  अनसुने किस्से का एक हिस्सा!

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Kamlesh Kumar

हुं मैं भी एक इंसा!

ख़ुदा के इस जहां ने, हमें भी इंसाँ बख्शा है…
क्या इंसाँ ने भी हमें, इंसाँ बख्शा है…

रूप अनोखा नहीं,
रहता हूं, मैं भी तो यहां…
ख़्वाब अनोखे नहीं,
हूं मैं भी तो, एक इंसाँ…

आसमां को यूहीं मैं, देखता रहूं,
खुद को मैं खुद में यूहीं, खोजता रहूं...
मांगा नहीं था, मैंने ये जहां…
रूप अनोखा नहीं, हूं मैं भी तो, एक इंसाँ

अलग - अलग है, नाम मेरे
पहचान मेरी है, अलग - अलग
खो गया हूं, मैं तो यहां…
ख्वाब अनोखे नहीं, रहता हूं, मैं भी तो यहां

क्यों तू मुझे, अपनाता नहीं
डरता है मुझसे क्यों, क्या मैं इंसाँ नहीं
ठुकराया है मुझको अब जो, जाऊं कहां…
रूप अनोखा नहीं, हूं मैं भी, एक इंसाँ

अलग - अलग है, जिस्म मेरे
रूह तो नहीं है, अलग अलग
ढूंढूं, अपने जैसा कहां…
ख्वाब अनोखे नहीं, है घर, मेरा भी यहां

रूप अनोखा नहीं,
रहता हूं, मैं भी तो यहां…
ख़्वाब अनोखे नहीं,
हूं मैं भी, एक इंसाँ…

©Kamlesh Kumar TTA - 3rd year
  #KavyanjaliAntaragni21


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