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Ankit Tiwari

रूहानी नदी

इक नदी की कहानी है
जो हमें आपको सुनानी है
नदी कितनी रूहानी है ये बताऊंगा 
ज़िन्दगी है बसी उसके किनारे पर ये भी दिखाऊंगा
नदी का पानी कुछ इतना साफ है 
मैं उसमें चेहरा अपना देखूं 
ऐसा लगे उसमे पड़ा आफ़ताब है
मेरा अधूरा चांद भी उसमें दिखता है
चिंता मत कर मैं ज़रूर होऊंगा मुकम्मल 
वो हंसकर मुझसे अक्सर कहता रहता है ।

वो नदी जिसकी रवानी की तरफ़ ध्यान गया ही नहीं
वो नदी जिसकी ख्वाहिश क्या ,पूछा ही नहीं 
वो नदी जिसमें खुदा भी बैठने को बेताब सा है
वो नदी वो दरिया और कुछ है ही नहीं 
सच मानो यारो वो आंचल मेरी माँ का है

याद करो जो मैने अपना अक्स नदी में देखा है
तू सूरज है सब छोटे सब खोटे तेरे आगे 
मेरी माँ का आंचल मुझसे कहता रहता है
याद करो जो मैने अपना अधूरा चांद नदी में देखा है
वो चांद मेरा ख्वाब है जिसके मुकम्मली के वास्ते
मेरी माँ का आंचल दर-ए-खुदा पे अक्सर फैला रहता है

कभी पूँछू ख्वाहिश माँ की उसका हाथ पकड़ के
लेकिन एक प्रश्न रोक लेता है मुझको ये कह के
माँ अपने जीवन से ऐसा क्या पाती है
कि कहती है की धन्य हुई मैं माँ बनके ??

अब चलो उस नदी में दो फूल प्रेम के डाले हम
माँ तुम सबसे अच्छी हो इक पन्ने पर लिखकर नदी में डालें हम।।

©Ankit Tiwari #KavyanjaliAntaragni21

Diwakar Pandey

उम्मीद सासों में ,
हो जज़्बा बातो में
धड़कते सीने में अपने खुदा रखना

कुछ नही होगा
सब सही होगा
बस चलने वालो होंसला रखना

ये मिजाज़ -ए- वक्त , ये मौसम -ए- वबा
हाँ ये बुरा हो रहा है अब की मर्तबा

पर सोंचो पतझड़ के आने से कब उपवन घबराता है
क्या कुछ फूलों के मुरझाने से जंगल ही मर जाता है
 खूब ताक़त है वक्त में मगर, ये भी आदत है इसकी
गुज़रता है ये धीरे धीरे और एक दिन गुज़र जाता हैं।

क्यो डरते हो क्या लगता है ये वक्त यही रुक जाएगा
ये रुकना भी चाहे ,तो इसको रुकना कौन सिखाएगा

 ये तो खूब हुआ कि इंसा थोड़ा काबिल है
वरना पूछो चिड़िया से कितना मुश्किल है

तेज़ हवाओ में ,
बारिश की राहो में
तिनके से बना एक घोंसला रखना

ये वक्त भी बीतेगा ,
आदमी ही जीतेगा
चांद पर जा कर आने वालों वालों होंसला रखना (1)

मुश्किले भी मिलती है अगर तो बेवजह नही मिलती
खुशनसीबो को भी खुशियां हर जगह नहीं मिलती
ओ घबराने वालो, हर बात पे मुह लटकाने वालो
कोई ऐसी रात बता दो जिसके बाद सुबह नही मिलती

वज़ीर है जो शतरंज का, प्यादे की तरह कहाँ रोता है
पहले जाओ जाकर पूछो किसी चींटी से क्या होता है

 ऊपर से गिरकर फिर से ऊपर जाने का
मुश्किल की आंखों को आंख दिखाने का
जारी ये सिलसिला रखना

सूरज भी नज़र आएगा
ये अंधेरा भी मर जायेगा
इतनी दूर तक आने वालों...हौसला रखना। (2)

©Diwakar Pandey #KavyanjaliAntaragni21

#doubleface

Alfisha Qureshi

Tanya Sharma

पंचतत्व

बना यह ब्रह्मांड बने हैं हम,
पंचमहाभूत से बना है यह संसार,
जल वायु पृथ्वी अग्नि आकाश से,
जुड़ी है यह दुनिया हमारी,
समाया जिसमें पांच तत्व बन गया वह उत्तम प्राणी।

धरा जिसमें है संसार समाया,
सिखाया जिसने धैर्य संतुष्टि सहनशीलता,
 और इसी ने ही सिखाया दुर्जन से लड़ना,
प्रकृति की सुंदरता, पृथ्वी की गहराई,
जानू बहतर समझू खुलकर,
क्योंकि पूर्णता ही है इसमें समाई।

पवन की शीतलता, हवा का झोंका,
प्यार का साया और मंकी मधुरिता।
ताजगी इसकी एसी, हिला दे दुश्मन की तलवार भी,
ना इस जैसा कोई है, ना कोई होगा
खोले मन के द्वार, दिला दे पलों की याद,
यह ठंडी पवन की है एहसास,
कुछ इस तरह चलती है हवा की पूरी बात।

शांति का प्रतीक है, तो बनता तूफान भी है,
जीवन की डोर है, तो मौत का साया भी है,
कुछ ऐसी कहानी पानी तुम्हारी है,
हर राह में तुम्हें अलग पाना,
साथ बहे तुम्हारे, या रह जाए नदी किनारे,
सिमटा जगत तुम्हारे अंदर,
कुछ हमें समेट लो, जल तुम्हारे अंदर,
जब नहीं रहा जाता इस बेबस दुनिया में,
तो चलो ले चलो अब गंगा किनारे।

जलती है, तपती है,
 धूप को खुद अपना अस्तित्व देती है,
 जीवन की शुरुआत भी यही है, तो अंत भी यही है,
 जंग भी यही है, तो ज़िन्दगी की रीत भी यही है,
 कुछ ऐसी बात अग्नि तुमहरी है 
 
 
 सपनो की बुलंदी है यह आसमान,
सीमाओं को तोड़ने का है साहस,
बादलों से खेलने की ताकत, ऊंची उड़ान भरने के ख्वाब,
दिलों में जिंदा रहने की आस, कुछ ऐसी बात है आसमान तुम्हारे साथ।
।।की पंचभूत का बना है यह ब्रह्मांड तो बने हैं हम।।

©Tanya Sharma #KavyanjaliAntaragni21 #nature 

#Hope

KuNNu

अम्बर मेंअंधेरा छाया,
 रणभूमम भी घबराई हैं।
 गुरु द्रोण नेरचा चक्रभ्यु
 सामत पांडवों पेआई हैं।
*.शकु नन केपाशों ने
 निर पांडवो को िसाया हैं।
 निगता सेकरा आक्रमण,
 रण सेदूर भगाया हैं।
*. नवकट पररस्थिनत मेंहैंधममराज,
 सेना भी घबराई हैं
 साथी भी हैंनवचलीत
 येचक्रभ्युनवध्वंस मचानेआई है।
*.परेशान ना हो तात,एक युवा योद्धा नेनहम्मत दिखलाई है।
 चक्रभ्युमेंअंिर जानेकी शशक्षा ,
 नपता अजुमन मुझेमााँकी कोख मेंशशखाई है।
*. आज्ञा िेमुझेकरोवों की युस्थतत,
 नविल कर आऊं गा ।
 आप सब मेरेनपछेआना ,
 मागममैंबनाऊं गा ।
*. चला अभभमन्यु धहाड़ कर ,
 युद्ध संख बजया है।
 छू ट गए सारेसाथी पीछे,
 जयद्रथ नेमहािेव का वरिान पाया है!
*.लौट आओ वापस पुि,
 धममराज नेपुकार लगाया है!
 तुम्हेमार डालनेकी योजना,
 इन पानपयों नेबनाया है।.

©KuNNu #KavyanjaliAntaragni21

Kamlesh Kumar

Piyush Kumar

हिमालय से फूटी नदियां
नदियों से धाराएं
धाराओं से विचार
विचारों से कविताएं
और कविताओं से मैं।

सूर्य से फूटी किरणें
किरणों से यात्राएं
यात्राओं से अनूभूति
अनूभूतियों से कविताएं
और कविताओं से मैं।

कलियों से फूटे फूल
फूलों से छंद
छंदों से उन्मुक्तता
उन्मुक्तता से कविताएं 
और कविताओं से मैं।

अंबर से फूटे बादल
बादलों से वसंत
वसंत से सौन्दर्य
सौन्दर्य से कविताएं
और कविताओं से मैं।

संगीत से फूटे स्वर
स्वरों से धुन
धुनो से चैतन्य
चैतन्य से कविताएं
और कविताओं से मैं।

आलिंगन से फूटे नयन
नयनों से विश्वास
विश्वास से मानव बोध
मानव बोध से कविताएं 
और कविताओं से मैं।

मसि से फूटे वर्ण
वर्णों से प्रतिबिंब 
प्रतिबिंबो से आत्मीयता
आत्मीयता से कविताएं
और कविताओं से मैं।

प्रकृति से फूटा श्वास
श्वास से जीवन
जीवन से काल
काल से कविताएं
और कविताओं से मैं।

इन सभी प्राकृतिक इन्द्रियों
 से जन्मा नन्हा शिशु
जिसके कंठ से फूटी ध्वनि
उस ध्वनि से कविता और
कविताओं से सृष्टि।
                 --पियूष

©Piyush Kumar #kavyanjaliAntaragni21

Shreya Shukla

Shreya Shukla

एक शाम एक रोज, जब मेरे लफ्ज मुझसे गिला करेंगे,

एक शाम एक रोज, जब हम सिर्फ यादों में मिला करेंगे,

एक शाम एक रोज, जब दर्द मेरा हमदर्द होगा पर शायद आंसू उस दर्द के साथी नहीं,

एक शाम एक रोज, जब बातें सिर्फ तेरी होंगी पर तुझ से बातें नहीं,

एक शाम एक रोज, जब मेरे हिस्से के सुकून पर तेरे नाम की बेसब्री होगी,

एक शाम एक रोज, जब मेरे लिखे हर खत पर तेरा पता होगा पर तुझे इस बात की बेखबरी होगी,

एक शाम, जब कई शामें तेरे इंतजार में बीतेगी

एक शाम, जो कई शामो बाद आएगी और शायद जिसकी कई   शामो बाद तक मुझे तेरा इंतजार रहेगा|

©Shreya Shukla #KavyanjaliAntaragni21

#IkshaamIkroz

Shivam Pandey

हे पार्थ क्यूँ अधीर हो...
तुम युद्ध मे प्रवीण हो...
हृदय गति को थाम लो.. 
ना कर्म से विराम लो .. 
अधर्म को ना मोल दो.. 
उठा धनुष ये बोल दो.. 
मैं जीत मैं ही हार हूं... 
मैं न्याय की पुकार हूं।।। 1।।
प्रत्यक्ष सब प्रमाण है 
विपक्ष अति महान है। 
हैं वीर सब बड़े बड़े.... 
समक्ष युद्ध को खड़े.. 
पर ध्येय मे प्रथक है वे
हाँ भ्रात कुल शतक है वे 
पुष्प की दशा मे अनिष्ट है वे शूल है 
जो है घनिष्ट रक्त से स्वभाव मे वे क्रूर है। 
वे पुत्र वध के पाप है 
वे नारी का प्रलाप है 
वे सब नियति के श्राप है.. 
अधर्म के अलाप है.. 
फिर क्यूँ ना आज साथ उन को काल का ही प्राप्त हो 
हे सखे तुम पांच ही परिणाम को पर्याप्त हो.. 
द्वापर की इस अनीति का यही सफल निदान है .. 
ना हो तनिक अचेत शंभू को तेरा संज्ञान है। 
मै द्वंद अंत तक तेरे इस रथ पर सवार हूं। 
हे पार्थ मैं ही युद्ध का आरम्भ औ परिणाम हूं।। 2।।
सखा समय समीप है..
सुनो क्या युद्ध नीति है.
अभिमन्यु का अब बोध लो ... 
पांचाली का प्रतिशोध लो..
 देवदत्त की गुहार दो.. 
फिर शत्रु को निहार लो ..
जो हैं शिथिल पड़ी हुई... 
भुजाओं को प्रसार दो .. 
कमान मे मचल रहे .. 
उन बाणों को प्रहार दो। 
ना हो दया ना मोह तीर ...
धड़ के आर पार हो... 
मैं जन्म से इस द्वंद का आरम्भ औ परिणाम हूं... 
हे सखे मैं कृष्ण मैं ही न्याय का विधान हूं।। 3।।

©Shivam Pandey #KavyanjaliAntaragni21
#KavyanjaliAntaragni21
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