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punitndtv1238
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Punit Bhardwaj

पत्रकार, वक्ता और स्वतंत्र आलोचक! लिखना काम है मेरा और सोचना आदत, मैं लेखन की सच्चाई का इक छोटा-सा परवाना हूं ।

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Punit Bhardwaj

जाने कौन सी कहानी,
उदास है ज्यादा।

वो औरत 
जो थी इतनी मज़बूर 
कि बेचना पड़ा उसे
अपना वक़्त,
अपना मुस्काना,
अपना जिस्म।।
या
वो मर्द,
जो पड़ गया था 
इतना अकेला,
कि खरीदना पड़ता था उसे,
दूसरे का वक़्त,
दूसरे का मुस्काना,
दूसरे का जिस्म।।

©Punit Bhardwaj 
  न जाने कौन ज्यादा उदास है?🤔
#thought #Hindi #Love #hindipoetry #lovepoetry #Kathakaar

न जाने कौन ज्यादा उदास है?🤔 #thought #Hindi Love #hindipoetry #lovepoetry #Kathakaar #विचार

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Punit Bhardwaj

इतने कस के गले लगते हैं
कुछ लोग
कि
समाज-लोग-बाग के लिए
जगह नहीं बचती।

जितनी जगह हम दोनों 
घेरते हैं दुनिया में-
वो आज़ाद है,
वहाँ कोई सत्ता नहीं बसती।। 
________💙

©Punit Bhardwaj #Hindi #hindi_poetry #Love #lovepoetry 

#together
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Punit Bhardwaj

वो लोग कौन होते हैं??

जो आपको अचानक छोड़ जाएँ 
और कभी पलट कर न देखें।
जो हाथों की गर्म लकीरों पर 
लिखी हुई आपकी मुस्कराहट 
खुरच खुरच कर निकाल दें ।

जो आपको जलाने के लिए
फ़ासलों की धधकती हुई 
आग में बे-ख़ौफ़ कूद पड़ें ।
आप रातों में जिनका चेहरा ! 
दीवार की शिकनों ! 
किताब की सत्रों !
और उम्मीद के तारों से 
बनाते बनाते थक जाएँ।

वो लोग कौन होते हैं !
जो आपको ज़ख़्म दें ! 
रुलाएं ! 
चीख़ने पर मजबूर करें 
और आख़िर-कार पागल कर दें!

______

वो लोग "वो" होते हैं !
जिन्हें आपने एक रात 
किसी जज़्बाती लम्हें में 
बता दिया था।
कि वो आपके लिए कितने क़ीमती हैं।
आप उन्हें खोना नहीं चाहते।
आप उनके साथ ज़िन्दगी गुज़ारना चाहते हैं।
आप उनसे मोहब्बत करते हैं।
बस यहीं लोग आपकी जिंदगी को तबाह कर देते है...
_____________💙

©Punit Bhardwaj #Love #Hindi #thought #hindi_poetry 

#Hope
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Punit Bhardwaj

जब भी तुम
कलम उठाकर ,
लिखना चाहो 
कागज के हृदय पर।
तो इंकलाब और इश्क
दोनों को साथ में लिखना ।
देखा है हमने ,
इतिहास के पन्नों को पलटकर‌,
इंकलाब का रास्ता ,इश्क से होकर गुजरता है ।

©Punit Bhardwaj #Love #Hindi #hindi_poetry #loveshayari #romance 

#together
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Punit Bhardwaj

एक दिन
इजाज़त मिली सबको
अपना प्रिय चुनने की...
 
सूरज ने रौशनी ली
चाँद...तारों के साथ हो लिया 
नदियां...सागर से जा मिलीं

हवा...खुशबू के पीछे भाग गई
बरखा ने..
बादल को गले लगाया

और प्रेम.....?

प्रेम ने थाम ली
प्रतीक्षा की कलाई!!

©Punit Bhardwaj #Hindi #hindi_poetry #Love #Valentine #loveshayari 
#hugday
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Punit Bhardwaj

तुम्हें पाना बिल्कुल ऐसा था
जैसे किसी प्राचीन नगर की खुदाई में 
किसी पुरात्तववक्ता को
मिल गई  हो रत्नजड़ित मूर्ति !

कुछ समय के लिए ही सही
विध्वंस के पश्चात 
जैसे मिल जाता है किसी ईश्वर का घर!!

©Punit Bhardwaj #Hindi #hindi_poetry #Love #loveshayari #Valentine 
#roseday
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Punit Bhardwaj

एक कहानी कभी लिखूंगा मैं
हमारे असफल प्रेम पर ,
 त्रासदियों पर लिखी कहानियाँ
लोगों को सुक़ून तो नहीं देतीं मग़र
उसमें अपना कुछ अनुभूत जरूर हो जाता है,
पर नहीं होगा उसमें तेरी ग़लतियों पर आक्षेप
नहीं होंगी मेरे समर्पण पर दलीलें,
नहीं ढूंढी जाएंगी,असफ़ल प्रेम की वज़ह
बस जिस प्रेम को जिया,ख़ुद को जिस तरह पाया,
बस उस प्रेम की पावना में लिखना है मुझे,
तुम चाहे महसूस न कर पाए मग़र
मैंने हर एहसास को अंतिम सीमा तक महसूस किया
मेरे लिए इतना ही काफ़ी है...

©Punit Bhardwaj #loveshayari #Hindi #hindi_poetry #Love #Life 
#apart
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Punit Bhardwaj

घृणा की लिपि कठिन है। 
क्रोध एक जटिल भाषा है 
और 
राजनीति तथा अर्थशास्त्र 
'असाध्य विषय'
ऐसे में मैं अपने लिए 
आसान मार्ग चुनता हूँ। 
मैं 'प्रेमकविताएँ' लिखता हूँ। 
क्योंकि
प्रेम सम्बन्धों
 को अनैतिक कहने वाला समाज
समाजिक नहीं प्रेम कविताओं को अधिक पढ़ता है!

©Punit Bhardwaj #hindi_shayari 
#hindi_poetry 
#NojotoRamleela
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Punit Bhardwaj

मैंने न ईश्वर को देखा
और न ही प्रेम को
लेकिन मैंने तुम्हें देखा..
जिसके बाद
न मुझे ईश्वर को देखना है
और न ही प्रेम को।

©Punit Bhardwaj #motherlove
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Punit Bhardwaj

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ, और आज उसको 72 वर्ष पूरे हो गए।लेकिन तब भी हम सड़कों पर थे और आज भी हम सड़कों पर है,फर्क सिर्फ इतना तब देश की आजादी के लिए थे और आज देश से आजादी के लिए है।
किसान कर्ज से मर रहा है...
जवान सीमा पर मर रहे है..
लड़कियां सड़क पर मर रही हैं,लेकिन हमें क्या?
कुछ लोग कह रहे हैं कि ये जो आंदोलन हो रहे है वो देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए हो रहे है लेकिन क्या उनका तरीका लोकतांत्रिक है ? और रही बात देश के लोकतांत्रिक होने की तो जब वो लोग अलग अलग विभागों में आरक्षण का लाभ उठाते हैं तब लोकतंत्र कहां चला जाता है ।जब ईसाइयों एवं मुस्लिमों के लिए पर्सनल लॉ बोर्ड का गठन किया गया तब कहां चला जाता है ये लोकतंत्र क्यूंकि लोकतंत्र में तो सब बराबर हैं फिर ये भेदभाव क्यूं? कुछ लोग बाबा साहेब के संविधान का हवाला देते हैं तो बाबा साहेब ने तो आरक्षण 10 साल के लिए दिया था जब ये आरक्षण बढ़ाया जाता है तब संविधान का अपमान नहीं होता क्या? मुझे एक बात समझ नहीं आती कि लोग कहते है कि अल्पसंख्यकों के लिए भारत में खतरा उत्पन्न हो गया है लेकिन लोकतंत्र में तो कोई अल्पसंख्यक नहीं होता वहां तो सब बराबर हैं । पिछली सर्दियों में जब दिल्ली में कोहरा था तो सुप्रीम कोर्ट ने अन्नदाता किसान के खिलाफ फैसला सुनाया कि किसानों को लोगों को घोटकर मारने का कोई अधिकार नहीं है लेकिन उसी वर्ष किसान आंदोलन में 700 लोग मर गए लेकिन लेकिन सुप्रीम कोर्ट चुप रहा।  वहीं अभी कुछ दिनों पहले एक सस्ती राजनीति का प्रयोग करके पंजाब की राष्ट्रभक्ति पर सवाल उठाया गया । ये बात और है कि उस दिन प्रधानमंत्री का रूप अचानक से बिना किसी सूचना के बदला गया वहां पर किसानों ने रास्ते को जाम कर दिया जिससे प्रधानमंत्री को वापिस आना पड़ा रही बात जान पर खतरे की तो मुझे ये समझ नहीं आता कि वो तकरीबन 1 किलोमीटर पहले से वापिस हो लिये थे तो जान का खतरा कैसे ? और अगर आप इसे सूरक्षा में चूक मानते हैं तो ये गृह मंत्रालय और IB की जिम्मेदारी है ना कि पंजाब सरकार की क्योंकि उनकी सुरक्षा की रेखा देख उन्हीं के हाथों में होती है लेकिन गृहमंत्री से या IB के डायरेक्टर ने कुछ नहीं पूछा। अब बात करते हैं हिंदू राष्ट्र की तो आप ये बताइए अगर भारत  हिंदू राष्ट्र  बन गया  तो क्या हो जायेगा जब दुनिया में 57  इस्लामिक राष्ट्र हो सकते हैं तो एक हिंदू राष्ट्र क्यूं नहीं। और जब आपने अपने अधिकारों के लिए आरक्षण ले हि लिया तो भारत को हिन्दू राष्ट्र भी बनने दिजिए या फिर आरक्षण छोड़कर लोकतंत्र धर्म निभाइये। हालांकि ये होना अभी मुश्किल है क्योंकि अगर भारत हिंदू राष्ट्र बन गया तो ये हिन्दू मुस्लिम की राजनीति ही खत्म हो जायेगी फिर ये पार्टियां किस के सहारे देश में दंगों को भड़कायेगी। और ये लोग जो बार बार संविधान के अनुच्छेदों का हवाला देते हैं तो क्या संविधान में सिर्फ वही गिने चुने अनुच्छेद है जो वो बताते हैं और भी बहुत कुछ है वो भी बताइए लोगों को बेवकूफ बनाना बंद किजीए।
फिर भी हमारा देश महान है क्युकी यहां भगवान है.. जिस तरह की आस्था गीता, कुरान ,बाइबल और अन्य धर्म ग्रंथों में है उतनी ही संविधान में भी रखिए। संविधान पढ़िए और उन लोगों से सवाल पूछिए जो संविधान के अनुच्छेदों हवाला देकर आपको बेवकूफ बनाते हैं। और हां आजकल चुनाव का दौर है तो अपनी आंखों और कानों के साथ दिमाग को भी खोलकर वोट किजिए क्योंकि बंद दिमाग बंद पैराशूट की तरह होता है वो आपके किसी काम नहीं आता।
जय हिन्द 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

©Punit Bhardwaj #RepublicDay
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