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शब्दों की दीवानी हाले दिल कुछ ऐसे कह गए हम, लब खामोश रहे और आँखे बरसती रही, लगा दी रौनकें हमने चेहरे पर खुशियों की, तन्हाई का एहसास लिए आँखे हंसती रही। हर दिल को बचाया हमने दर्द के एहसास से, रेजां रेजां होकर मेरी जात बिखरती रही।