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shreyatripathi5263
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Shreya Tripathi

जब उदास होती हूं कोरे कागज़ को पढ़ लेती हूं कुछ कहती नहीं किसी से चुपके से रो लेती हूं❤️

https://www.youtube.com/@Shreya_shamit

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Shreya Tripathi

कितनी बेफिक्र सी होती है बेटियां जब रहती है पिता के घर में
सुने आंगन की किलकारी बन दिन भर चहचहाती है।
हर गम से बेफ्रिक हो कर रात माँ के आंचल सो जाती है
कितनी बेफिक्र  होती है बेटियां जब पिता के घर रहती है
बचपन से यौवन तक ख़ूब लाड़ प्यार पाती है
एक दिन किसी अजनबी या जानपहचान वाले से ब्याह दी जाती है
तब आता है एक मोड़ जीवन मे सारी बेफ़िक्रीय वो खो देती है
कितनी बेफ्रिक ......
अनजाने आँगन में खुल कर जी भी नही पाती है हँसना
 तो छोड़ो
रो भी नहीं पाती है
रोज़ ज़िम्मेदारीयो का एक नया
बोझ पा जाती है
एक दिन पिता की बुलबुल सारी बेफ़िक्रीया खो देती है 
कितनी बेफिक्र .....

©Shreya Tripathi #Woman
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Shreya Tripathi

#romance 
#love❤️ 
#care❤️

#romance love❤️ care❤️ #Poetry

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Shreya Tripathi

#RoadTrip
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Shreya Tripathi

लफ्जों की खामोशी को तबस्सुम की समां दीजिएं
जो कभी कहा ही नहीं आज वही वयां कीजिए
 किस कदर मुहब्बत है आपसे
अपनी खामोशी से ही समझा दीजिए।

©Shreya Tripathi #KhoyaMan
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Shreya Tripathi

#Hope
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Shreya Tripathi

#Hope 
#Happiness
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Shreya Tripathi

इश्क़ है इश्क़ चाहते है
इश्क़ से इश्क़ चाहते है
कुछ और नहीं चाहिए तुमसे
खुद के लिए सिर्फ़ वक़्त चाहते है..

©Shreya Tripathi #लव❤

लव❤ #Poetry

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Shreya Tripathi

इक सफर की शुरुआत कुछ यूं रही
बादलों से हर मुलाकात रही
पहाड़ों की ऊंचाइयों को छूती हुई
लफ़्ज़ों की हर बात रही
इक सफर .........
पेड़ो से निकलती हुई गुनगुनी धूप 
हल्की सी बारिशों की फुहार रही
पत्थरों की ओट से चिपकी
फूलों के भीनी खुशबुओं की रात रही
इक सफर.........
खूबसूरत पहाड़ियों के नज़ारों संग
रास्तों की बात रही
बादलों से अटखेलियां खेलती
धूपों की ताप रही
इक सफर की कुछ यूं शुरुआत रही।

©Shreya Tripathi #feeelings
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Shreya Tripathi

छोटे-छोटे अल्फ़ाज़ों को सजा कर
इक सपना चुनना था ।
कुछ बातें तेरी सुननी थी...
कुछ अपना कहना था ।
एक तुझे पाया तो लगा
सब मिल गया....
तुम समझते नहीं मेरी ख़ामोशी..
हमें बिन बोले बहुत कुछ कहना था ।

©Shreya Tripathi #Love

Love #Quotes

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Shreya Tripathi

जब एक बच्चें का जन्म होने वाला होता है तब एक स्त्री तमाम उलझनों, परेशानियों, उतार-चढ़ाव  के साथ एक बच्चे को जन्म देती है ।
जिसमें रिवाजो के हिसाब से  घर के लोगों को उसके द्वारा कुछ दिया जाता है।
 असल मामले में लेने की हकदार तो स्वयं वो स्त्री होती है ,जो मुश्किलों से बच्चे को जन्म देती है।
 पूरे 9 महीनें के समय मे असहनीय दर्द,उल्टियां,गुस्सा,चिड़चिड़ापन,मूड स्विंग,दवाइयां और जाने क्या क्या समस्याएं वो सहती है।
 फिर एक बच्चे का जन्म होता है।
 बच्चे के जन्म समय कहते है 20 हड्डियां एक साथ टूटने इतना दर्द होता है।
मानव शरीर 45 डेल (यूनिट) तक दर्द सह सकता है जबकि बच्चे को जन्म देते वक्त मां को 57 डेल (यूनिट) तक का दर्द होता है. यह दर्द इतना अधिक है जैसे किसी व्यक्ति की 20 हड़्डियां एक साथ टूट रही हों”.
 मगर फिर भी उस बहु को ना कोई गिफ्ट मिलता है ना ही सम्मान हर घर की लगभग यही कहानी है...

रही बात बेटी और बेटे की तो दोनों के जन्म में शायद एक से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है 
 दर्द एक सा ही होता है फिर भी भेद-भाव किया जाता है ...
समाज को चाहिए कि जिसने बच्चे को जन्म दिया दुनिया मे लाई उस माँ को उपहार स्वरूप कुछ भेट करे, क्योंकि वो आपके वंश को आगे बढ़ा रही है आपको सुखद अनुभव कराती है।
 एक पति को चाहिए कि अपनी पत्नी को स्वमं कोई उपहार दे क्योंकि उसनें उसके परिवार को पूरा किआ है उसका इतना हक तो बनता है परम्पराएँ तो सिर्फ एक रूढ़िवादी सोच है जो पीढ़ियों दर पीढ़ियों से सिर्फ एक दूसरे द्वारा निभाई (ढोई) जा रही वो भी बिना मन के या बिना सहमति के।
शायद यह बिचार गलत लगे मेरा मग़र यह बिचार केवल मेरे अकेले का नही है मुझ जैसी न जाने कितनी लड़कियों के दिमाग मे यही बात आती है मगर वो कहती नही

बाकी सहमति-असहमति वो लोगो के ऊपर निर्भर करता है समाज ना ऐसे खुश है ना वैसे🙏
Shreya Tripathi

©Shreya Tripathi #sagun 
#रश्मों_रिवाज 
जब एक बच्चें का जन्म होने वाला होता है तब एक स्त्री तमाम उलझनों, परेशानियों, उतार-चढ़ाव  के साथ एक बच्चे को जन्म देती है ।
जिसमें रिवाजो के हिसाब से  घर के लोगों को उसके द्वारा कुछ दिया जाता है।
 असल मामले में लेने की हकदार तो स्वयं वो स्त्री होती है ,जो मुश्किलों से बच्चे को जन्म देती है।
 पूरे 9 महीनें के समय मे असहनीय दर्द,उल्टियां,गुस्सा,चिड़चिड़ापन,मूड स्विंग,दवाइयां और जाने क्या क्या समस्याएं वो सहती है।
 फिर एक बच्चे का जन्म होता है।
 बच्चे के जन्म समय कहते है 20 हड्डि

#sagun #रश्मों_रिवाज जब एक बच्चें का जन्म होने वाला होता है तब एक स्त्री तमाम उलझनों, परेशानियों, उतार-चढ़ाव के साथ एक बच्चे को जन्म देती है । जिसमें रिवाजो के हिसाब से घर के लोगों को उसके द्वारा कुछ दिया जाता है। असल मामले में लेने की हकदार तो स्वयं वो स्त्री होती है ,जो मुश्किलों से बच्चे को जन्म देती है। पूरे 9 महीनें के समय मे असहनीय दर्द,उल्टियां,गुस्सा,चिड़चिड़ापन,मूड स्विंग,दवाइयां और जाने क्या क्या समस्याएं वो सहती है। फिर एक बच्चे का जन्म होता है। बच्चे के जन्म समय कहते है 20 हड्डि #Society

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