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बेजुबान शायर shivkumar
*" आत्मविश्वास का दिया.... "* पत्थर की तरह अडिग रहना, फूलो की तरह कोमल रहना। जिन्दगी को जीना है हर दिशा में, बाधाओं से लड़ने का जज़्बा रखना। मुश्किलों के दौर आते रहेंगे, विपदाओ से घिरते हुए रहेंगे। कठिन पलो में भी ए इन्सान, मुस्कुराहट का दामन पकड़े रखना। कोई किसी के काम आए कोई किसी को अपना जाए, दिन हो या हो रात हृदय में, ऐसे सपने सदा सजाए रखना।। बुरे से बुरा मिल जाए जब, परेशान हैरान कर जाए तब। अपने आत्मविश्वास के दिए से, ज्योत हर जिगर में जलाए रखना। ये जीवन-दर्शन एक अविराम है, बदलता हर पल एक नकाब है। वक्त के हाथो कठपुतली है सभी, जैसा नचाए तुम नाचते रहना।। ©बेजुबान शायर shivkumar Kshitija Sana naaz puja udeshi angel rai poonam atrey हिंदी कविता कविता कोश कविता कविताएं हिंदी कविता *"#आत्मविश्वास का दिया...."*
Kshitija Sana naaz puja udeshi angel rai poonam atrey हिंदी कविता कविता कोश कविता कविताएं हिंदी कविता *"#आत्मविश्वास का दिया...."*
read moreAnuradha T Gautam 6280
RAVI PRAKASH
White खुद में झांकने के लिए जिगर चाहिए जनाब, दूसरों में बुराई बताने में तो हर शख्स माहिर होता है...!! ©RAVI PRAKASH #good_night खुद में झांकने के लिए जिगर
#good_night खुद में झांकने के लिए जिगर
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
Red sands and spectacular sandstone rock formations ग़ज़ल :- बता दें किसे आज क्या मिल रहा है । मुहब्बत में सबको दगा मिल रहा है ।। न रश्में न बंधन न कसमें न वादे । ऐसी इक डगर का पता मिल रहा है ।। न देखा न सोचा न समझा न जाना । कहे मुझको मेरा खुदा मिल रहा है ।। किनारों में ही डूब जाते ये आशिक । न जाने कहाँ मशविरा मिल रहा है ।। कदम दो कदम साथ अब जो चलो तुम तो सच है तुम्हें भी खुदा मिल रहा है ।। चले आओ जख़्मी जिगर आज लेकर यहाँ चाहतों का सिला मिल रहा है पड़ो अब नही तुम हसीनों के पीछे इन्हें हर तरफ दूसरा मिल रहा है मिलेगा तुम्हें क्या वफ़ा इनसे करके इन्हें दिलज़लो से मजा मिल रहा है किया जो प्रखर ने वफ़ा टूटकर तो । वफ़ा से ही उसको जफ़ा मिल रहा है । महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- बता दें किसे आज क्या मिल रहा है । मुहब्बत में सबको दगा मिल रहा है ।। न रश्में न बंधन न कसमें न वादे । ऐसी इक डगर का पता मिल रहा है ।
ग़ज़ल :- बता दें किसे आज क्या मिल रहा है । मुहब्बत में सबको दगा मिल रहा है ।। न रश्में न बंधन न कसमें न वादे । ऐसी इक डगर का पता मिल रहा है ।
read moreFuck off nojoto
नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके, वो चले जा रहे है.. हुए पाँच दिन कुल, उनको मुझसे है बिछड़े अभी से ये तारे, जिस्म पिघला रहे हैं.. गले से लगा लो, या मुझको मार डालो वसवसे तन्हाइयों के, दिल दहला रहे हैं.. किया ये अहद है, फिर ना होगी मुहब्बत लाचारगी तो देखो, ख़ुद को बहला रहे हैं.. लगाते है वो मोल, उदासियों का मिरी हूँ परेशां बे-मतलब, ये दोहरा रहे हैं.. आँखों से मिरी आँसू, सँभाले ही न संभलें रहमत ये किस ख़ुशी में, वो बरसा रहे हैं.. इक शराब ही है, ग़म-ए-फुरक़त समझती मरीज़-ए-इश्क़ ख़ुद को, यूँ भी समझा रहे हैं.. वाक़िफ़ हो गए है, दुश्वारियों से ज़िन्दगी की हम भी हैं इंसा, हम भी पछता रहे हैं.. तस्वीरों को जिसकी, देखकर तू था रोया कूचा-ए-रक़ीब में वो इश्क़ फरमा रहे हैं.. दूर महसूस ख़ुद को, करते है ख़ुद ही से बेवज़ह नही हम, तग़ज़्ज़ुल फ़रमा रहे है.. किनारे लग गए हैं, मिरे ख़्वाब सारे देखकर मिरा हस्र, ये भी घबरा रहे है.. मेरा अज़ीब होना, ही है मेरी जरूरत छोटे मोटे ग़म तो, आने को शरमा रहे है.. ©Arshu.... नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके
नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके
read moreSatish Kumar Meena
जिगर का टà¥à¤•à¥œà¤¾ जिगर का टुकड़ा तुम्हें नौ माह कोख में रखा,दुनियां में तुम आए। बढ़ती जा रही उम्र में,फिर नई स्फूर्ति लाए। पतझड़ वाली ज़िन्दगी में,बसंत बनके चलना। तुम जिगर के टुकड़े हो,संग मेरे ही रहना।। ©Satish Kumar Meena जिगर का टुकड़ा
जिगर का टुकड़ा
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