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dsp motivation
एक वय ते होत की जेव्हा जादू वर पण विश्वास होता एक वय हे आहे की वास्तवावर सुध्दा शंका आहे ... deep meaning Marathi quotes
deep meaning Marathi quotes #Quote
read moreParasram Arora
मंदिर मस्जिद उखड़ गये पर मधुशालाये जमी हैँ जड़े जमा कर मंदिर मस्जिद मे कौन जाता हैँ अब जो जाते हैँ वे भी कहा जाते हैँ जाना पड़ता हैँ इसलिए जाते हैँ 'धार्मिक ' हैँ ये सिद्ध करने के लिए जाते हैँ वो वहा बैठ कर भी मंदिर या मस्जिद मे कहा होते हैँ तथाकथित धार्मिक.......
तथाकथित धार्मिक.......
read moreRamesht Dhar
कमसिन उम्र का एक नादां नौजवान कलम लेकर निकला था.... उसकी मासूमियत पर दुनिया का फरेबी असर तो देखो ज़ख्मी होकर लौटा है.... तथाकथित बुद्धिजीवी....
तथाकथित बुद्धिजीवी.... #विचार
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motivational thoughts in marathi motivational quotes in marathi #Motivational
read moreP Rai Rathi
तथाकथित अभिलाषाओं में मन अभिलाषाओं का नम्बर पहला है अपनी अपनी व्याख्या मन की, मन तो नितांत अकेला है #तथाकथित#अभिलाषाओं में
Author Harsh Ranjan
तथाकथित कलियुगी सीताओं ने माना है, हर युग के राम का व्यक्तित्व व अस्तित्व सिर्फ चूड़ियों की खनक से निभाना है, उन सबको सदैव किसी सीता के स्पर्श के आगे/के लिए/के बाद बेमोल बेजुबान गिरवी हो जाना है। बहुत सबला व आकर्षक थी वो समाज की नजरों में पहली बार, वर्ष, स्पर्श और घर्ष से पहले, वो स्वामिनी थी सड़क से स्वम्बर तक योनि मथे व ग्रसे जाने से पहले। उन्हें कुंठा मिश्रित अचरज है त्याग से, वो खुद स्वछंदता चाहती हैं आवेगहीन, दूध के उबाल के बीच ध्यान धरे पूछती हैं उसका अस्तित्व विराग से। तथाकथित कलियुगी सीतायें मानती है कि उनकी काया में सारी सृष्टि है और रोग देने वाले सकल स्त्री-भोग, योग व लोक-कल्याण की वृष्टि है। वो खुद को स्वर्ग के समकक्ष रखती हैं, पर क्या वो सरल समावेशी हृदय भी, या सिर्फ आकर्षक स्थूल वक्ष रखती हैं। उन्होंने यत्नपूर्वक सिर्फ महल देखे, जग ने सिर्फ उनके स्वार्थ, प्रतिशोध, कामना व संतानों हेतु पहल देखे। ये वो कलियुग की तथा-कथित सीतायें हैं, जो मानती हैं कि उनकी एक इच्छा से सस्ती पूरे शहर की जलती चिताएं हैं। तथाकथित कलियुगी सीतायें
तथाकथित कलियुगी सीतायें
read moreAuthor Harsh Ranjan
तथाकथित कलियुगी सीताओं ने माना है, हर युग के राम का व्यक्तित्व व अस्तित्व सिर्फ चूड़ियों की खनक से निभाना है, उन सबको सदैव किसी सीता के स्पर्श के आगे/के लिए/के बाद बेमोल बेजुबान गिरवी हो जाना है। बहुत सबला व आकर्षक थी वो समाज की नजरों में पहली बार, वर्ष, स्पर्श और घर्ष से पहले, वो स्वामिनी थी सड़क से स्वम्बर तक योनि मथे व ग्रसे जाने से पहले। उन्हें कुंठा मिश्रित अचरज है त्याग से, वो खुद स्वछंदता चाहती हैं आवेगहीन, दूध के उबाल के बीच ध्यान धरे पूछती हैं उसका अस्तित्व विराग से। तथाकथित कलियुगी सीतायें मानती है कि उनकी काया में सारी सृष्टि है और रोग देने वाले सकल स्त्री-भोग, योग व लोक-कल्याण की वृष्टि है। वो खुद को स्वर्ग के समकक्ष रखती हैं, पर क्या वो सरल समावेशी हृदय भी, या सिर्फ आकर्षक स्थूल वक्ष रखती हैं। उन्होंने यत्नपूर्वक सिर्फ महल देखे, जग ने सिर्फ उनके स्वार्थ, प्रतिशोध, कामना व संतानों हेतु पहल देखे। ये वो कलियुग की तथा-कथित सीतायें हैं, जो मानती हैं कि उनकी एक इच्छा से सस्ती पूरे शहर की जलती चिताएं हैं। तथाकथित कलियुगी सीतायें
तथाकथित कलियुगी सीतायें
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