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Stories related to नंद में आनंद भयो

Eshwari

#मरण एक आनंद

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White प्राण गेल्यावरही "नेत्र" चार तास जिवंत असतात
 या चार तासात आपल्या माणसांची वागणूक पाहून 
प्राणशून्य  देहाला "मरण" म्हणजे 
खुप  मोठं गिफ्ट वाटत असेल.....

            ईश्वरी

©Eshwari #मरण एक आनंद

Shailendra Anand

Hinduism््देशभक्तिऔर संविधान में न्याय निष्ठा ही मानव धर्म कर्म है ्् कवि शैलेंद्र आनंद

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Shailendra Anand

लव शायरी हिंदी में कवि शैलेंद्र आनंद

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््रचनादिनाक ,29,, नवम्बर,,2024
वार,, शुक्रवार
समय दोपहर 11,00
््निज विचार ््
््शीर्षक ््
््लफ्ज़ निकले ध्वनि स्वर पुकार में मुखर हो गये,
शायर और शायरा कवियत्री के अल्फाज़ नगीना में,,
वो लफ्जो में दर्द नज़्म,ग़ज़ल, शायरी से इल्म का मक्ता 
जेहन से निकले, वो लफ्जो में मेरे रच बस गया ््
भावचित्र ््
आपके लफ्ज़ निकले मुखर हो गये ््नज्म, ग़ज़ल ्,शायरी, से ,,
अपने इल्म का मक्ता जेहन से निकले वो दर्द का जूनून इस दिल में रच बस गया।।1।।
 ,वो््भावचित्र सेनयन सजल नेत्रों में झलक उठें,,
 समझो दिल के दरवाजे पर दस्तक हुई,।।2।।
और अपने आप में ,,
कोई बदलाव रिश्ते में तब्दील हो ।।3।।
वो रिश्ता क्या कहलाता है यही इस मुहब्बत के लिये,,
 खुद ही जिंदगी में इन्सान से,प्रेम करते हुए।।4।‌।
 रब के मुलाज़िमों में,,
 वो शिरकत करने वाले हो जाते है ।।5।।
               ््कवि््शैलेन्द़ आनंद ््
29,, नवम्बर,2024

©Shailendra Anand  लव शायरी हिंदी में
       कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

#karwachouth Extraterrestrial life ््भावचित्र ््््् में एक जीवंत कलाकृति होती है धन्यवाद् कवि शैलेंद्र आनंद

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White रचना दिनांक ्19््10््2024््
वार ््शनिवार ्
समय सुबह ्््पांच बजे ््
्््निजविचार ््
्््भावचित्र ््््
्््शीर्षक ्््
्््भारतीय संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में गुंथी हुई घटनाओं और परम्पराओं में  ,,
चंद्रमा से अपनी रूह में पति पत्नि परमेश्वर से दर्शन करने वाले ,
करवा पूजन चतुर्थी व्रत चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी है ्््

झिलमिलाते वस्त्र धारण करना और अपने आप में कुछ सपने बुनते हैं ,
जो खून से लथपथ हो प्यारा सा जीवन में एक दर्शन करने वाले चंन्द् माहौल में मस्त रहते हैं ।।
महिलाएं ही जिंदगी में पतिवृता वृत करने वाली करवा चतुर्थी व्रत चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी पर ,
चंद्र दर्शन करने वाले दर्शन में पति का स्वरूप में आंखें खोल कर देखें रही ,,
मनोकामनी दृश्य दृष्टि दृष्टिकोण से सजाया गया जिसे हम कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी व्रत ,
चन्द्रोदय व्यापिनी से अपनी रूह को कंपकंपा देने वाली अग्नि परीक्षा प्रेम श्रद्धा प्यार समर्पण में ,
सिर्फ त्वमेव त्वमेव विद्या से पति और पत्नी दोनों के प्रेम शब्द से जन्मा विचार ही सुन्दर छबि ,
मनोमय प्यारी सी मुस्कान होंठ रख कर मधुर मुस्कान मन्द अधर में लटकी हुई ,
चन्द्रोदय में जीवन यापन कर रही है प्रेम शब्द में प्राणपण लफ्ज़ में समा गई है।।
 प्रेम की अन्तिम समर्पित करिष्यामि,,
 नमन वन्दंनीय ्््
भावचित्र छबि ही सुन्दर और सार्थक और सारगर्भित आलेख में जीवन जरूरी है।।
जो धरती पर साकार लोक में दर्शन भारतीय जनजीवन में कलासाहित्य में,
 मानसिक रूप से धार्मिक तर्क कथन, कथा साहित्य कोश किंवदंतियां प्रचलित है।।
 हमारे समाज सभ्यता संस्कृति में, समकालीन परिदृश्य में नजर आएंगी 
अदृश्य शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है।।
यही सच्चाई देखकर सहसा रुक गई तस्वीर छपी ,,
मेरे दिल के दरवाजे मन दर्पण दर्शन प्रेम में अटूट आस्था रिश्ते में,
 प्यार हो प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है।।
चित्र मानस में शास्त्र में प्रकाशवान में एक जीवंत प्रयास कला संस्कृति में गुंथी हुई धुन में,
 मगन मस्त प्यारा सा जीवन है।।
 अमृत बरसाता है प्रेम शब्द ही जिन्दगी में पहली से आखिरी सांस तक चलायमान है ,,
जीवन सार सार्थक निर्णय स्वप्रयास ही सुन्दर छबि है।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््
19,,,10,,2024््

©Shailendra Anand #karwachouth  Extraterrestrial life
््भावचित्र ््््् में एक जीवंत कलाकृति होती है धन्यवाद् कवि शैलेंद्र आनंद

seema patidar

आनंद पथ

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बहुत मित्र कभी नहीं होते 
मित्र जीवन में कम ही हो सकते है
पहचान बहुतों से हो सकती है
सहजता बहुतों से हो सकती है
पहचान दुनिया से हो सकती है
उससे कम लोगो से संबंध हो सकते है
उससे और कम लोगो से मित्रता हो सकती है
उससे और कम लोगो पर विश्वास हो सकता है
उससे भी और कम लोगो से प्रेम हो सकता है
ऐसा प्रेम स्थायी और अनंत होता है
जो जीवन की किसी परिस्थिति में समाप्त नहीं होता ।

©seema patidar आनंद पथ

Shashi Bhushan Mishra

#सुख आनंद भलाई में#

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जज़्बातों   की   खाई में, 
फिसल गए चिकनाई में,

उऋण  नहीं  हो  पायेंगे,
उम्र    कटी   भरपाई में,

अपनापन  का   अंदेशा, 
फिसलन है इस काई में,

प्रेम प्यार सब भूल गए,  
झूठी   मान   बड़ाई में,

फैशन  के  युग में यारों, 
फर्क़  न  चाचा ताई में,

लालच लोभ बढ़े इतने, 
प्रेम  न   भाई  भाई में,

'गुंजन' ये महसूस हुआ, 
सुख आनंद  भलाई में, 
   --शशि भूषण मिश्र
     'गुंजन' प्रयागराज

©Shashi Bhushan Mishra #सुख आनंद भलाई में#
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