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Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White जिसके दुनिया में कोई भी काम आता नहीं ,उसे बाबा ठुकराता नही है, वहां हमारा और सिर्फ हमारा बाबा श्याम आता है बाकि कोई और आता नहीं। जब ठोकर मारी थी हमें ज़माने भर ने,तब सँभालने को कोई नहीं था, उस ठोकर से बाबा ने हमें उठाया, और हमें गले से लगाया उस दौर में सिवा कोई और नही, दो वक्त की रोटी के भीं फाके पड़े, रहने को भी परिवार के लिए छत थीं नहीं , मेरे बाबा ने रहने को छत दिया और छप्पन भोग खिलाया वरना यहां तो भूखे को भोजन नहीं। जब अपमानित होते थे ज़माने में, तो सम्मान तूने दिलाया, तेरे सिवा कोई अब ठिकाना नहीं, बाबा श्याम ने उठाकर हमें, अपने माथे का तिलक बनाया है। आज भी जब हारते हैं हम, तो बाबा तुझी को कह आते हैं, कि तू जाने, तेरा काम जाने, बाबा मैं तो तेरे दर पर आई हूँ। जरा और ध्यान रखना हमारा, दुश्मन और बनाकर आई हूँ, फूलों का नहीं, काँटों का ताज पहनाया ज़माने ने मेरे बाबा, चार शूल और ताज में ज्यादासज़ा कर और लाई हूं। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma #sad_quotes जिसके दुनिया में कोई भी काम आता नहीं ,उसे बाबा ठुकराता नही है, वहां हमारा और सिर्फ हमारा बाबा श्याम आता है बाकि कोई और आता नहीं
#sad_quotes जिसके दुनिया में कोई भी काम आता नहीं ,उसे बाबा ठुकराता नही है, वहां हमारा और सिर्फ हमारा बाबा श्याम आता है बाकि कोई और आता नहीं #भक्ति
read moreLiyakat Ali
White एक ही छत के नीचे रहते हैं हम पास हो कर भी दूर रहते हैं हम ©Liyakat Ali एक ही छत के नीचे रहते हैं हम पास हो कर भी दूर रहते हैं हम #Sad_Status #Love #story #Life #nojotohindi #Poetry #status #Trending #Quotes #S
एक ही छत के नीचे रहते हैं हम पास हो कर भी दूर रहते हैं हम #Sad_Status Love #story Life #nojotohindi Poetry #status #Trending #Quotes S #कोट्स
read moreMahesh Chekhaliya
White ये सोच के दिल मेरा जोरो से धड़कता है किसी और की छत पे क्युं मेरा चाँद चमकता है..❣️ ©Mahesh Chekhaliya #lung_cancer ये सोच के दिल मेरा ज़ोरों से किसी और छत पर क्यों मेरा चाँद चमकता है ये सोच के दिल मेरा जोरो से धड़कता है किसी और की छत पे
#lung_cancer ये सोच के दिल मेरा ज़ोरों से किसी और छत पर क्यों मेरा चाँद चमकता है ये सोच के दिल मेरा जोरो से धड़कता है किसी और की छत पे
read morePrakash writer05
मेरा #गांव अब उदास रहता है.. ✍️ लड़के जितने भी थे मेरे गांव में। जो बैठते थे दोपहर को आम की छांव में। बड़ी रौनक हुआ करती थी जिनसे घर में #मोटिवेशनल
read moreSarfaraj idrishi
छत पे टहलने वाला मौसम है, और छत से कुदने वाले हालात। ©Sarfaraj idrishi #talaash छत पे टहलने वाला मौसम है, और छत से कुदने वाले हालात। life quotes in hindi Hinduism Islam heart touching life quotes in hindi Parvai
Vikas Sahni
White आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ भी रही है वह। होकर नाराज़ नभ देख रही है और मैं उसकी आँखों में देखते-देखते दस बजे सजे पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ, "प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं; सभी के लिए यह दिवा मेहमान है, पतंगों से सजा आसमान है, जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है और उसकी ओर मेरा ध्यान है। लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं अनंत आसमानी पानी और बादलों के बगीचे में मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से भरी पड़ी प्रत्येक छत है, प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है, कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं, कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं, पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं, कई मुक्त हुए जा रही हैं पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में, जिस प्रकार पक्षी (पतंग) अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से फिर कविता की आँखों की नमी से पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे, क्या टूट गये वे सारे धागे? कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे, टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे। है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!" . ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ
#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- चलो राह के आज काँटें चुरा लें उन्हें दिल की महफ़िल में फिर से बिठा लें कभी चाँद के ही बहाने से छत पर जो आओ नज़र प्यास हम भी मिटा लें न ज़न्नत से हैं कम कदम ये तुम्हारे अगर हो इजाज़त तो दुनिया बसा लें बहुत हो गई है चूँ चाँ ज़िन्दगी में यही कह रहा दिल कि पर्दा गिरा लें बिछड़ जायेंगे दो घड़ी बाद फिर से कोई कह दे उनसे गले से लगा लें बड़ी बद नज़र हैं ज़माने की नज़रें बचाकर नज़र आज घूँघट उठा लें सफ़र की थकन से मुसाफ़िर हैं बेसुध चलो उनको थोडा सा पानी पिला लें लगी आग जो तन बदन में हमारे उसे प्रीत से ही चलो हम बुझा लें मिला जो अभी तक हमें चाहतों में उसे धड़कनों में कहीं तो छुपा लें बहुत बढ़ रही है तपन सूर्य की अब जमीं पे कहीं एक पौधा लगा लें प्रखर तो यही रात दिन सोचता है । नहीं अब किसी की कभी बददुआ लें महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- चलो राह के आज काँटें चुरा लें उन्हें दिल की महफ़िल में फिर से बिठा लें
ग़ज़ल :- चलो राह के आज काँटें चुरा लें उन्हें दिल की महफ़िल में फिर से बिठा लें #शायरी
read moreAshraf Fani
White गांव का छत, चारपाई और ऊपर चांद दूर से आती रफ़ी, लता की आवाज़ कैफ़ियत दिल की न पूछ ऐ मेरे यार ©Ashraf Fani【असर】 गांव का छत, चारपाई और ऊपर चांद दूर से आती रफ़ी, लता की आवाज़ कैफ़ियत दिल की न पूछ ऐ मेरे यार #ashraffani #Moon
गांव का छत, चारपाई और ऊपर चांद दूर से आती रफ़ी, लता की आवाज़ कैफ़ियत दिल की न पूछ ऐ मेरे यार #ashraffani #Moon #कविता
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