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Stories related to गैर फुल मूवी

Vijay Kumar

sad_shayari गैर तो गैर है पर गैरों से गिला क्या है Motivational poem poem

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Sarfaraj idrishi

Thoughts ज़िंदगी मे आपका असल मक़ाम वही है जिसका इज़हार लोग आपकी गैर मौजूदगी मे करते हैं Islam gudiya बाबा ब्राऊनबियर्ड Achman Chitranshi

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ज़िंदगी मे आपका असल मक़ाम वही है

 जिसका इज़हार लोग
 आपकी गैर मौजूदगी
 मे करते हैं

©Sarfaraj idrishi #Thoughts ज़िंदगी मे आपका असल मक़ाम वही है जिसका इज़हार लोग आपकी गैर मौजूदगी मे करते हैं Islam gudiya  बाबा ब्राऊनबियर्ड  Achman Chitranshi

Kamal bhansali

# फिक्र # गैर # कमल भंसाली

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फिक्र....

" हाल बेहाल हुई जिंदगी अब समझा रही
अपनों से ज्यादा गैरों को तेरी फिक्र रही "
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali # फिक्र # गैर # कमल भंसाली

SUFIYAN"SIDDIQUI"

फुल मुर्झा जाएगे। Internet Jockey thoughts about love failure life quotes in hindi life quotes quotes on life i hate selfish people quotes

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अब
शजर की परवरिश मे कमी हो रही है.

©SUFIYAN"SIDDIQUI" फुल मुर्झा जाएगे।
 Internet Jockey  thoughts about love failure life quotes in hindi life quotes quotes on life i hate selfish people quotes

gudiya

#sad_shayari nojotophoto #nojotohindi ग़ालिब गैर नहीं है ,अपनों से अपने हैं, बंगाली की बोली ही आज हमारी बोली है । नव

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White ग़ालिब गैर नहीं है ,अपनों से अपने हैं,
बंगाली की बोली ही आज हमारी बोली है ।

नवीन आंखों में जो नवीन सपने हैं
 वे ग़ालिब  के सपने हैं ।

गालिब ने खोली गांठ जटिल जीवन की, 
बात और वह बोली नपीतुली थी, हल्के पान का नाम नहीं था।

 सुख की आंखों ने दुख देखा और टिटौली की,
 यों जी भर बहलाया।

 बेशक दाम नहीं था उनकी अंटी में, दुनिया से काम नहीं था 
लेकिन उस को सांस सांस पर तौल रहे थे ।

अपना कहने को क्या था, धन-धान नहीं था
 सत्य बोलता था जब मुंह खोल रहे थे ।

ग़ालिब होकर रहे जीत कर दुनिया छोड़ी
 कवि थे, अक्षर में अक्षर की महिमा जोड़ी।
-त्रिलोचन

©gudiya #sad_shayari #Nojoto #nojotophoto #nojotoquote #nojotohindi 
ग़ालिब गैर नहीं है ,अपनों से अपने हैं,
बंगाली की बोली ही आज हमारी बोली है ।

नव

s गोल्डी

मैंने कब कहा...तू मुझे गुलाब दे.. या फिर अपनी... मोहब्बत से नवाज़ दे.... आज बहुत उदास है.... मन मेरा... गैर बनके ही सही... बस तू मुझे आवाज़ दे

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मैंने कब कहा...तू मुझे गुलाब दे..
या फिर अपनी... मोहब्बत से नवाज़ दे....























आज बहुत उदास है.... मन मेरा...
गैर बनके ही सही... बस तू मुझे आवाज़ दे.... 
🌙

©s गोल्डी मैंने कब कहा...तू मुझे गुलाब दे..
या फिर अपनी... मोहब्बत से नवाज़ दे....
आज बहुत उदास है.... मन मेरा...
गैर बनके ही सही... बस तू मुझे आवाज़ दे

Rakesh frnds4ever

#कुछ #गैरों से कहा तुमने कुछ गैरों से सुना तुमने #काश कुछ हमसे सुना होता,,, कहना / सुनना जो भी था रहना सहना जो भी था #हम_दोनों के दरमयां

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Praveen Jain "पल्लव"

#International_Day_Of_Peace गैर बराबरी इतनी बढ़ गयी

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White पल्लव की डायरी
चीख रही है मानवता
वेदनाओं से कराहती है
गैर बराबरी इतनी बढ़ गयी
भुखमरी सताती है
कुछ आकाओ के चंगुल में
विश्व जकड़ा है
तबाही तबाही जग में दिखाती है
डॉलर की चमक फीकी ना पड़ जाये
कई देशों की अर्थव्यवस्था चट कर जाती है
डर भय और पेटेंट के बल पर
जग को निगलती जाती है
शांति का आवरण ओड़ कर
विश्व में आतंक फैलाती है
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #International_Day_Of_Peace गैर बराबरी इतनी बढ़ गयी

THE VIKRANT RAJLIWAL SHOW

"Vikrant Rajliwal Show: Bacchon Ki Mazedaar Duniya Ka Double Maza!" "दोस्तों, स्वागत है विक्रांत राजलीवाल शो में, जहां बच्चों की मजेदार द

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा   कुण्डलिया :- तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष । जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।। उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा ।

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White विधा   कुण्डलिया :-

तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष ।
जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।।
उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा ।
आज नहीं है हाथ , हमारे अब वह रेखा ।।
बन बैठे थे गैर , संग ले दूजे फेरे ।
आये हैं सब याद , दिलाने दिल को तेरे ।।

करता किसका मैं यहाँ , सुनो प्रेम स्वीकार।
सब ही तो दिखला रहे , झूठा हमसे प्यार ।।
झूठा हमसे प्यार , करे यह सारे अपने ।
और कहें नित आप , हमारे आये सपने ।।
दे दो कुछ उपहार , जान मैं तुमपे मरता ।
क्या बतलाऊँ आज , प्यार मैं कितना करता ।।

यारा कटती है नहीं , तुम बिन मेरी रात ।
अब करो मुलाकात तो , बन जाए फिर बात ।।
बन जाए फिर बात , रात रानी सी महके ।
दिल के वह जज्बात , चाँदनी पाकर लहके ।।
यह मृगनयनी रूप , बने हर रात सहारा ।
एक झलक जो आज , दिखा दे मुझको यारा ।।

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा   कुण्डलिया :-

तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष ।
जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।।
उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा ।
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