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Sarfaraj idrishi
ज़िंदगी मे आपका असल मक़ाम वही है जिसका इज़हार लोग आपकी गैर मौजूदगी मे करते हैं ©Sarfaraj idrishi #Thoughts ज़िंदगी मे आपका असल मक़ाम वही है जिसका इज़हार लोग आपकी गैर मौजूदगी मे करते हैं Islam gudiya बाबा ब्राऊनबियर्ड Achman Chitranshi
Thoughts ज़िंदगी मे आपका असल मक़ाम वही है जिसका इज़हार लोग आपकी गैर मौजूदगी मे करते हैं Islam gudiya बाबा ब्राऊनबियर्ड Achman Chitranshi
read moreKamal bhansali
फिक्र.... " हाल बेहाल हुई जिंदगी अब समझा रही अपनों से ज्यादा गैरों को तेरी फिक्र रही " ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali # फिक्र # गैर # कमल भंसाली
# फिक्र # गैर # कमल भंसाली
read moreSUFIYAN"SIDDIQUI"
अब शजर की परवरिश मे कमी हो रही है. ©SUFIYAN"SIDDIQUI" फुल मुर्झा जाएगे। Internet Jockey thoughts about love failure life quotes in hindi life quotes quotes on life i hate selfish people quotes
फुल मुर्झा जाएगे। Internet Jockey thoughts about love failure life quotes in hindi life quotes quotes on life i hate selfish people quotes
read moregudiya
White ग़ालिब गैर नहीं है ,अपनों से अपने हैं, बंगाली की बोली ही आज हमारी बोली है । नवीन आंखों में जो नवीन सपने हैं वे ग़ालिब के सपने हैं । गालिब ने खोली गांठ जटिल जीवन की, बात और वह बोली नपीतुली थी, हल्के पान का नाम नहीं था। सुख की आंखों ने दुख देखा और टिटौली की, यों जी भर बहलाया। बेशक दाम नहीं था उनकी अंटी में, दुनिया से काम नहीं था लेकिन उस को सांस सांस पर तौल रहे थे । अपना कहने को क्या था, धन-धान नहीं था सत्य बोलता था जब मुंह खोल रहे थे । ग़ालिब होकर रहे जीत कर दुनिया छोड़ी कवि थे, अक्षर में अक्षर की महिमा जोड़ी। -त्रिलोचन ©gudiya #sad_shayari #Nojoto #nojotophoto #nojotoquote #nojotohindi ग़ालिब गैर नहीं है ,अपनों से अपने हैं, बंगाली की बोली ही आज हमारी बोली है । नव
#sad_shayari nojotophoto #nojotohindi ग़ालिब गैर नहीं है ,अपनों से अपने हैं, बंगाली की बोली ही आज हमारी बोली है । नव
read mores गोल्डी
मैंने कब कहा...तू मुझे गुलाब दे.. या फिर अपनी... मोहब्बत से नवाज़ दे.... आज बहुत उदास है.... मन मेरा... गैर बनके ही सही... बस तू मुझे आवाज़ दे.... 🌙 ©s गोल्डी मैंने कब कहा...तू मुझे गुलाब दे.. या फिर अपनी... मोहब्बत से नवाज़ दे.... आज बहुत उदास है.... मन मेरा... गैर बनके ही सही... बस तू मुझे आवाज़ दे
मैंने कब कहा...तू मुझे गुलाब दे.. या फिर अपनी... मोहब्बत से नवाज़ दे.... आज बहुत उदास है.... मन मेरा... गैर बनके ही सही... बस तू मुझे आवाज़ दे
read moreRakesh frnds4ever
White कुछ गैरों से कहा तुमने कुछ गैरों से सुना तुमने काश ,, कुछ हमसे कहा होता कुछ हमसे सुना होता,,, कहना / सुनना जो भी था रहना सहना जो भी था हम दोनों के दरमयां था फिर और कोई गैर कोई क्यों शामिल हुआ हम दोनों के दरमयां,,,,, ©Rakesh frnds4ever #कुछ #गैरों से कहा तुमने कुछ गैरों से सुना तुमने #काश कुछ हमसे सुना होता,,, कहना / सुनना जो भी था रहना सहना जो भी था #हम_दोनों के दरमयां
Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी चीख रही है मानवता वेदनाओं से कराहती है गैर बराबरी इतनी बढ़ गयी भुखमरी सताती है कुछ आकाओ के चंगुल में विश्व जकड़ा है तबाही तबाही जग में दिखाती है डॉलर की चमक फीकी ना पड़ जाये कई देशों की अर्थव्यवस्था चट कर जाती है डर भय और पेटेंट के बल पर जग को निगलती जाती है शांति का आवरण ओड़ कर विश्व में आतंक फैलाती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #International_Day_Of_Peace गैर बराबरी इतनी बढ़ गयी
#International_Day_Of_Peace गैर बराबरी इतनी बढ़ गयी
read moreTHE VIKRANT RAJLIWAL SHOW
"Vikrant Rajliwal Show: Bacchon Ki Mazedaar Duniya Ka Double Maza!" "दोस्तों, स्वागत है विक्रांत राजलीवाल शो में, जहां बच्चों की मजेदार द
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White विधा कुण्डलिया :- तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष । जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।। उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा । आज नहीं है हाथ , हमारे अब वह रेखा ।। बन बैठे थे गैर , संग ले दूजे फेरे । आये हैं सब याद , दिलाने दिल को तेरे ।। करता किसका मैं यहाँ , सुनो प्रेम स्वीकार। सब ही तो दिखला रहे , झूठा हमसे प्यार ।। झूठा हमसे प्यार , करे यह सारे अपने । और कहें नित आप , हमारे आये सपने ।। दे दो कुछ उपहार , जान मैं तुमपे मरता । क्या बतलाऊँ आज , प्यार मैं कितना करता ।। यारा कटती है नहीं , तुम बिन मेरी रात । अब करो मुलाकात तो , बन जाए फिर बात ।। बन जाए फिर बात , रात रानी सी महके । दिल के वह जज्बात , चाँदनी पाकर लहके ।। यह मृगनयनी रूप , बने हर रात सहारा । एक झलक जो आज , दिखा दे मुझको यारा ।। ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा कुण्डलिया :- तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष । जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।। उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा ।
विधा कुण्डलिया :- तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष । जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।। उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा ।
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