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shaanvi
White आज देखे हैं मैंने रिश्तों के बेनकाब होते मुखोटे जो कहते रहे कि हम साथ हैं पर सालों से कोई साथ ना दिया, दिया तो अकेलापन मायूसी उदासियां, वक्त अकेला गवाह रहा रिश्तों की चिंदियां उड़ा चले गए अपनापन और मां-बाप के प्यार परवरिश को लंबी गाड़ी में बैठ धुआं बना के उड़ा गए। ©shaanvi #जिंदगी की धूप ✍️
#जिंदगी की धूप ✍️
read moreनवनीत ठाकुर
White सूरज की किरणों से पहले, चलो सैर पर निकलें, कोलेस्ट्रॉल के साये में, अपनी सेहत को चमकाएं। दिल के अरमानों को, ताज़गी से भर दें, संग हवा की लहरों में, जीने का मज़ा उठाएं। हर सुबह की पहली रौशनी, नयी उम्मीद लाएगी, चलो दोस्तों, अपनी जान की थोड़ी परवाह करें। ट्राइग्लिसराइड की चिंता को, हवा में उड़ाएं, सैर की इस खुशनुमा लम्हे में, खुशियों के रंग भरें। ©Navneet Thakur #सूरज की किरणों से पहले, चलो सैर पर निकलें, कोलेस्ट्रॉल के साये में, अपनी सेहत को चमकाएं। दिल के अरमानों को, ताज़गी से भर दें, संग हवा की लह
#सूरज की किरणों से पहले, चलो सैर पर निकलें, कोलेस्ट्रॉल के साये में, अपनी सेहत को चमकाएं। दिल के अरमानों को, ताज़गी से भर दें, संग हवा की लह
read morepuja udeshi
पूरी movie देखी......😮😮😮 फ़िल्म का hero राजकपूर जी खुद है और राजेंद्र kumar जी क़ो last मे भी out कर दिया यानि sucide करवा दिया गोली से, जब उसे हीरोइन मिल ही गई थी तो,, फिर राजेंद्र जी क़ो मारने की क्या जरुरत पड़ी, हीरोइन राज जी क़ो बदसूरत कहती है तब भी उसे समझ नी आता की वो उस से प्यार नहीं करती, अपने आप क़ो बहादुर दिखने जंग मे चला जाता है, और फिर लौट आता है मतलब राज जी मुझै phyco लगे, last मे जो शक करना, पागलपन का दौरा,,,, और 😮😮मतलब बकवास लग ड्रामा,,, ऐसा होता नी..... जो फ़िल्म देखेगा उसे राज जी पर ही गुस्सा आऐगा वो खुद praducer डायरेक्ट है फ़िल्म के जो end करे public तो बस,,,, देख कर यही बोलेगी की,,, राजेंद्र कुमार जी के साथ इन्साफ नहीं किया उन्हें end मे मार डाला...😢sad ©puja udeshi #समीक्षा #pujaudeshi satyam bhardwaj ꧁༒कृष्णा༒꧂ Sonu_0 Md Taha Aurangzeb pragati
#समीक्षा #pujaudeshi satyam bhardwaj ꧁༒कृष्णा༒꧂ Sonu_0 Md Taha Aurangzeb pragati
read moreJEETENDRA Sharma
जो दिल में वही लिखते हैं हम। क्यों कि उसके साये से भी डरते हैं हम ©JEETENDRA Sharma साये से
साये से
read moreShashi Bhushan Mishra
जीने की तैय्यारी में, कटती उम्र उधारी में, लेन-देन कारोबारी, गिनती हो संसारी में, बँटे हुए कुनबे अपने, पाण्डे,मिश्र,तिवारी में, हाथी,घोड़ा,ऊँट नहीं, पैदल पाँव सवारी में, मजदूरी की है ताकत, उड़िया,बंग,बिहारी में, जोते बिना बुआई हो, ऊरद, मूँग,खेसारी में, है मिसाल दोस्ती की, कृष्ण सुदामा यारी में, सुने पुकार द्रौपदी की, कृष्ण समाए साड़ी में, भव बाधा काटे गुंजन, रखो आस बनवारी में, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra #जीने की तैय्यारी में#
#जीने की तैय्यारी में#
read moreJashvant
White सफ़र की धूप में चेहरे सुनहरे कर लिए हम ने वो अंदेशे थे रंग आँखों के गहरे कर लिए हम ने ख़ुदा की तरह शायद क़ैद हैं अपनी सदाक़त में अब अपने गिर्द अफ़्सानों के पहरे कर लिए हम ने ज़माना पेच-अंदर-पेच था हम लोग वहशी थे ख़याल आज़ार थे लहजे इकहरे कर लिए हम ने मगर उन सीपियों में पानियों का शोर कैसा था समुंदर सुनते सुनते कान बहरे कर लिए हम ने वही जीने की आज़ादी वही मरने की जल्दी है दिवाली देख ली हम ने दसहरे कर लिए हम ने ©Jashvant सफर की धूप में Nandani patel Andy Mann Rakesh Srivastava Mukesh Poonia Sangeet...
सफर की धूप में Nandani patel Andy Mann Rakesh Srivastava Mukesh Poonia Sangeet...
read moreParasram Arora
White जीवन पथ पर मैंने ज़ब भी धूप से बचने के. लिये छाया को चुना..... जिंदगी को आलसी होने से न बचा सका लेकिन ज़ब भी मैंने धूप को चुना जिंदगी को पसीनो की सौगात मिली और मेरे होसलो मे गज़ब का इज़ाफ़ा हुआ ©Parasram Arora धूप छाया
धूप छाया
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