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Sandeep Kothar
भले ही कोई व्यक्ति कितना भी पढ़ा-लिखा हो, लेकिन जब किसी ने स्वार्थ इस विषय में महारत हासिल कर ली हो तो, उसकी सारी शिक्षा, ज्ञान और अनुभव महज एक कागज़ के पन्ने ही तो होते हैं। ©Sandeep Kothar भले ही कोई व्यक्ति कितना भी पढ़ा-लिखा हो, लेकिन जब किसी ने स्वार्थ इस विषय में महारत हासिल कर ली हो तो, उसकी सारी शिक्षा, ज्ञान और अनुभव म
भले ही कोई व्यक्ति कितना भी पढ़ा-लिखा हो, लेकिन जब किसी ने स्वार्थ इस विषय में महारत हासिल कर ली हो तो, उसकी सारी शिक्षा, ज्ञान और अनुभव म
read morekrishanpriya
White आपका दूसरे शहर से आकर मिलना जैसे कई दिनों बाद दिल को राहत मिलना जैसे दो नदियों का संगम होना और सौंदर्य को और निखार देना आपका फिर से वापस जाना हम दोनों की आंखों से आसू का झलक जाना गले लग कर रोना जैसे दो झरनों का बहना और विपरीत दिशा में चले जाना ©krishanpriya #Couple भले ही हमारे बीच में शहरों का फैसला क्यों ना हो मगर दिल आज भी करीब है जो सिर्फ एक दूसरे के लिए ही धड़कता है।
#Couple भले ही हमारे बीच में शहरों का फैसला क्यों ना हो मगर दिल आज भी करीब है जो सिर्फ एक दूसरे के लिए ही धड़कता है।
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} मेहनत करने वाले व्यक्ति का रास्ता, भले ही लम्बा हो, देर सवेर मंजिल मिलना तय है, लम्बा समय लगना उसके लिए मेहनत, सुभ कर्म करने के लिए मिलता है, ताकि उस तरक्की का अहसास और अनुभव मिल सके। जय श्री राधेकृष्णा जी। ©N S Yadav GoldMine #sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} मेहनत करने वाले व्यक्ति का रास्ता, भले ही लम्बा हो, देर सवेर मंजिल मिलना तय है, लम्बा समय लगना उसके ल
#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} मेहनत करने वाले व्यक्ति का रास्ता, भले ही लम्बा हो, देर सवेर मंजिल मिलना तय है, लम्बा समय लगना उसके ल
read moreबेजुबान शायर shivkumar
किसी कि महफ़िल में लूटे हम भी हैं किसी कि कहानी में झूटे हम भी हैं, ये ना सोचो कि सिर्फ़ बर्बाद तुम्हीं हो इस हादसे से तो न छूटे हम भी हैं, मुस्कुरा रहे हैं तो दिख रहें खुश सभी को वरना अंदर से टुकड़े टुकड़े टूटे हम भी हैं, आज तक चुप थे उनके डर से मगर आज मगर खुल कर फूटे हम भी हैं, भले ही कद्र ना हो आज उन्हें हमारी किसी के बंगले के गुल-बूटे हम भी हैं, हमें शिकायतें सिर्फ़ उन से ही नही हैं रूठी रूठी ज़िंदगी से तो रूठे हम bhi hai ©बेजुबान शायर shivkumar किसी कि #महफ़िल में लूटे हम भी हैं किसी कि #कहानी में झूटे हम भी हैं, ये ना सोचो कि सिर्फ़ #बर्बाद तुम्हीं हो इस #हादसे से तो न छूटे
Rakesh frnds4ever
White बदहाली में जो गुजरी सारी उम्र,, गुमनामी में जो गुजारी सारी साल.... मैं भले ही उतार डालूं बेशक अपनी खाल,, मालूम है मुझको तुम कभी ना पूछोगे मेरा हाल..... विडंबना है कि,, दिखावे को तो मैं कोई हिस्सा हूं, पर क्या? कहीं ना कोई, किसी भी चीज का मैं किस्सा हूं !!! जागे हुए कि तो मुमकिन ही नहीं, कभी सोते हुए भी ना आया है,ना आएगा ,,,,, तुमको कभी भी मेरा ख्याल,,,.... जनता हूं ;:!:;,,... तुम्हारे दिल की, मन की , भीतर की हर बात, हर राज, हरेक सोच विचार,,, पर तुम क्या जानो कि,,, पागल है, बुद्धू है , मूर्ख है बावला है जो कि मैने,,, कभी किया ना कोई सवाल!!!! बदहाली की जो तुमने मेरी सारी उम्र,, घूटन में जो चल रही मेरी सभी साल देखना कभी मुझमें उमड़ेगा कोई भूकंप और अंतर्मन की विवशता और जर्जता की लावा और ज्वाला से धधकेगा, कोई भूचाल लेकिन बाहर नहीं अंदर!!!! ©Rakesh frnds4ever #बदहालीमेंजोगुजरीसारीउम्र,, #गुमनामी में जो गुजारी सारी साल.... मैं भले ही उतार डालूं बेशक अपनी #खाल , मालूम है मुझको तुम कभी ना पूछोगे #मे
#बदहालीमेंजोगुजरीसारीउम्र,, #गुमनामी में जो गुजारी सारी साल.... मैं भले ही उतार डालूं बेशक अपनी #खाल , मालूम है मुझको तुम कभी ना पूछोगे मे
read moreANATH SHAYAR
उम्र भले ही छोटी हो ,लेकिन मेहनत बड़ी होनी चाहिए #follow #Motivation #SAD #Trending #trendingshorts हिंदी गाना वीडियो
read moreManya Parmar
नाम भले ही गांव का लिया हो लेकिन हर शहर हर गांव के हर अनुभवी माता पिता, उनके कमाने और जमाना जानने वाली मॉडर्न जमाने के भाईयो ने खाया बच्चियो
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था। तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।" जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे। फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?" लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ ChatGPT can make ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
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