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Ketan Apte
मजबूरी में आप कितना भी खुद को शांत रखे, दुनिया तुम्हारी हर आदत का शुमार कर रही है। ©Ketan Apte दुनिया तुम्हारी हर आदत का शुमार कर रही है। -केतन आपटे #NatureLove #habbits #ketanapteshayari #ketanapte #ketanaptepoetry #ketan #hindisha
दुनिया तुम्हारी हर आदत का शुमार कर रही है। -केतन आपटे #NatureLove #habbits #ketanapteshayari #ketanapte #ketanaptepoetry #Ketan hindisha #hindishayari #विचार
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जिम्मेदारी की लपेट में आ कर, मालूम नही पड़ा दिन कैसा गया तूम झूठ बोलकर रास्ता काट रहे हो, और ये साल भी तुमको सच बताके गया। ©Ketan Apte जिम्मेदारी की लपेट में आ कर, मालूम नही पड़ा दिन कैसा गया तूम झूठ बोलकर रास्ता काट रहे हो, और ये साल भी तुमको सच बताके गया। *© केतन आपटे*
जिम्मेदारी की लपेट में आ कर, मालूम नही पड़ा दिन कैसा गया तूम झूठ बोलकर रास्ता काट रहे हो, और ये साल भी तुमको सच बताके गया। *© केतन आपटे* #Top #hindishayari #hindi_poetry #जानकारी #Ketan #ketanaptepoetry #ketanapteshayari #ketanaptewriter
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मैंने फिर उसके दिल का किस्सा सुन लिया। पता नही, उस दिन मैंने क्या समझकर बोल दिया। मेरे खाँसी पे वोह ना जाने क्या शक करती है, उस दिन से मैंने चाय में अदरक डालना छोड़ दिया। ©Ketan Apte मैंने फिर उसके दिल का किस्सा सुन लिया। पता नही, उस दिन मैंने क्या समझकर बोल दिया। मेरे खाँसी पे वोह ना जाने क्या शक करती है, उस दिन से मैं
मैंने फिर उसके दिल का किस्सा सुन लिया। पता नही, उस दिन मैंने क्या समझकर बोल दिया। मेरे खाँसी पे वोह ना जाने क्या शक करती है, उस दिन से मैं #Tea #Jindagi #Shayari #gazal #hindi_poetry #hindi_shayari #TeaDay #ketanapte #ketanaptepoetry #ketanapteshayari
read moreDr Garima tyagi(अक्षरश : हिंदी साहित्य dg)
🙏🙏 शत शत नमन🙏 🙏🙏नमन🇮🇳🇮🇳 (कविता ) है शत शत नमन उन वीरों को मेरा, नगराज सम विशाल ज़ज्बा लिये, वैश्विक फ़लक पर केतन जिन्होंने फहरा दिया, कर्ज़ वसुधा का भी उन्
🙏🙏नमन🇮🇳🇮🇳 (कविता ) है शत शत नमन उन वीरों को मेरा, नगराज सम विशाल ज़ज्बा लिये, वैश्विक फ़लक पर केतन जिन्होंने फहरा दिया, कर्ज़ वसुधा का भी उन् #EscapeEvening
read moreराजेश कुशवाहा 'राज'
चितवन में है धरी चित्र सी, जीवन उमंग भरती तरंग सी, यूँ रूठकर मुझको सताती, चुपके से सागर भर जाती। तिमिर घना हो अमावसी सी, उजियारा दे पूरनमासी सी, हृदय पटल पर ज्ञान चक्षु सी, यूँ प्रेरक बुद्धि भर जाती, खामोशी हो प्रलयकाल सी, भरा प्रेम है सृष्टि सृजन सी, मन मंदिर को पावन करती, देवी सी प्रतिमा हो जाती, छवि हृदय में है केतन सी, यूँ पहचान बनीं श्यामल सी, नूपुर ध्वनि सी आह्लादित करती, पाजेबों से संगीत निकलती, "राज" प्रेम है सावन बसंत सी, यूँ "प्रिय" है कृष्ण की राधा सी, है रविकर-पुंज सी ये चलती, नित नवीन ऊर्जा को भरती, कल-कल करती नदियों सी, होती आच्छादित यूँ नीरव सी, यूँ कोयल सी कलरव करती, मधुकर सी शीतल मधु भरती, चमक रूप की है चाँद सी, है काया सुंदर सोने सी, हिरण चाल सी वो चलती, कोमल पुष्प सी वो खिलती, ©राजेश कुशवाहा -------प्रेयसी-------- चितवन में है धरी चित्र सी, जीवन उमंग भरती तरंग सी, यूँ रूठकर मुझको सताती, चुपके से सागर भर जाती। तिमिर घना हो अमावसी
-------प्रेयसी-------- चितवन में है धरी चित्र सी, जीवन उमंग भरती तरंग सी, यूँ रूठकर मुझको सताती, चुपके से सागर भर जाती। तिमिर घना हो अमावसी #standAlone #कुशवाहाजी
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