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N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} 🌺 निश्चयात्मक ज्ञान तो केवल बुद्धि को होता है, और सही बुद्धि हमारे सुभ-अशुभ कर्मो से भगवान श्री कृष्ण प्रदान करते हैं, अन्य कोई नहीं? ©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey} 🌺 निश्चयात्मक ज्ञान तो केवल बुद्धि को होता है, और सही बुद्धि हमारे सुभ-अशुभ कर्मो से भगवान श्री कृष्ण प्रदान करत
{Bolo Ji Radhey Radhey} 🌺 निश्चयात्मक ज्ञान तो केवल बुद्धि को होता है, और सही बुद्धि हमारे सुभ-अशुभ कर्मो से भगवान श्री कृष्ण प्रदान करत
read morePratibha Chaudhry (PC)
बालक बुद्धि और बैल बुद्धि में एक अंतर होता है बालक बुद्धि एक समय परिपक्व हो जाता है और उसे न पहचाने ने का नाटक करने वाले भी जी बोल के बोलना शुरू करते है और बैल बुद्धि पैदा भी बैल ही लेता है जवानी भी बैल ही रहता है और बैल बुद्धि के संग ही यमराज से सवाल जवाब करने चल देता है 🙏 ©Pratibha Chaudhry (PC) बैल बुद्धि
बैल बुद्धि
read moremanoj kumar jha"Manu"
हे अर्जुन! जो तमोगुण से घिरी हुई बुद्धि अधर्म को भी "यह धर्म है"ऐसा मान लेती है तथा संपूर्ण पदार्थों को भी विपरीत मान लेती है वह बुद्धि तामसी है।। श्रीमद्भगवतगीता १८/३२ तामसी बुद्धि
तामसी बुद्धि
read morekishan mahant
अगर मैं रावण होता तो रावण अपने बहन कि बेजती का बदला ले रहे थे और बदला सीता से नहीं राम से ले रहे थे कियो की रावण जानता था कि राम सीता से कितना प्रेम करते थे तो रावण ने सीता को उठा कर ले गया और अशोक वाटिका में रखेथे और कुछ भी नहीं किया चाहता तो कुछ भी कर सकता था पर किया नहीं कियोकि राम से युध करना चाहते थे रावण रावण बहन की बेजती सहन नहीं कर पा रहे थे और कुछ नहीं #रावण बुद्धि
#रावण बुद्धि
read moreRajesh Kumar
बुद्धि सबके पास है चालाकी करनी है या ईमानदारी यह सब संस्कारो पर निर्भर करती है, चालाकी चार दिन चमकती है, ईमानदारी जिंदगी भर निकटता बनाये रखती है। ©Rajesh Kumar #बुद्धि सबके
#बुद्धि सबके
read moreBenam Shayar
शिक्षा ऐसा वृक्ष है जो दिल में उगता है दिमाग में पलता है और जुबान से फल देता है...।। ©Vipin Maurya #बुद्धि #ज्ञान
HP
“वह पापी है दुष्ट नराधम, उसके पास न जाना । उसे देखना छूना मानो, शिर पर पाप चढ़ाना ॥” “भाई सच कहते हो, लेकिन, पावन किसका तन है? रक्त माँस मल मूत्र आदि से, रहित कौन सा जन है? आत्मा तो सब की समान है, सुन्दर शुचि अविनाशी । सब में सदा समान बिराजें, शम् कर घंट घटवासी।” “कर्म बुरे करता है” लेकिन, ‘गहन कर्म गति’ भाई । क्या अच्छा क्या बुरा न परिभाषा इसकी हो पाई ॥” मानव की अपूर्ण प्रज्ञा-क्या, बेचारी ने जाना । कुछ आसान नहीं है जग में, ‘बुरा भला’ बतलाना ॥ प्रभु के इस पावन प्राँगण में, किसको दोष लगाऊं उसकी पुण्य पूत कृतियों को, कैसे बुरा बताऊ॥ किससे द्वेष करूं? किससे बदला लूँ? किसकों मारूं? किसे विपक्षी समझूँ किसकी सेना को संहारूं? आत्म बुद्धि
आत्म बुद्धि
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