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Alok tripathi
यहां दरख्तों के साए में धूप लगती है। चलो यहां से चले उम्र भर के लिए।। दुष्यंत कुमार ©Alok tripathi राजनीति की पराकाष्ठा का वर्णन #vacation
राजनीति की पराकाष्ठा का वर्णन #vacation
read moreEk villain
रोज की सेना ने लगातार यूक्रेन में गूंजती जा रही है पूरी दुनिया से शुरू से लेकर आ गए एहसास दिख रही है वह आरती पर बिंदु और विरोधियों से आगे नहीं बढ़ पा रही है वह मात्र चार पर चार करोड़ की आबादी वादियों के विरोधी अमले को डटकर मुकाबला करना है यही कारण है कि मेक्सिको ने अपने परमाणु दस्ते को सक्रिय कर दिया यह संकेत करता है कि रोज मौजूदा संकट लंबा खींचता ग्रुप से बाहर करना और अमेरिका के सैन्य मदद देने से लोगों को राहत मिलेगी रखते हैं और मिसाल नहीं मिलती पूर्ववर्ती सोवियत संघ के साम्राज्यवादी शिरडी वाले गौरव शील अस्मिता बोध से और प्रेरित रूसी हमले में सुप्रभात राष्ट्रीय की पहचान समाप्त होने के संकट वास्तव में वित्तीय संचालित अंतरराष्ट्रीय की परीक्षा लेने वाला है जब दुनिया कोविड-19 के कोप से बाहर निकलने में जुटी थी तब रूसी हमले ने वैश्विक राजनीतिक अस्थिरता को और बढ़ा दिया इस वैश्विक शांति सुनिश्चित करने के दायित्व से बंधी संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं को भूमिका एवं प्रसंगिकता पर नए सिरे से प्रसन्न चिन्ह लगा दिए हैं कमजोर बहुसंख्यक इसी प्रकार वोटों से लैस ताकतवर अल्पसंख्यक प्रभाव कारी हो जाती है इसे देखते हुए संयुक्त राष्ट्र में सुधार हो गए हैं आखिर ये शर्मनाक स्थिति है कि आक्रांत कि अपने विरोधी बन जाए ©Ek villain #मानव सभ्यता की परख का समय #Moon
Hema Kushwaha
मैं तो सिर्फ कोरे कागज भरती जाती हूं। मन मे जो ख्याल ,उसे कोरे कागज पर उतार देती हूं। जिंदगी जीने में जो हलचल और ठोकरे मिली उसे ही कागज पर उभार देती हूं। ह्रदय में जो सुख दुख के भाव उत्पन है उसे ही कोरे कागज पर लिखती रहती हूं। अपने अरमां को युही व्यक्त किये जाती हूं। सबकी सुनती हु पर अपनी ही करती हूं। मैं तो मस्त मौला हु आज़ाद पंखी की तरह उड़ती हु। जिंदगी का कोई भरोसा नही फिर भी हस्ती रहती हूं। मैं तो सिर्फ........ विचारों का वर्णन
विचारों का वर्णन
read moreParasram Arora
ज़ब मानवता प्रकाश की नदी बनकर सीमित से असीमित की तरफ या प्रकाश की नदी.बन कर अनादि से अनंत क़ि ओर प्रवाहशील होकर बहने लगती है तो लगता है मानव ने सभ्यता की आकाशगंगा को पार कर लिया है और उस कल्पवृक्ष को भी खोज लिया है जो मानव की हर ख्वाहिश को पूरा करने क़े लिए कटिबद्ध है ©Parasram Arora #सभ्यता की आकाशगंगा......
#सभ्यता की आकाशगंगा......
read moreDeepak satyarthi
।।पुरानी खोज।। आजकल हमारे देश मे लोग संस्कृति और सभ्यता को भूल रहे है मिट्टी को दिए छोड़ कर कसा और पीतल की दिया जला रहे है हम अपना संस्कृति पर मध्य नजर डाले तो मिट्टी ही खाना कैसे मिट्टी से अनाज की उत्पत्ति और उपज इतना ही नही मिट्टी ही स्वर्ग वाश मिट्टी ही महल सारी दुनिया मिट्टी ही मिट्टी साहब तो अपना सभ्यता और संस्कृति को जिंदा रखिये भारत की सभ्यता
भारत की सभ्यता
read moreKAVI RAMDAS GURJAR
याद आती है मुझको,भी मा के सुन्दर आंचल की। याद आती है मुझको भी,उस छोटे से आंगन की।। याद मित्र बचपन के आते,जिनके संग में झूमा हूँ। याद पिता के कंधे आते,जिनपर बैठे घूमा हूँ।। आती याद मुझे भी,उस पहली पहली रात की। याद आती है पहली पहली,मुलाकात की।। याद आ जाता है वो ,काजल नई दुल्हन की आंखों का। कोई मोल नहीं दे सकता,इन गहरी जज्बाती यादों का।। याद आती है मुझको,उसकी मीठी मीठी,बातों की। याद आती है गीली मेंहदी,उन कोमल कोमल हाथों की।। पायल की झनकार गूंजती,मेरे दोनों कानों में। ज्यों कोई कोयल बोल रही है, सुन्दर से बागानों में।। कंगना खनके , मुझे बुलायें दिल तार तार हो जाता है। मीठी मीठी यादों में,मन मेरा खो जाता है।। कवि रामदास गुर्जर सरहद पर बैठे फौजी की यादों का वर्णन
सरहद पर बैठे फौजी की यादों का वर्णन
read moreSuraj Gupta Bagi
ये ज़माने के लोग नही कर रहे है कदर, घर में पत्नी तो बेघर हो रही है मदर, उस माँ का ममता का एहसास करो, जिसने तुमको पाला उसे तो प्यार करो! #OpenPoetryमाँ ममता का वर्णन
#OpenPoetryमाँ ममता का वर्णन
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