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रघुराम
White फिक्र ना कर उम्र ए ढलान की। रहलत ने बक्शी है उम्र सौ साल की।। होगे पूरे जब उम्र सौ साल की आयोजन करना महफिल ए यारॉ की। नज्म जब छिङेगे महफिल मे यारो की मधुर आवाज गूॅजेगी महफिल यारो की।। गूॅजेगी तालियॉ महफिल मे यारो की। ©रघुराम #good_night सौ साल
#good_night सौ साल
read moreImran Shekhani (Yours Buddy)
आज को जियो #Original #ownvoice #thought #lifequotes #philosophical #fundaoflife #YoursBuddy #YoursImran
read moreRAVI PRAKASH
White जिंदगी को खुश रहकर जियो, क्योंकि रोज शाम सिर्फ सूरज जी नहीं ढलता… आपकी अनमोल जिंदगी भी ढलती है!! ©RAVI PRAKASH #happy_diwali जिंदगी को खुश रहकर जियो, क्योंकि रोज शाम सिर्फ सूरज जी नहीं ढलता… आपकी अनमोल जिंदगी भी ढलती है!!
#happy_diwali जिंदगी को खुश रहकर जियो, क्योंकि रोज शाम सिर्फ सूरज जी नहीं ढलता… आपकी अनमोल जिंदगी भी ढलती है!!
read moreMahesh Chekhaliya
छोटी सी जिन्दगी है, हस कर जियो लौटकर सिर्फ यादें आती है, वक्त नही ।। ©Mahesh Chekhaliya #BhaagChalo 100 छोटी सी जिन्दगी है, हस कर जियो लौटकर सिर्फ यादें आती है, वक्त नही ।।
#BhaagChalo 100 छोटी सी जिन्दगी है, हस कर जियो लौटकर सिर्फ यादें आती है, वक्त नही ।।
read moreHimanshu Prajapati
White हर साल एक साल बीत जाता है, फिर भी लोगों को लगता है उनकी उम्र बढ़ रही है..! ©Himanshu Prajapati #Sad_Status हर साल एक साल बीत जाता है, फिर भी लोगों को लगता है उनकी उम्र बढ़ रही है..! #hpstrange #36gyan
#Sad_Status हर साल एक साल बीत जाता है, फिर भी लोगों को लगता है उनकी उम्र बढ़ रही है..! #hpstrange #36gyan
read moreranjit Kumar rathour
आज़ से पचीस साल पूर्व ढेर सारी नसीहतो के साथ पापा ने मुझे पटना तब भेजा था ज़ब गांव का सामान्य आदमी शायद हीं हिम्मत जुटा पाता था पापा ने बस स्टैंड तक छोड़ा था और भाई भागलपुर स्टेशन तक हम दो भाइयों को ट्रेन मे छोड़ने बोला नहीं था कुछ लेकिन नजरो से एक वादा ले लिया था जाओ आप पापा के सपने बनाना मंझला था बोला हमें नहीं पढ़ना तब हम नहीं समझ पाए थे लगा ये शैतानी कर रहा है अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहा है आज ज़ब समझा तो लगा की हम बड़े होकर भी कितने छोटे हप गए और मेरा छोटा कितना बड़ा हप गया ठीक 25साल बाद वही नजारा सामने था बस स्टेशन दूसरा था मुझे नहीं मै छोड़ने आया था अपने दोनों बेटों को लेकिन इस बार नसीहत मेरे थे और उम्मीदों को बोझ बेटों पर उदास ट्रेन मे सवार पटना जाने के लिए एक तपस्या के लिए घर से दूर हा बेटे यही है दस्तूर हा यही है दस्तूर ©ranjit Kumar rathour पचीस साल बाद
पचीस साल बाद
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