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Ajay Garg
White मेरे देश में हैं भेष कई सभी के मन में हैं द्वेष कई, मेहनत करता यहां किसान है, अपनों से बिछड़ता हर इंसान है, स्मार्ट होने का यह युग है, लोग कहते हैं यही तो कलियुग है, धर्म का यहां शोर है, भर्म का न कोई तोड़ है, खैर समझाने के हम हकदार नहीं, अपनों से यहां कइयों को प्यार नहीं, खुले बाजार में बिकती यहां जवानी भी है, देश के लिए कुर्बान होती कहानी भी है समेटने को यहां यादें भी है, भूल जाने वाले वादे भी है। फिर भी देश यह हसीन है। ©Ajay Garg #quit_india_movement #मेरादेश #भारत #भारत🇮🇳 #किसान_का_सम्मान_करो
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read moreRam Yadav
bharat quotes धर्म की अफीम में डूबा हिटलर अपने आपको उद्धारक समझता था करोड़ों लोगों की जान जाने के बाद अंतिम गोली जब उसने खुद पर चलाई होगी तब झूठे धर्मों और सच्ची प्रकृति की व्याख्या समझ आई होगी।।।।।।। शिया सुन्नी शैव वैष्णव हीनयान महायान कैथोलिक बैपटिस्ट 😏 सब इंसानियत से ऊंचे हैं 😔 क्या हमें सिर्फ इंसान बने रहने दे सकते हो?????? हजारों सालों से जीवित एक संस्कृति को,, उसके पेड़ उसकी नदियां उसके पत्थर उसके कुएं उसके खेत उसके जानवर उसकी मिट्टी..... पूजने दो🙏🏻 ©Ram Yadav #भारत #अध्यात्म #संस्कृति
Pratibha Chaudhry (PC)
अच्छा हुआ रतन टाटा सर ने शादी नही की जब सर ऊपर भगवान से मिले होंगे और भगवान ऊपर से नीचे सर के परिवार को देखा होगा तो चकित होंगे की रतन सर का परिवार इतना बड़ा है की उनके लिए भारत की हर आंख नम है ©Pratibha Chaudhry (PC) भारत रत्न रतन
भारत रत्न रतन
read morePratibha Chaudhry (PC)
White रतन टाटा एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्हे अच्छे से हिंदी बोलनी नही आती थी फिर भी वो देश के उस तबके की भी पसंद है जो कभी स्कूल नही गए जिन्होंने सिर्फ नाम सुना है की देश में एक ऐसा इंसान भी है जो हारे हुए इंसान को भी ऊर्जा देता है 😢🙏😢 ©Pratibha Chaudhry (PC) भारत रत्न रतन टाटा
भारत रत्न रतन टाटा
read moreShailendra Anand
White रचना दिनांक,,,1,,,10,,,,,2024,, वार,,, मंगलवार समय सुबह छह बजे, ,,,,,,निज विचार,,,,, ,,,,,,,,,,शीर्षक,,,,,,, ््््््छाया चित्र में दिखाया गया नीले गगन में सुर्य रश्मि प्रभा सी,, स्वर्णिम किरणों का पीत वर्ण वरण करती धरा पर दृश्यावलोकन में, नदियों के ब़ीज पर आवागमन चहलकदमी कर देख रहा है।। मनुष्य में, प्राकृतिक प्रकृति से प्रेम करते जल जलाशय में कलकल बहती जलधाराओं के ,बहती हुई नदी में अपनी सुन्दरता में दरशणात चाहत में, एक सौन्दर्य छटा बिखेरती नजर आ रही है,,प्रेम मूर्ति प्रेम शब्द संसार जगत में ऐसे ही सुन्दर सी कविता चित्र भाव संदेश भाव भंगिमा दीप प्रज्जवलित कर मन को प्रफुल्लित कर देख रही है्््् आ रही है प्रेम शब्द में प्राणपण लफ्ज़ निकले,, ध्वनि से नयन में भरे जल बह निकले तन मन से धुन में मस्त हो राग रंग में रंगे है धूम धाम से मनाया गया है, पर्व काल अश्विन मास शुक्ल पक्ष नवरात्रि पर्व का मंगल कारकं दिव्य आयोजन है आमन्त्रित हैं ।। गन्धर्व नगरी मध्यप्रदेश देवास में खुशहाली और उसके परिणाम,, मां चामुण्डा देवी तुलजा भवानी, महाकाली जी के प्रांगण में , आयोजित नवरात्र का मनोरम दृश्य से सजाया गया,, और उसके अध्यात्मिक दर्शन से मन प्रसन्न हो ,, प्यारा सा जीवन में एक पूजा एवं मंत्र जाप करने वाले अच्छे लगते है।। विधि करहु विविध संस्कार जग में जगदीश्वरी मां शब्दों में आनंद हो,, जीवन मंत्र शक्ति अखण्ड दिव्य चक्षु संवरचनानिर्राकारंओकारं आत्मज्योतिनवपिण्ड धर्मश्रंखला में महान् शिवतत्व शिवअंततत्व में गिरजा देवी को सादर नमन वन्दंनीय है।। ्््््््््कवि शैलेंद्र आनंद ््् 1,,,10,,,,2024,,, ©Shailendra Anand #sad_qoute अध्यात्म चेतना जागृत ज्ञान दर्शन कर देख रहा है ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
#sad_qoute अध्यात्म चेतना जागृत ज्ञान दर्शन कर देख रहा है ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
read moreRam Yadav
जानता हूं कि मेरी संस्कृति से ज्यादा वैज्ञानिक और चिरंजीवी कोई पद्धति नहीं है।।। यकीन मानो गाय भैंसों को चराता, दिन भर बकरियां हांकता मैं, भारत का जंगली हूं।।।।।।। वैसे सिर्फ एक ही सवाल है मेरा द्रोणाचार्य ने एकलव्य से अंगूठा क्यों मांगा था?????? इस वक्त प्रेमचंद की कहानी ठाकुर का कुंआ पढ़ रहा हूं 😌 सच बताना काफ़िर, ऊंच नीच, शिया सुन्नी, सिख, कैथोलिक प्रोटेस्टेंट, हीनयान महायान वगैरह वगैरह कितना जानते हो? अगर जानते हो, तो क्या? वाकई, तुम इंसान हो???????? ©Ram Yadav #अध्यात्म #भारत #संस्कृति
Ram Yadav
अगर सात फेरे समझ लिए होते...... तलाक़ का कोई किस्सा न होता।।।। ©Ram Yadav #भारत #अध्यात्म #संस्कृति
Ram Yadav
White ये सारे देवता,,, जंगल, नदियों, पेड़ों, जानवरों, पहाड़ों.... के पास क्यों मिले???? क्यों वो कंक्रीट के साम्राज्य में अध्यात्म नहीं खोज पाए???????? ऊर्ध्वमूलमधःशाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम् । छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदबित् ।। गीता : 15.1 ।। हरि ॐ ©Ram Yadav #Krishna #अध्यात्म #भारत #पर्यावरण