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राजेश तिवारी "रंजन"
जश्न है जोश का...और इस कदर सर पर जुनून छाया है, के आजादी के इस अमृत महोत्सव पर..जन जन ने तिरंगा लहराया है।। ।।जय हिन्द।। ©राजेश तिवारी "रंजन" आजादी का अमृत महोत्सव
आजादी का अमृत महोत्सव #कविता
read moreSuresh Kumar Chaturvedi
स्वतंत्रता सेनानी वामन नारायण जोशी आजादी का अमृत महोत्सव जिला अहमदनगर तहसील अकोले महाराष्ट्र सन १८८९ समशेरपुर गांव में वामन नारायण जोशी का जन्म हुआ नासिक में शिक्षा के दौरान सावरकर जी से संपर्क हुआ क्रांति दल मित्र मेला अभिनव भारत में सक्रिय रहे तात्कालीन अंग्रेज कलेक्टर नासिक आर्थर एम जैक्सन मर्डर केस में काला पानी जैल गए इसी कलेक्टर ने सावरकर को आजीवन करावास कराया था वंदे मातरम पर प्रतिबंध, तांबे शास्त्री को वंदी बनाया था एक नाट्य गृह में क्रांति वीर अनंत लक्ष्मण कान्हेरे, विनायक देशपांडे और कृष्णा जी कर्वे ने गोली मार उड़ाया था उस मर्डर केस में मुख्य योजनाकार आरोपी, वामन नारायण जोशी को बनाया था ४०किलोमीटर गांव मारते हुए पैदल हथकड़ी डाल लाया था पेशे से अध्यापक को अंग्रेजों ने बहुत सताया था ढेर यातनाएं दीं अंग्रेजों ने, साथियों का नाम नहीं बतलाया था खासकर सावरकर जी का नाम बताने पर सजा माफ करने का लालच दिखलाया था अंडमान जैल में लिखा दूसरे नंबर पर नाम, आज भी गाथा गाता है भारत माता पर सर्वस्व लुटाने की, प्रेरणा हमको दे जाता है। सुरेश कुमार चतुर्वेदी ©Suresh Kumar Chaturvedi #आजदी का अमृत महोत्सव
#आजदी का अमृत महोत्सव #पौराणिककथा
read moreSuresh Kumar Chaturvedi
जब अंग्रेजी सत्ता ने, भारत में जड़ें जमा लीं थीं गुलाम हुए भारत वासी, में भारत माता थी कैद हुआ था आसमान,हर ओर फिजाएं काली थीं अत्याचारों का दौर था वो, सत्ता मद में मतवाली थी जब सारे झंडे पस्त हुए,राज सभी के ध्वस्त हुए कैद हुई सोने की चिड़िया, अंग्रेज लूट में मस्त हुए तब तिरंगा सामने आया था,सोया स्वाभिमान जगाया था मातृभूमि की आजादी को,जन जन में जोश जगाया था थाम तिरंगा वंदे मातरम,कफन बांध कर गाया था मातृभूमि के लिए समर्पित, सीने पर गोलियां खाते थे नहीं तिरंगा झुकने देते थे,चाहे जान गंवाते थे ढेरों यातनाएं सहकर भी, वंदेमातरम गाते थे सन १८५७ से १९४७ तक, लगातार संघर्ष चले मातृभूमि की वलिवेदी पर, असंख्य वीरों के शीश चढ़े आखिर जन जन का प्यारा तिरंगा,लाल किले पर लहराया खत्म हुआ गुलामी का साया,देश ने जस्न मनाया आओ मिलकर मातृभूमि के, चरणों में शीश झुकाएं श्रद्धा से अपने घर पर,आज तिरंगा फहराएं आजादी के अमृत महोत्सव पर, शहीदों को शीश नवाएं जय हिन्द 🙏 ©Suresh Kumar Chaturvedi आजादी का अमृत महोत्सव
आजादी का अमृत महोत्सव #समाज
read moreसर्वज्ञ ठाकुर
हम बढे सफलता की उस राह में जहाँ वर्चस्व हमारा हो,,वसुधैव कुटुंबकम का नारा हो विश्वगुरु भारत हमारा हो!! 🖋️बउवा सिंह ©thakur sarwagya pratap singh urf bauva singh singh आजादी का अमृत महोत्सव
आजादी का अमृत महोत्सव #शायरी
read moreSuresh Kumar Chaturvedi
जब अंग्रेजी सत्ता ने, भारत में जड़ें जमा लीं थीं गुलाम हुए भारत वासी, में भारत माता थी कैद हुआ था आसमान,हर ओर फिजाएं काली थीं अत्याचारों का दौर था वो, सत्ता मद में मतवाली थी जब सारे झंडे पस्त हुए,राज सभी के ध्वस्त हुए कैद हुई सोने की चिड़िया, अंग्रेज लूट में मस्त हुए तब तिरंगा सामने आया था,सोया स्वाभिमान जगाया था मातृभूमि की आजादी को,जन जन में जोश जगाया था थाम तिरंगा वंदे मातरम,कफन बांध कर गाया था मातृभूमि के लिए समर्पित, सीने पर गोलियां खाते थे नहीं तिरंगा झुकने देते थे,चाहे जान गंवाते थे ढेरों यातनाएं सहकर भी, वंदेमातरम गाते थे सन १८५७ से १९४७ तक, लगातार संघर्ष चले मातृभूमि की वलिवेदी पर, असंख्य वीरों के शीश चढ़े आखिर जन जन का प्यारा तिरंगा,लाल किले पर लहराया खत्म हुआ गुलामी का साया,देश ने जस्न मनाया आओ मिलकर मातृभूमि के, चरणों में शीश झुकाएं श्रद्धा से अपने घर पर,आज तिरंगा फहराएं आजादी के अमृत महोत्सव पर, शहीदों को शीश नवाएं जय हिन्द 🙏 ©Suresh Kumar Chaturvedi आजादी का अमृत महोत्सव
आजादी का अमृत महोत्सव #समाज
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