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Shivkumar barman
White दीपावली का पर्व करता मुझसे यही प्रस्तवाना आत्मिक संप्रभुता की हृदय में करूं संस्थापना सादगीयुक्त नवीन सुन्दरता जीवन में अपनाऊं मन को सुकून देने वाला संदेश सबको सुनाऊं अपने घर की तरह मन बुद्धि भी स्वच्छ बनाऊं दिव्य गुणों सुगन्ध से अपना हृदयतल महकाऊं मन का अंधेरा मिटाने वाला दीपक मैं जलाऊं हर आत्मा का मुख मण्डल देदीप्यमान बनाऊं सम्मानयुक्त मीठे बोल वाणी से सबको सुनाऊं सुख शांति भरी शुभकामना सबको देता जाऊं ©Shivkumar barman *दीपावली पर्व की शुभकामना* दीपावली का पर्व करता मुझसे यही प्रस्तवाना आत्मिक संप्रभुता की हृदय में करूं संस्थापना सादगीयुक्त नवीन सुन्दरता
*दीपावली पर्व की शुभकामना* दीपावली का पर्व करता मुझसे यही प्रस्तवाना आत्मिक संप्रभुता की हृदय में करूं संस्थापना सादगीयुक्त नवीन सुन्दरता
read moreIG @kavi_neetesh
White *मनहरण घनाक्षरी* ==================== प्रातकाल जागकर रवि को नमन कर, *हृदय आनंद भर सब मुसकाइए* | व्यस्त हैं मनुज सभी सजाने में घर अभी , *उत्सव सुखद रहें देव धरा आइए* | धन धान्य पूर्ण सदा वसुधा हमारी रहे , *ऐसे उपहार कर प्रभु आप लाइए* | भास्कर भुवन रवि दिव्य अरु तेज छवि , *नीतेश नमन करें तिमिर मिटाइए* ||१ 🪷🪷 *रूप चतुर्दशी की सभी को हार्दिक बधाई*🪷🪷 नरक निवारती ये पाप की विमोचनी ये, *कार्तिक चतुर्दशी जप दान कीजिए*| जप व्रत करें नर रमा पति देते वर, *आनंद जगत पर मोक्ष वर लीजिए*| जग का तिमिर हरे दीपक प्रकाश भरे, *दारिद्र मिटाने मात रमा वर दीजिए*| दुष्टता से मुक्ति मिले उर भाव शुभ पलें, *व्रत ले नीतेश आज भक्ति रस पीजिए*||२ ©IG @kavi_neetesh *मनहरण घनाक्षरी* ==================== प्रातकाल जागकर रवि को नमन कर, *हृदय आनंद भर सब मुसकाइए* | व्यस्त हैं मनुज सभी
*मनहरण घनाक्षरी* ==================== प्रातकाल जागकर रवि को नमन कर, *हृदय आनंद भर सब मुसकाइए* | व्यस्त हैं मनुज सभी
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White “ निशीथ का दिया “ तुम जलो , जलना तुम्हें है तुम चलो , चलना तुम्हें है पथ तुम्हें दुर्गम मिलेंगे मन तुम्हारा वह छलेंगे हारकर रुकना नहीं है टूटकर झुकना नहीं है जय विजय का प्रण लिए निर्भीक पग चलना तुम्हें है तुम जलो, जलना तुम्हें है।। दिव्यता का दीप तुम हो सजग प्रहरी वीर तुम हो चिर निरंतर जल रहा जो धर हृदय वह धीर तुम हो सृष्टि के कल्याण परहित कठिन पथ चलना तुम्हें है तुम जलो, जलना तुम्हें है।। रोशनी के तुम शिखर हो तिमिर के शत्रु प्रखर हो हो रहा जो रण अटल उस सभ्यता का दीप तुम हो घोर गहवर इन तमों से लड़ना सदा डटकर तुम्हें है तुम जलो , जलना तुम्हें है ।। ©IG @kavi_neetesh #GoodMorning प्रेम कविता देशभक्ति कविताएँ कविताएं कविता कोश हिंदी कविता “ निशीथ का दिया “ तुम जलो , जलना तुम्हें है तुम चलो , चलना तुम्ह
#GoodMorning प्रेम कविता देशभक्ति कविताएँ कविताएं कविता कोश हिंदी कविता “ निशीथ का दिया “ तुम जलो , जलना तुम्हें है तुम चलो , चलना तुम्ह
read moreबेजुबान शायर shivkumar
तुम मुझे मिलोगी जब ये बनारस की घाट पर उस दिन मां गंगा की शांत लहरों में समंदर सा उफ़ान आयेगा ! तुम्हारे नेत्रों में दिखेंगे जब गंगा में चमकते दिए ! उस दिन उन लहरों को अभिमान होगा तुम्हारे नेत्रों में चमकने का ! उस दिन संभवतः मेरा हृदय तुमपे पार पाएगा ! संभवतः कुछ ना भी दिख इस संसार में फिर भी तुम्हारी आस में ये हर धाम जाएगा ! तुम स्वीकार लो जो मेरा प्रेम तोविजयी है यह , अन्यथा, मेरा हृदय संसार से हार जाएगा । ©बेजुबान शायर shivkumar तुम मुझे मिलोगी जब ये #बनारस की #घाट पर उस दिन मां #गंगा की शांत #लहरों में समंदर सा उफ़ान आयेगा ! तुम्हारे #नेत्रों में दिखेंगे जब
बादल सिंह 'कलमगार'
तुम हृदय मन की देवी... #badalsinghkalamgar Poetry Love Shayari gudiya VED PRAKASH 73 Beena Kumari Shiv Narayan Saxena Arshad
read moreAnjali Singhal
"मेरे हृदय की बंजर भूमि पर, तेरे प्यार का अंकुर फूटा है। एहसासों से जन्मा पौधा, रोम-रोम में महका है।।" #AnjaliSinghal #Shayari nojoto
read moreHeer
जय जय श्री राधे 🙌🥰🌸 तेरी ममता और करुणा की है आस मेरी श्रीजी, गोदी उठा ले ना मां, हृदय से तेरे लग के आज भर लूं आखिरी सांस आज। 🙏🙇🏻♀️🥺 तेरे चर
read moreAnuradha T Gautam 6280
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।। मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो । और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो । ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते - मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।। बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना । हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना । जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया - अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।। यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया । हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया । अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता - यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये
मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये
read moreRavendra
अपर पुलिस महानिदेशक, गोरखपुर जोन महोदय द्वारा जनपद में भेड़ियों के आतंक की घटनाओं की गंभीरता को देखते हुए प्रभावित क्षेत्रों तथा घटनास्थल का
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