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Stories related to pagdandi books chai cafe

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Writer Ravi

उलझनो को सुलझा देती हैं किताबें 
भटके को मार्ग दिखाती हैं किताबें 
बदतर से बेहतर बनाती है किताबें 
तू किताबों को दोस्त बना तो सही 
मंजिल तक आसानी से पहुंचती हैं किताबें ।

©Writer Ravi #Books

KRISHNA

*पहाड़ सी है ज़िंदगी चढ़े ही जा रहा हूँ मैं..!!*
*चढ़ाव का उतार का मज़ा उठा रहा हूँ मैं..!!*
🥀🥀🥀
*मिटा सकोगे तुम नहीं कभी मेरे वज़ूद को,*
*कि ख़्वाब छोड़ दो ये देखना,बता रहा हूँ मैं..!!*
🥀🥀🥀
*ग़मों ने ज़िंदगी में कुछ कमी कभी रखी नहीं,*
*जवाँ है हौंसला मेरा जो मुस्कुरा रहा हूँ मैं..!!*                        🥀🥀🥀
*बहार में खिला के तुम इसे कमाल मत कहो,*
*ख़िज़ां है फिर भी देखिए कि गुल खिला रहा हूँ मैं..!!*
🥀🥀🥀
*नहीं किसी कमाई से है कम दिलों को जीतना,*
*तो ज़िंदगी में अब फकत यही कमा रहा हूँ मैं..!!*
🥀🥀🥀
*मैं रह गया परों को फड़फड़ा के कफ़स में था,*
*परिंदा हूँ इन्हें भी आज़माने जा रही हूँ मैं..!!*
🥀🥀🥀
 *जिस के पास जो है बस वहीं तो वो लुटाएगा,*
*खुशी है पास में मेरे,खुशी लुटा रहा हूँ मैं..!!*

©KRISHNA #chai

कृतांत अनन्त नीरज...

#Books

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आकर्षण आपको
सिर्फ आकर्षित कर सकता है
नष्ट नही
नष्ट तो आप तब होते है
जब आप आकर्षण की ताकत को 
अपने "आत्म अनुशासन" की शक्ति से
अधिक समझ लेते है...

©कृतांत    अनन्त नीरज... #Books

Heer

#Books #Poetry

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किताबें 
बड़ी हसरत लिए बंद अलमारी के शीशों से झांकती किताबें, 
सोचती होगी पहले जिनसे रोज़ होती थी बातें, 
अब तो महीनों होती नही मुलाक़ातें। 

जो रातें गुजरती थी अक्सर साथ में, आज वो कटती है
 computer के साथ में, 
देख बड़ी बेचैन रहती हैं किताबें क्योंकि, 
उन्हें अब नींद में चलने की आदत हो गई है। 

जो किस्से कहानियां वो सुनाती थीं, battery जिनकी कभी
न खत्म होती थी, 
वो झलक अब नजर कही आती नही, 
रिश्ते रह गए उजड़े उजड़े, घर हो गया अब खाली खाली। 

जुबां पर ज़ायका आता था जो एक अल्फाज़ निकलता था, 
अब उँगली click करने से बस एक झपकी गुज़रती है, 
बहुत कुछ तबाह हो गया और बचा है वो परदे पर खुलता चला जाता है। 

किताबों से जो काटी जाती थी राते सीने से लिपटे हुए 
गुजरते थी जो रातें, 
कभी गोदी में तो कभी घुटनों के बल बैठ पढ़ते थे, 
कभी अजीब सी सूरत बनाकर मुस्कुराया करते थे,
सजदे में कभी छूते थे जबीं से, जाने कहा को गया वो सुकून
Robot के इस जहान में।

©Heer #Books

daisykavi

#Books

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shreya singh bhardwaj

#chai

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क्या गारंटी है कि जो दूसरे का चुगली कर रहा या कर रही,
 वो आपका चुगली ना करें।

©shreya singh bhardwaj #chai

pushpanjali netam

Navash2411

संस्कृत भाषा ( शिक्षक ) Facebook pages

#Books

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उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः !
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः !!

हिन्दी अर्थ : दुनिया में कोई भी काम सिर्फ सोचने से पूरा नहीं होता बल्कि कठिन परिश्रम से पूरा होता है. कभी भी सोते हुए शेर के मुँह में हिरण खुद नहीं आता.

©संस्कृत भाषा ( शिक्षक ) Facebook pages #Books

Sunil Maheshwari

#chai

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