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Stories related to तजीन फातिमा

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Mahesh Lokhande

फातिमा शेख #poem

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फातिमा शेख
देशामधली पहिली मुस्लीम
शिक्षिका फातिमाताई
ज्ञानदानाचे कार्य केले
 सोबत सावित्रीबाई

घरामध्ये आश्रय दिला
उस्मानभाई थोर
जोतिबांच्या कार्याला
दिली साथ आधार

 अडचणींना न घाबरता
लढले सत्यासाठी
फातिमाताई सावित्रीमाई
उस्मानभाई जोतीबांना
प्रणाम कोटी कोटी

कवी-महेश लोखंडेसर 9604908854 फातिमा शेख

पागल_ग्वार

नक्शेकदम #नोजोतो #नोजोतोहिन्दी #कोट्स #नोजोतोकोट्स (ब़िन्ते रसूल हज़रत फातिमा)

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"नक्शेकदम पर चलना है"
गर नक्शेकदम पर चलना है तो
*ब़िन्ते रसूल हज़रत फातिमा*
के नक्शेकदम पर चलूं..!!
@जम्मू..!! #NojotoQuote नक्शेकदम #नोजोतो #नोजोतोहिन्दी #कोट्स #नोजोतोकोट्स
(ब़िन्ते रसूल हज़रत फातिमा)

creatorbabu110

Tasbihe BiBi Fatima SA tasbihe bibi fatima sa तस्बीहे बीबी फातिमा सलामुल्लाह अलैहा #Quotes

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Bhanupratap

#देश की प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका माता फातिमा शेख जी को हमारा कोटि कोटि नमन #bhanupratapjatav #bahujanshayar #समाज

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पत्रकार रमेश सोनी Soni

गाजीपुर जखनिया तहसील के दुल्लहपुर बाजार में आर्य समाज की ओर से वार्षिक महोत्सव एवं समारोह का कार्यक्रम का शुभारंभ पूज्य आचार्य प्रगति विद्या #nojotovideo

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SHAYAR (RK)

#महान_शिक्षक 👸 सावित्री बाई फुले की 9 की उम्र में शादी हो गई थी। न पढ़ी–लिखी थी, न ही दौलत थी। पति ज्योतिबा फुले से पहले खुद पढ़ना सीखा, फि

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S.M.Masoom

आपको यकीन शायद ना हो लेकिन यह सत्य है l आपने शजरा (भू मानचित्र) का नाम तो सुना ही होगा जो गांव की ज़मीनो और खेत के सिलसिलेवार नकशे को कहा जात

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smmasoom.com

©Masoom M Syed आपको यकीन शायद ना हो लेकिन यह सत्य है l
आपने शजरा (भू मानचित्र) का नाम तो सुना ही होगा जो गांव की ज़मीनो और खेत के सिलसिलेवार नकशे को कहा जात

shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Sad_shayri आजकल मुझको आती हिचकियाँ हर्गिज़ नहीं,ऐसा लगता है,अब उसको मेरी जरूरत नहीं//१ वादे वफा तो बहुत किए थे उसने आज बातो बातो मे कह दिय #Live #writersofindia #poetsofindia #shamawritesBebaak

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HARSH

PRATIK BHALA (pratik writes) ❤️❤️❤️❤️❤️bhai aaj aap par garv ho raha hai bhai aapki audio jald hi yaha dalunga mein bhai. जज्बात ए दिल इस #Life #India #Love #Pakistan #OpenMIC #poem #bharat #PratikBhala #pratikbhalahindusher

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प्रतिक प्रेमराज भाला भाई की कविताने
आज के OPEN MIC में तहलका मचा दिया

 अरे आज तो प्रतिक भाई का खौफ पाकिस्तानी लेखकों में भी छा गया ,
 भाई के कटाक्ष कविता को सुनकर आज हर पाकिस्तानी कवि मंच छोड़ भाग गया .
मौका था जज़्बात ए दिल इस  ONLINE OPEN MIC स्पर्धा का,
लेकिन मुकाबला था सीधे सीधे भारत पाकिस्तान के प्रतिस्पर्धा का,
50 कवि जिसमे 30 पाकिस्तानी थे बचे कुँचो में सिर्फ 5 ही हिंदु धर्मी थे.
शुरवात दमदार हुई लेकिन पाकिस्तानी आखिर अपनी औकात पर आ ही जाते है,
हर जगह रियासते मदीना और धर्म के मुद्दों को बिचमे लाते है,
कुछ ने हिंदु धर्म और राम मंदिर का मज़ाक बनाना शुरू किया,
कठ पुतली बने हिंदु कवियों के मौन का प्रतिक भाई ने जवाब दिया.
प्रतिक भाई ने अपनी प्रताड़ित हिंदु धर्म की कविता कटाक्ष में चिल्लायी,
सत्य को खुलते देख पाकिस्तानी बिल्लियाँ बहोत बिलबिलायी,
जब भाई ने इनको शब्दों के चाबुक मारना शुरू किया,
कई महानुभावोंनें आवाज दबाने का प्रयत्न किया,
सूखे कमेंट बॉक्स में हिंदुओं ने जय श्रीराम का उद्घोष किया,
लेकिन भाई ने आखिर मजेदार जबरदस्त वाक्य कह दिया,
की तथ्य रखो तो मैं आपके कदमों में झुक जाऊंगा,
और तथ्य नहीं है तो आपको मेरे तथ्यों से कदमों में झुकवाऊंगा.
भाई का रूप देख सारे पाकिस्तानी open mic छोड़ कायरों की तरह निरुत्तर भागे रे,
भाई ने कहाँ आखिर बचें हुए लोगों को,जय श्री राम और मेरा हिंदु भारत पुन्ह जागे रे.

भाई की कविता बोलने का अंदाज और प्रश्न ने आज गर्वित
 महसूस कराया है यह पुरा किस्सा मेरे सामने हुआ है 🚩

©HARSH PRATIK BHALA (pratik writes) ❤️❤️❤️❤️❤️bhai aaj aap par garv ho raha hai bhai aapki audio jald hi yaha dalunga mein bhai.

 जज्बात ए दिल इस

Vaseem Akhthar

زہرا کے چمن میں جو پھول کھلے تھے کربلا کی خاک میں آج بکھرے پڑے تھے کیسا سماں، کیسا ظلم و ستم ہوگا سسکیاں لیتے

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ज़हरा    के    चमन    में   जो   फूल   खिले   थे।
करबला  की   ख़ाक   में  आज  बिखरे  पड़े   थे।।

कैसा   समाँ,   कैसा    ज़ुल्म-ओ-सितम    होगा।
सिसकियाँ   लेते  बच्चों   में  जब  तीर  गढ़े   थे।।

सर  पे  सजाए   सेहरा,  चेहरे  पे  लिए  मुस्कान।
शहादत  के  लिए  क़ासिम,  दूल्हे   से  सजे   थे।।

करते  थे   प्यार   से   हुसैन   नाना   की  सवारी।
उनसे   गले   लगने   को  आज  तैयार   खड़े  थे।।

पहने नाना की पगड़ी, बाबा की थामे ज़ुलफ़िक़ार।
शहादत   को   हुसैन   मर्तबा  दिलवाने  चले   थे।।

जिन की अदब में सर-ए-ख़म उठने से था क़ासिर।
उनके ही सर-ए-अक़दस आज  नेज़ों  पे  चढ़े   थे।।

क्यूं ना बहाऊं आँसू, क्यूं ना  मनाऊं  सोग अख़्तर।
तुझ को पहुंचाने दीन-ए-हक़, अहल-ए-बैत कटे थे।। زہرا  کے  چمن  میں   جو   پھول  کھلے  تھے
کربلا  کی  خاک  میں  آج  بکھرے  پڑے  تھے
کیسا    سماں،   کیسا    ظلم   و   ستم   ہوگا
سسکیاں لیتے
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