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Monika Suman
कितने कम में मेरा भी गुजारा होता है , याद जैसा कुछ याद भी नहीं बस उसके नाम का सहारा होता है , वो पास से गुजरे तो थोड़ा छु के उसे महसूस भी कर लूँ , दो किनारो की तरह हम , हमारे लिए तो बस एक दुसरे का नजारा होता है .... चलो एक रात , एक एक कर तारो को ज़मी पर उतारते हैं , ये दरिया कहीं न कहीं जाकर तो सिमटता होगा , जहाँ हर बूँद छोड़ देती होगी सागर होने की उम्मीद , सोचो उस रात कैसे ठहरे हुए पानी में चांद इतराता होता है ... ©Monika Suman कितने कम में मेरा भी गुजारा होता है , याद जैसा कुछ याद भी नहीं बस उसके नाम का सहारा होता है , वो पास से गुजरे तो थोड़ा छु के उसे महसूस भी कर
कितने कम में मेरा भी गुजारा होता है , याद जैसा कुछ याद भी नहीं बस उसके नाम का सहारा होता है , वो पास से गुजरे तो थोड़ा छु के उसे महसूस भी कर
read moreShivkumar barman
White न रेत में... न देह में... न मन मे ... न अहसास में.. न जिस्म में... इश्क तो बस सिमट जाता है, सिर्फ और सिर्फ रूह में...! न आयत में.. न इनायत में.... न चाहत में .. न ख्वाहिश में.. इश्क़ तो बसता है सिर्फ रूह की इबादत में..!! ©Shivkumar barman न #रेत में... न #देह में... न #मन मे ... न #अहसास में.. न #जिस्म में... #इश्क तो बस सिमट जाता है, सिर्फ और सिर्फ रूह में...! न आयत म
बेजुबान शायर shivkumar
White शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बाली, है पसरी चहुँमुख हरियाली। गया दशहरा, आया मेला, धूप गुनगुना, मोहक बेला। पड़ने लगे तुहिन कण। शरद ऋतु का आगमन।। गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं। क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें, परत सफेद गगन में बिखरे। रवि रथ पर दक्षिणायन । शरद ऋतु का आगमन।। उफनाईं नदियाँ सिमट रही, तने से लताएँ लिपट रही। धीवर चले ले जलधि में नाव, मन मोहक अब लगता गाँव। निखर उठे हैं तन - मन। शरद ऋतु का आगमन।। लहराते खेतों में किसान, मन ही मन गा रहा है गान। धरती सार सहज बतलाती, धूप छांव जीवन समझाती। नाच रहे मस्त मगन , शरद ऋतु का आगमन।। ©बेजुबान शायर shivkumar #मौसम Sethi Ji Bhanu Priya Kshitija Sana naaz puja udeshi हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बा
#मौसम Sethi Ji Bhanu Priya Kshitija Sana naaz puja udeshi हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बा
read moreMysterious Girl
हे माँ! जब-जब मैं अंधेरों से डरी, तब-तब तूने इससे लड़ने की शक्ति दी..! इस अंधेरी दुनिया में जब भी मैं भय से सिमटी, तूने साया बन मेरे इस भय क
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White ग़ज़ल: आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो, अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो। सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से करे, भूख का सवाल है, इसे अब तो समझ कर लो। मुफ़लिसी में भूख का दर्द कोई सह पाता नहीं, पैसों के बिना कोई रिश्ता चल पाता नहीं। ज़िंदगी की हर ख़्वाहिश पैसों पर ठहरती है, वरना ख़ुशियों की राह तो कहीं जा पाती नहीं। इन अशआर में ज़िंदगी का हर रंग सिमट आया है, सच कहें तो यही हकीकत समझ में आता नहीं। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma ग़ज़ल: आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो, अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो। सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से
ग़ज़ल: आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो, अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो। सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से
read moreBIKASH SINGH
चंद सांसों की गिरफ्त में कैद रूह रिहाई की दुआएं मांगे। अब क्या करें जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही मुझे रास ना आए जो किया था वादा तुझसे बिछड़ के खुश रहने का अब चाहता हूं , इन सब बातों से मुकर जाएं आखिर कब तक यूं झूठी मुस्कुराहट दिखा कर सबको अपना हाल बेहतर बताएं और अंदर ही अंदर सिमट कर,बिखर कर यूं बेवजह जीते जाएं मेरी अधूरी ख्वाहिशों में शामिल एक ख्वाहिश यह भी रहा कि चलो अब मर जाए कल मेरे हालातो पर तू तरस खाए इससे तो यही बेहतर है कि तू अगर भूल चुका है मुझे तो फिर तुझे हम भी कभी नजर ना आए ©BIKASH SINGH चंद सांसों की गिरफ्त में कैद रूह रिहाई की दुआएं मांगे। अब क्या करें जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही मुझे रास ना आए जो किया था वादा तुझसे बिछ
चंद सांसों की गिरफ्त में कैद रूह रिहाई की दुआएं मांगे। अब क्या करें जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही मुझे रास ना आए जो किया था वादा तुझसे बिछ
read moreJagbandhu Mandal
White कभी कभी हम किसी की यादों में इस कदर सिमट जाते है कि उस यादों से निकल पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता ह ...। ©Jagbandhu Mandal कभी कभी हम किसी की यादों में इस कदर सिमट जाते है कि उस यादों से निकल पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है|
कभी कभी हम किसी की यादों में इस कदर सिमट जाते है कि उस यादों से निकल पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है|
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