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GoluBabu
हमें दूसरे लोग कहते हैं कि आप राम नाम इतना क्यों लेते रहते हो तो देख लो आप। कबीर साहेब की एक वाणी है:- बिना भजन तेरे काम नहीं आवे संतो शरन ल #Motivational #bhajan #kirshna #kirtan
read moreRimpi chaube
White ना कल बदली न आज,ये दुनिया बेमिसाल है। यहां रंग बदलते लोग रहे,यहां जीना ही मुहाल है।। ©Rimpi chaube #दुनिया 😌 ना कल बदली न आज,ये दुनिया बेमिसाल है। यहां रंग बदलते लोग रहे,यहां जीना ही मुहाल है।। inspirational quotes life quotes in hindi lif
#दुनिया 😌 ना कल बदली न आज,ये दुनिया बेमिसाल है। यहां रंग बदलते लोग रहे,यहां जीना ही मुहाल है।। inspirational quotes life quotes in hindi lif
read moreSinger Chandradeep Lal Yadav
फेर ना लागे नज़रिया Singer writer Chandradeep lal Yadav #Videos
read moreHimanshu Prajapati
हल्का भोजन हल्का मन, पेट खाली दिमाग भ्रम, फ्री का पाकर खाने में काहे का लागे शर्म..! ©Himanshu Prajapati #Funny हल्का भोजन हल्का मन, पेट खाली दिमाग भ्रम, फ्री का पाकर खाने में काहे का लागे शर्म..! #hpstrange #36gyan
#Funny हल्का भोजन हल्का मन, पेट खाली दिमाग भ्रम, फ्री का पाकर खाने में काहे का लागे शर्म..! #hpstrange #36gyan #विचार
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
*विधा सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी .... पूर्ण हुई वह खुशियाँ सारी , जो थी मन में चाह । खूब कमाकर पैसा सोचा , करूँ सुता का ब्याह ।। आज उन्हीं बच्चों ने बोला , क्यों करते हो काँव । जिनकी खातिर ठुकरा आया, मातु-पिता की ठाँव । आओ लौट चलें अब साथी ..... स्वार्थ रहित जीवन जीने से , मरना उच्च उपाय । सुख की चाह लिए भागा मैं, और बढ़ाऊँ आय ।। यह जीवन मिथ्या कर डाला , पाया संग तनाव । देख मनुज से पशु बन बैठा , डालो गले गराँव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... भूल गया मिट्टी के घर को , किया नहीं परवाह । मिला प्रेम था मातु-पिता से , लगा न पाया थाह ।। अच्छा रहना अच्छा खाना , मन में था ठहराव । सारा जीवन लगा दिया मैं , इन बच्चों पर दाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ..... झुकी कमर कहती है हमसे , मिटी हाथ की रेख । गर्दन भी ये अब न न करती ,लोग रहे सब देख ।। वो सब हँसते हम पछताते, इतने हैं बदलाव । मूर्ख बना हूँ छोड़ गाँव को , बदली जीवन नाँव ।। आओ लौट चलें साथी अब ... कभी लोभ में पड़कर भैय्या , छोड़ न जाना गाँव । एक प्रकृति ही देती हमको , शीतल-शीतल छाँव ।। और न कोई सगा धरा पर , झूठा सभी लगाव । अब यह जीवन है सुन दरिया , जाऊँ जिधर बहाव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR *विधा सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ...
*विधा सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ... #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल मुहब्बत हो गई तो क्या बुरा है मुहब्बत ही ज़मानें में ख़ुदा है कभी मिलकर नहीं होना जुदा है मेरे मासूम दिल की यह दुआ है तुम्हारे प्यार में पीछे पड़ा है करो अब माफ़ भी जिद पर अड़ा है ज़माना इस तरह दुश्मन हुआ यह सभी को लग रही मेरी ख़ता है जहाँ की आदतें बदली नहीं हैं मेरा दिल इसलिए पीछे मुडा है तुम्हीं बढ़कर हमारा हाथ थामों ज़माना तो छुडाने पे तुला है निभायेगी वही क़समें वफ़ा की वही दिल की हमारे अब दवा है न माँगूं प्यार की मैं भीख उनसे हाँ मेरे साथ भी मेरा खुदा है प्रखर की ज़िन्दगी का फैसला भी उन्हीं की मर्ज़ी पर आकर रुका है महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल मुहब्बत हो गई तो क्या बुरा है मुहब्बत ही ज़मानें में ख़ुदा है
ग़ज़ल मुहब्बत हो गई तो क्या बुरा है मुहब्बत ही ज़मानें में ख़ुदा है #शायरी
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