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Azaad Pooran Singh Rajawat
White "ए चांद मेरे बता मुझे किस कदर सजूं संवरू मैं तेरे लिए नख से शिख तक नज़र ठहर जाए तेरी मुझ पर तेरी सोलह कलाओं सा श्रृंगार करूं मैं करवा चौथ माता से दुआ है बस यही मेरी मेरा प्यार तुझे मिले,तेरा प्यार मुझे मिले जन्मों जन्मों के लिए। "करवा चौथ के सिंजारे की आजाद शुभकामनाएं।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #Sad_Status श्रृंगार दिवस की शुभकामनाएं
#Sad_Status श्रृंगार दिवस की शुभकामनाएं
read moreParasram Arora
White यध्यपि इस दुनिया मे मेरा कोई शत्रु नही है फिर भी जाने अनजाने मेरा कोई शत्रु बन भी जाए तों ईश्वर से प्रार्थना करुगा कि उस शत्रु को भी उतनी ही शक्ति बक्शे जितनी मेरे पास है तब हो सकेगा फैसला इस बात का कि हम दोनों की लड़ाई मे मेरा सत्य जीतेगा या मेरा वो तथाकथित शत्रु ©Parasram Arora जीत हार
जीत हार
read moreParasram Arora
White स्पर्धाए फुटबाल की हो या बोली बोल की ...आज तक मैंने हर बार शिकस्त ही हासिल की है लेकिन जिंदगी की जंग मे. मैं कभी नही हारा... हमेशा जीत ही दर्ज़ कराई है ©Parasram Arora हार जीत
हार जीत
read moreShishpal Chauhan
White जीवन बड़ा अनमोल है, माना कि धरती गोल है। परिवार में आपका अहम रोल है, अमूल्य मानव के बोल है। जिंदगी से यूं हारा नहीं करते, रास्ता यूं भटक जाया नहीं करते। रास्ता बड़ा कठिन है यूं तूफानों से डरा नहीं करते, रात के बाद दिन है यूं अंधेरों से डरा नहीं करते। जो हारकर बैठ जाए वे मानव कहलाया नहीं करते, दुर्गम रास्ता देखकर सहम जाए वे इंसान कहलाया नहीं करते। ©Shishpal Chauhan #यूं हार माना नहीं करते
#यूं हार माना नहीं करते
read moreSunil Kumar Maurya Bekhud
हार अकेला चना, जोश में चला, फोड़ने भाड़! सफलता मिली, कयोंकि उसमें थीं, दरारें चार! जिसे भूल गया था, भरना कुम्हार! ऒर हो गई, करारी हार! ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #हार
Mahesh Patel
White सहेली..... इन्सान की सबसे बड़ी हार उस वक्त हो जाती है.. जब खुद सही होकर भी गलत लोगों के आगे सर झुका लेता है... लाला..... ©Mahesh Patel सहेली... हार... लाला...
सहेली... हार... लाला...
read morePriya Gour
White किसी भी वत्त-त्यौहार पर अक्सर सजने वाली लड़की को यही तंज कंसा जाता हैं कभी हँसी में छेडा़ जाता हैं की किसके लिए तैयार हुई? जैसे नारी को अपनी खुशी से अपने लिए सजने संवरने का अधिकार ही नहीं है बस सज संवरी हैं तो किसी के लिए श्रृंगार का संपूर्ण अर्थ पुरुष से ही है ? माना किसी भी नारी के श्रृंगार की पूर्णता भी उसके प्रियतम को भाना है परंतु प्रश्न ये है प्रियतम के आगमन से पूर्व श्रृंगार की शुरुआत भी नहीं कर सकती कोई नारी इस प्रश्न के अतिरिक्त एक अन्य आवश्यक प्रश्न उठता है जिनका प्रियतम छोड़ जाये हमेशा के लिए श्रृंगार करने का उनका अधिकार भी नहीं रहता हैं? ©Priya Gour ❤🌸 #25aug 3:51 #श्रृंगार #Tulips