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RAVINANDAN Tiwari
रूबरू होकर आईना खुद से आँखे चार कर लो, आबरू खोकर जीना मुश्किल,ये एतबार कर लो ! सेज सजन सुकून सहज व्रतशील सिंगार कर लो, निरख निरख निज नयनन से बाते बेतार कर लो ! ©RAVINANDAN Tiwari #श्रृंगार_खिचड़ी
RAVINANDAN Tiwari
प्याले के लब से हीं पूछिए इस लब का ज़ायका ! क्यूँ कि लब को हीं लब के पान का लपका !! #श्रृंगार_खिचड़ी
RAVINANDAN Tiwari
तीर तेरी नज़रों से तीखी नहीं तीरंदाजी जैसे हो सीखि कहीं सबला तुझसा कोई नर नहीं मात खायेगा हर एक बाँका हीं! उस पर ये लब अमीये भरी सुधा अमृत भरी कोई गागरी कायनात की अनोखी ऐ जादूगरी बचना दुस्कर रसिक का ऐ हुष्नपरी! 🌹🌹💘💋🌹🌹💔 #श्रृंगार_खिचड़ी
RAVINANDAN Tiwari
कुछ अमिय भरी कुछ भरी हलाहल सब लुभाती रही रसिक मन चंचल आशिकों की संपत्ति चल अचल कुछ का पान कुछ मसलने का पहल नरम पाँव भी रसिक देखे सम्हल जाने कितने बने शायरी गज़ल खुदा ने बनाया ऐ कैसा महल आने का जरिया जीने का मसल गुस्ताखी माफ़ #श्रृंगार_खिचड़ी
RAVINANDAN Tiwari
नाज़नीन के नाजुक तन - बदन अंग-प्रत्यंग नज़्मों के अंतरे हुए नख से सीख तक किया तारीफ़ी असीम गज़ल शेरो-शायरी के दायरे हुए कुछ कहे संगमरमरी कुछ चाँदी सा बदन, रसिकों के लिये चटकारे हूए रंग आकार का असर कहाँ इश्क पर आशिकी तो इबादत के सहारे हुए ऐयार नज़र मक्कारी भरे हैं मगर जिस्म मनचलों के सेब संतरे हुए चाँद, सुराही, कदली थंब उपमा गुलबदन श्रृंगार रस पद अलंकारें हुए नाज़नीन के नाजुक........... #श्रृंगार_खिचड़ी
RAVINANDAN Tiwari
नाज़नीन के नज़र के नज़ारे मशहूर है जिनके तिलिस्मी इशारे हुए तिरछी नज़र बंद आधी अगर झूँकी पलको के अलग हीं असरारे हुए खुली रह गई अगर, लड़ नज़र से नज़र दिल, दिल न रहा अब गुब्बारे हुए फेर ले जो अगर, बात समझो गयी बिगड़ झूँकी पलकें अगर तो समझ वो तुम्हारे हुए नाज़नीन के नज़र....... तिलिस्मी इशारे हुए 🌼 🌹💖🌼🌹 #श्रृंगार_खिचड़ी
RAVINANDAN Tiwari
नवयौवन क्वाँरियों की बात अलग है रसिक जिनके उपनाम हीं अनारी हुए कजरारे नयन पलक की झपक, पुतली की रंगत, सुरमे की लगावट भी तलवारी हुए मुखरे की चमक उसपे चुलबुल सी चहक लबों की गर्मी भी दहनकारी हुए अधर अमृत की महिमा मंडन दीगर आशिकों के लिए लाभकारी हुए लालिमा अधर की प्रकृति प्रदत्त दोस्तों जिसके लाली से मात पनवाड़ी हुए मेंहदी तब,अब टैटू का बदन रेखाचित्रण कोमल अंग नाज़नीन के इश्तहारी हुए चाल अल्हड़ यौवन के, नजर बहके इधर-उधर उँच - नीच के कम हीं जानकारी हुए शोख अदाएं अलग, लटके झटके नासमझ कमर के लचक भी मनोहारी हुए बिनती है मगर, चलना संभल, है हिंसक शहर मजनूओं में न अब वो इमानदारी हुए माना ये फूहड़ ग़ज़ल, शास्त्रों से मगर, गुनगुना दें अगर मानो हम भी नाज़नीन के आभारी हुए 🌼 गुस्ताखी माफ़ 🌼 #श्रृंगार_खिचड़ी
RAVINANDAN Tiwari
नाज़नीन के नखरे सब के सर आँखों पर क्या रसिया क्या काजी अचारी हुए सोने मुखरे तलक चर्चा सीमित न रहा उनके भौंहें के भी तरफदारी हुए राह चलते मजनूओं की औकात क्या सामने बादशाह भी चाहत में भिखारी हुए भाला बर्छी चलाने की जरूरत न इन्हें इनके नैना हीं चोखी कटारी हुए रात जैसी अँधेरी बालों की न पूछ खुली जुल्फें आशिकों के फुलवारी हूए कातिलाना अदाओं की बात विलग, इनके त्योरी की चढ़ावत हीं चिंगारी हुए थिरकते उनके जो तन, पर न जाये कफ़न नाज़रिन पे ये नचावट भी भारी हुए.... गुस्ताखी माफ़ #श्रृंगार_खिचड़ी।
श्रृंगार_खिचड़ी।
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