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Stories related to the paper boat poem by rabindranath tagore summary

शुभम मिश्र बेलौरा

#good_night paper leak

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White सरकार बनी बेचारी है -२
पेपर लीक कराने वाले ठेके सब सरकारी हैं,
सरकार बनी बेचारी है-२
Term बदलकर मंत्री जी फिर से सत्ता में आए,
कोई अच्छा काम नहीं बस पेपर रद्द कराए।
भर्ती के खातिर पहले हम रोते और चिल्लाते,  
उसे बचाने के खातिर सड़कों पर लाठी खाते। 
100 दिन के एजेंडे की दिखती कैसी तैयारी है,
पेपर लीक कराने वाले ठेके सब सरकारी हैं,
सरकार बनी बेचारी है -२
56 इंच के सीने वाले कैसे चुप्पी साधे हैं, 
अपनी कुर्सी बची रहे बाकी सब राधे राधे है। 
कुछ तो बोलो मुंह को खोलो इटली अब मत जाओ जी,
युवा सड़क पर चीख रहा है थोड़ा शर्म तो खाओ जी। 
देश के चोरी में शामिल दिखती अब चौकीदारी है,
पेपर लीक कराने वाले ठेके सब सरकारी हैं,
सरकार बनी बेचारी है -२

©शुभम मिश्र बेलौरा #good_night paper leak

Srinivas

The essence of education is not in the paper you hold, but in the skills you master

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The essence of education is not in the paper you hold, but in the skills you master

©Srinivas The essence of education is not in the paper you hold, but in the skills you master

Ravi Srivastava

#boat

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जाने किसको कराह कहते हैं !
आह निकले तो वाह कहते हैं !!

तोहमतें ऐसी लगा देते हैं,
लोग जिसको,गुनाह कहते हैं !!

✍️✍️
रवि श्रीवास्तव 
गाँव-माचा,जनपद-बस्ती

©Ravi Srivastava #boat

Sunder

#boat

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उदासी और खामोशी भरी एक शाम आएगी
एक फोटो संभाल के रखना तुम्हारे काम आएगी

©Sunder #boat

Srabani Mitra

Rabindranath song,little attempt

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Raghav Trivedi

reading-burning-paperreading-burning-paper wsad song

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Amol M. Bodke

खेळ तर सारा ह्या भावनांचा
मन प्रवाह सोबत वाहत राहतं
ठाव लागत नाही तळाचा
म्हणून किनारा शोधत राहतं.

©Amol M. Bodke #boat #मराठीकविता #marathi

Tafizul Sambalpuri

#paper

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ମୁଁ କିଛି ଲେଖେ ବୋଲି 
ସମସ୍ତେ ଭାବନ୍ତି
ମୁଁ ଖୁବ୍ କାନ୍ଦେ ବୋଲି 
ସମସ୍ତେ କହନ୍ତି 
ହେଲେ ଏ ସମସ୍ତ ଶବ୍ଦତ ତୁମର
ଏ ଲୁହ ମଧ୍ୟ ତୁମର
ମୁଁ କେବଳ ତାକୁ ସଂଗ୍ରହ କରିଛି
ମୋ ହୃଦୟର ସାଧା କାଗଜରେ 
ମୋ ଚକ୍ଷୁ କରୋଡରେ
ତୁମକୁ ଓ ତୁମ ଅଥୟ ଭାବନାକୁ
ବାରମ୍ବାର ପଢ଼ିବା ପରେ 
ସେଥିରେ ଥିବା ସମସ୍ତ ପ୍ରଶ୍ନକୁ
ତର୍ଜମା ପରେ ଉତ୍ତର ରଖିଛି
ଏଠି ମୋର ବୋଲି କିଛି ନାହିଁ 
ସବୁତକ କେବଳ ତୁମର
ମୁଁ କ'ଣ ମୋ ପାଇଁ କିଛି ଲେଖିପାରେ
ମୁଁ ମୋ ପାଇଁ ନା ହସିପାରେ
ମୁଁ ମୋ ପାଇଁ ନା କାନ୍ଦିପାରେ
ହଁ ମୁଁ ମତେ ଏଇତ ଚିହ୍ନଟ କରିଛି 
ତୁମର ଗୁଡ଼ାଏ ଜଟିଳ ପ୍ରଶ୍ନ ମଧ୍ୟରୁ 
ଓହ୍ଲେଇ ଦେଉଛି ସମସ୍ତ ଆଶଙ୍କାକୁ
ମୋ ଶରୀରରୁ ଗୋଟି ଗୋଟି କରି
ଯାହା ତୁମକୁ ଆଶଙ୍କିତ କରୁଛି 
ଦେଖ ମୁଁ ଏବେ ଗୋଟିଏ ସାଦା କାଗଜ
ଯେଉଁଥିରେ ଲେଖା ହେବ ଏମିତି 
ଅସଂଖ୍ୟ କାହାଣୀ, କବିତା ଓ ଗଳ୍ପ 
ଯାହା ସବୁତକ କେବଳ ତୁମର ।।

©Tafizul Sambalpuri #paper

Payel Chatterjee

Ajita Bansal

#Thinking poem of the day

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