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neelu
White अगर नारी शक्ति है नारी ही श्रृंगार है तो बेचारा पुरुष क्या है ©neelu #good_night #अगर #नारी #शक्ति है नारी ही #श्रृंगार है तो #बेचारा #पुरुष क्या है
Azaad Pooran Singh Rajawat
White "ए चांद मेरे बता मुझे किस कदर सजूं संवरू मैं तेरे लिए नख से शिख तक नज़र ठहर जाए तेरी मुझ पर तेरी सोलह कलाओं सा श्रृंगार करूं मैं करवा चौथ माता से दुआ है बस यही मेरी मेरा प्यार तुझे मिले,तेरा प्यार मुझे मिले जन्मों जन्मों के लिए। "करवा चौथ के सिंजारे की आजाद शुभकामनाएं।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #Sad_Status श्रृंगार दिवस की शुभकामनाएं
#Sad_Status श्रृंगार दिवस की शुभकामनाएं
read moreShashi Bhushan Mishra
एक-एक कर चले गए, बारी बारी छले गए, दो पाटन के बीचों-बीच, जितने थे सब दले गये, गर्म तेल से भरी कराही, गिरे तो समझो तले गये, शोक और दुःख से यारों, फ़ुरसत लेकर भले गये, वक्त रेत सा फिसल गया, हाथ अंत में मले गये, अपनी आंखों के आगे, टूटा भ्रम दिलजले गये, संभल नहीं पाया 'गुंजन', दल-दल में मनचले गये, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #एक-एक कर चले गए#
#एक-एक कर चले गए#
read moreRoshan tayal
White जो भी अपने स्वाभिमान की रक्षा करता है, उसका स्वाभिमान हमेशा जिन्दा रहता है। ©Roshan tayal जो भी अपने स्वाभिमान की रक्षा करता है, उसका स्वाभिमान हमेशा जिन्दा रहता है।
जो भी अपने स्वाभिमान की रक्षा करता है, उसका स्वाभिमान हमेशा जिन्दा रहता है।
read morePriya Gour
White किसी भी वत्त-त्यौहार पर अक्सर सजने वाली लड़की को यही तंज कंसा जाता हैं कभी हँसी में छेडा़ जाता हैं की किसके लिए तैयार हुई? जैसे नारी को अपनी खुशी से अपने लिए सजने संवरने का अधिकार ही नहीं है बस सज संवरी हैं तो किसी के लिए श्रृंगार का संपूर्ण अर्थ पुरुष से ही है ? माना किसी भी नारी के श्रृंगार की पूर्णता भी उसके प्रियतम को भाना है परंतु प्रश्न ये है प्रियतम के आगमन से पूर्व श्रृंगार की शुरुआत भी नहीं कर सकती कोई नारी इस प्रश्न के अतिरिक्त एक अन्य आवश्यक प्रश्न उठता है जिनका प्रियतम छोड़ जाये हमेशा के लिए श्रृंगार करने का उनका अधिकार भी नहीं रहता हैं? ©Priya Gour ❤🌸 #25aug 3:51 #श्रृंगार #Tulips
Sunil Kumar Maurya Bekhud
स्वाभिमान स्वाभिमान होता है अच्छा उत्तम करे चरित्र मगर कभी यह शत्रु है बनता कभी बने यह मित्र कभी खड़ा हो जाता तनकर जब रिश्तों के बीच नहीं पनप सकतें है उनको कितना ही लें सींच आँखों में आँसू थम जाते लगता प्रेम पर पहरा बनती कई सरहदें उर में स्वाभिमान यदि ठहरा बेखुद पछताता है मन पर यह आड़े आ जाता कभी नहीं समझौता करना सबको यही सिखाता ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #स्वाभिमान