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Ashtvinayak
सीधी सरल नहीं हैं जिंदगी की राहें .. शायरी हिंदी हिंदी शायरी दोस्ती शायरी शायरी attitude
read moreDeepak Gaudel
White उड़ना चाहता हूं बाज की तरह इसलिए तितलियों पर नजर नहीं रखता दस्तक देनी है कामयाबी के हर दरवाजे पर📈 इसलिए उन तितलियों के दरवाजे की पहरेदारी नहीं करता Instagram @_dpk09 ©Deepak Gaudel शायरी हिंदी शायरी लव दोस्ती शायरी शेरो शायरी शायरी हिंदी में उड़ना चाहता हूं बाज की तरह
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read moreShailendra Singh Yadav
तुम्हारी हंसी में मेरी खुशी है। तेरी चाहतोंं में मेरी दुनिया बसी है। शायर-शैलेन्द्र सिंह यादव, कानपुर। ©Shailendra Singh Yadav शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी
शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी
read moreShailendra Singh Yadav
White तुम सांसों में बसे हो दिलो जान जिंदगी। तुम साथ हो तो खुशहाल जिंदगी। तुम जान हो जाने ज़िगर ये जान भी जाओ। तुम धड़कन हो दिल की दिलदार जिंदगी। शायर -शैलेन्द्र सिंह यादव, कानपुर। ©Shailendra Singh Yadav शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी।
शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी।
read moreShailendra Singh Yadav
खबर नहीं किसी को मुलाकात हो गई। मुस्कुराते हुए दिल की बात हो गई। एक पल भी उनके बिन गुजरता नहीं। कब दिन गुज़रा कब रात हो गई। शायर-शैलेन्द्र सिंह यादव, कानपुर। ©Shailendra Singh Yadav शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी
शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी
read moreShailendra Singh Yadav
मंजिलें है तो रास्ते मिलेंगे ही। बहारें हैं तो फूल खिलेंगे ही। कोई कितना दूर हो दिल से। चाहते हैं तो जुदा हुए दिल मिलेंगे ही। शायर-शैलेन्द्र सिंह यादव, कानपुर। ©Shailendra Singh Yadav शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी
शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी
read moreShailendra Singh Yadav
White जहॉ बेरास्ता हो रास्ता बनाना है। पर्वतों के पार एक ख़्वाब सजाना है। ऑसुओं की हर एक बूंद को। खुशियों का सागर बनाना है। शायर-शैलेन्द्र सिंह यादव, कानपुर। ©Shailendra Singh Yadav शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी
शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी
read moreShailendra Singh Yadav
White उजालों में भी कहीं अंधेरा है। कहीं शाम तो कहीं सबेरा है। मुड़कर देख लो एक बार। परछाईं में भी कहीं अंधेरा है। शायर-शैलेन्द्र सिंह यादव, कानपुर। ©Shailendra Singh Yadav शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी
शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी
read moreMurtaza Ali
#यौमे आशूरा ऊंटों की नंगी पीठ पर सवार थी सय्येदात खंजर दिखा दिखाकर डराता था उन्हें जल्लाद।। गले में टोंक,थी पैरों में बेड़ियां मजलूम इमामेअबा खड़े थे सर झुका।। बेकसूर थे मासूम,सारे शोहोदा हंसते थे जालिम कर करके अधमरा।। चलाया हरम ए शब्बीर भरे बाजार ए शाम बेपरदा दरबार ए यजीद खड़े किए,’मोहसिन’ बांधे रसन सबको तन्हां।। आया मदीना लुट कर जब काफिला ए शहंशाह यजीदियत को रौंदकर हुसैनियत थी मरहबा।। ✍️✍️मुर्तजा’मोहसिन’ ©Murtaza Ali # यौमे आशूरा
# यौमे आशूरा #Poetry
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