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Anuj Ray
White 25 शब्दों की प्रेम कहानी" विवाह उपरांत प्रेम पवित्र सांस्कृतिक संस्कार, पाणी ग्रहण की पवित्रता सामाजिक मर्यादा आचार विचार, यही से होती है शुरू ,प्रकृत जिंदगानी,पिया की प्रेम कहानी। ©Anuj Ray # 25 शब्दों की प्रेम कहानी"
# 25 शब्दों की प्रेम कहानी"
read moreSantosh Verma
White होली हो दिवाली हो या हो तीज त्योहार तुझे ना मिलता इसके बदले कोई छुट्टी ना उपहार हर वक्त कर्म से रचती तू अपना सुंदर संसार है नारी शक्ति तुझे मेरा बारम बार प्रणाम। प्रणाम 🙏🏻 ✍🏻संतोष ©Santosh Verma नारी
नारी
read moreMohasin#khan#
White imagaination of MOHASIN KHAN 😔सुनो कुछ कहना है तुमसे हमें साथ🫂नहीं चाहिए बस बिछड़ना है तुमसे 💔 ये मेरे दिल मे मुहब्बत नहीं हो सकती जिसे अपना बनालू वो तुम नही हो सकती है 😢 ये वहम है मेरे दिल का इसे समझा दिया जाएगा इश्क़ जैसा कुछ नहीं होता दुनिया मे ये इसे बतला दिया जाएगा 🥺 चलो फिर भी एक बार कोशिस करते है झूठा ही सही पर प्यार करने का दिखावा करते है 🌹🌹💔😢 तुम्हे कुछ नहीं करना है बस खुदको मासूम बताकर मुझको बदनाम करना है 😢 फिर चला जाउगा जिंदगी से तुम्हारी और दफ़न हो जाएगी मेरे साथ मे ये झूट्टी प्यार की कहानी हमारी लेखक-मोहसीन खान ©Mohasin#khan# #Couple झूठे प्यार की कहानी
#Couple झूठे प्यार की कहानी
read moreMau Jha
नारी को नारी रहने दो, वह भी एक इंसान है। सुख दुख के भावों से बनता उसका भी संसार है। देवी का प्रतिरूप बनाकर लज्जा का अंबर ना लपेटो पुरुषोत्तम के झूठे दम पर ना उसकी कोई सीमा बनाओ उड़ती है तो पंख ना काटो बस थोड़ा सा अर्श बनाओ कर सकते हो तो इतना कर दो नारी को नारी ही रहने दे दो उसको थोड़ा सा आसमान पंख फैलाए। उड़ने दो तुम लेने दो उसे अपना आसमान🙏 ©Mau Jha नारी को नारी रहने दो🙏🤝
नारी को नारी रहने दो🙏🤝
read moreArchana Singh
White दुख हिमालय सा होता है और सुख उस पर निकली धूप सा.. ©Archana Singh #sunset_time कुछ अनकही बाते..
#sunset_time कुछ अनकही बाते..
read moreRamnik
White हम किसी से क्या कहे के क्या तकलीफ है। हम तो खुद ही अपने जज्बातों में कैद है। ©Ramnik #अनकही
Kiran Ahir
काश ये युग भी सतयुग होता.. ना घुंघट की आढ होती , ना स्त्री कोई अभिशाप होती... ना बेटी-बेटे में अंतर होता, ना शिक्षा से कोई वंचित होता... ना पुरुषो का वर्चस्व होता ना नारी का अपकर्ष होता समाज में दोनो का पद दूसरे के समकक्ष होता... ना दहेज प्रथा ना सती प्रथा ना डाकन प्रथा का आरंभ होता और इन प्रथाओं के नाम पर ना स्त्री शोषण प्रारंभ होता... उसके जन्म पर ही लोग क्यों हर बार यू घबराते है गलती चाहे किसी की हो पर उस पर ही उंगली उठाते है... मां, बहन, बेटी और ना जाने कितने रिश्ते निभाती है फिर भी क्यों हर बार वो बुरी नजरों से देखी जाती है... हर सपने पर उसके क्यों रोक लगाई जाती है क्यों जीवन भर बस वो पिंजरे में बंद रह जाती हैं... क्यों सतयुग की नारी सी अब उसकी पहचान नहीं क्यों पुरुषो और नारी में पहले जैसा समभाव नहीं... क्या उसको जीने का अधिकार नहीं क्यों पहले जैसा अब व्यवहार नहीं... क्या सतयुग सा सम्मान वो हर युग में पाने की हकदार नही, है वो संसार की जननी तो क्या देवी का वो अवतार नही... ©Kiran Ahir नारी
नारी
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