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New नजरे मिली दिल धड़का Quotes, Status, Photo, Video

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Anuj Ray

दिल "

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White मार के अखियां दिल मेरा लूटा, कर गई काम तमाम,
कौन गली में छिप गई जाकर, सुबह से हो गई शाम।

©Anuj Ray दिल "

अज्ञात

#दिल

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दिवाने दिल को समझ क्या रख्खा है..
ए हुस्न मोहब्बत को तमाशा बना रख्खा है..

ख़ुद पे ग़ुमाँ न कर तेरा वजूद ही क्या 
वो तो इश्क़ ने तुझे सर पे बिठा रख्खा है..

जला देना तो तेरी आदत रही है शमा 
परवानों ने फिर भी उम्मीद लगा रख्खा है..

कद्र कर उनकी जो फ़िदा हैं तुझ पर 
तेरी इक झलक को पलकें सजा रख्खा है..

तेरी लगाई आग में जलते हैं दिलजले  
तू महफूज रहे तो हर दर्द दबा रख्खा है..!

©अज्ञात #दिल

Dr. Bhagwan Sahay Meena

#दिल

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White एक वफादार दोस्त....
हजार रिश्तों से बेहतर हैं....

©Dr. Bhagwan Sahay Meena #दिल

Amit Seth

सलमान खान को मिली Y+ सिक्योरिटी #viral #SalmanKhan

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mehar

#मोहब्बत न मिली

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White कभी तुम्हे मोहब्बत रास नहीं आई।
कभी तुमने हिम्मत नहीं दिखाई।
 होगी।
इसलिए तुमने मोहब्बत से तौबा की हर मर्तबा
इसलिए तुम्हारे नसीब में  मोहब्बत न आई होगी।
मोहब्बत की बददुआ लगी होगी तुम्हे 
किसी की आह भरती , सिसकियां लगी होगी।

©mehar #मोहब्बत न मिली

PURAN SING‌H CHILWAL

#good_night दिल से दिल तक

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Shashi Bhushan Mishra

#मिली खज़ाने की चाभी# प्रेरणादायी कविता हिंदी

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मन मसोसकर रह जाता मन माया की तुड़पाई में, 
तन से सत उड़ गया मिली फुर्सत यारों भरपाई में,

दुनिया के ताने-बाने में तितली सा मन अटक गया, 
अंत समय  सोना  पड़ता  मिट्टी की बनी रजाई में,

चकाचौंध के पीछे चलकर खोया जीवन की पूँजी, 
नाहक  पड़ा  रहा  हर  कोई  झूठी  मान  बड़ाई में,

रिश्तों का अनमोल खज़ाना ईश्वर ने उपहार दिया, 
बहना भी  हर साल बाँधती अपना प्रेम कलाई में,

रोग क्लेश,  प्रेत  बाधा  से  रुकते कारोबार  यहाँ, 
करती है विश्वास गाँव की जनता झाड़-फुकाई में,

चली गई पीढ़ियाँ कितनी पीड़ित है पुरूषार्थ अभी, 
साक्षी है इतिहास हुआ कुछ हासिल नहीं लड़ाई में,

गुंजन मोती की चाहत में बैठा कबसे साहिल पर, 
मिली खज़ाने की चाभी जब उतर गये गहराई में, 
       ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
               प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra #मिली खज़ाने की चाभी# प्रेरणादायी कविता हिंदी

Pramod kumar y

राम बना तो सीता ना मिली

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Hari Kedia

ये कैसी उम्र में आकर मिली हो तुम

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Shashi Bhushan Mishra

#मिली अकेली तन्हाई#

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White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, 
गम  के  पन्ने  पलट  रही थी  रुस्वाई, 

गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, 
बेचारे   ने   कैसी  है   किस्मत   पाई, 

बैठ  गया  खालीपन  उसके  जाने से, 
कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, 

बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, 
मन के अंदर  ख़्वाहिश लेती  अंगड़ाई, 

दिन ढ़लने को आतुर  मेरे आंगन का, 
लगी   छुड़ाने  पीछा  अपनी  परछाई,

आम  आदमी की  थाली से  गायब है, 
कोर-कसर  पूरा   कर   देती  महंगाई,

पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती,
दूर  सिसकती  बैठी  मिलती तरुणाई,

दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन,
आहत करती  मन  को  यादें  दुखदाई,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
            समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra #मिली अकेली तन्हाई#
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