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Mukesh fan karoake singer अजनबी

Song #Music #Hindi #poem #kavita

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Shayra

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Ajita Bansal

#Thinking poem of the day #Poetry

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Prakash Vidyarthi

#Tulips #kavita poem✍🧡🧡💛 #Poet #गीत #Poetry

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Prakash Vidyarthi

Deepa Ruwali

तुम्हारे इंतजार में बैठे रहे।

सावन की ये रिमझिम झड़ियां अनवरत बरसती रहीं,
ये आंखें तुम्हें देखने के लिए न जाने कब तक तरसती रहीं ।
न तुम आए, और न तुम्हारे आने की आस रही,
तुम जान नहीं सकते कि ये तन्हाइयां हमें किस क़दर खटकती रहीं।
  हम पहाड़ी पर उतरे हुए उन बादलों को देखे रहे,
  और साथ–साथ तुम्हारे इंतजार में बैठे रहे।

  
झरने की भांति आंखों से झर–झर पानी झरता रहा,
मिलन का एक ख़्वाब भी मन ही मन में तिरता रहा।
   हम झमाझम बारिश में खेत की मेढ़ में बैठे भीगते रहे,
न जाने क्यों इन मोतियों सी बूंदों को देखकर भी भीतर से कुछ–कुछ खीझते रहे।।
     तुम्हारे आने की आस न होने पर भी हम क्रोध में वहीं पर ऐंठे रहे,
 बदन ठंड से ठिठुरने लगा फिर भी हम यूं ही बैठे रहे।
  न तुम आए और न तुम्हारे आने की आस रही,
  कुछ न रहा हमारे पास, बस तन्हाइयां ही साथ रहीं।
     कैसे बताएं कि हम उस हाल में कैसे रहे,
  ख़ुद को अपनी ही बाहों में पकड़े बैठे रहे।
  हम उस पार पहाड़ी से गिरते सफ़ेद झरने को देखे रहे,
  और साथ–साथ तुम्हारे इंतजार में बैठे रहे।।


नदियों का कोलाहल न जाने क्यों शोर मचाता रहा,
  मेघों की गर्जन सुनते ही ये मन भी तुमसे मिलने के लिए जोर लगाता रहा।
  बैठे–बैठे इंतजार के सिवा और क्या हमारे हाथ में था?
  बारिश, एकांत, नदियों का कोलाहल, मेघों का गर्जन,सब हमारे साथ में था,
       बस एक तू ही था जो हमारे पास में न था।
 न जाने क्यों हम एकांत में भी वहीं पर ऐंठे रहे,
हम पहाड़ी पर से बादलों को ऊपर उड़ते देखे रहे,
और साथ साथ तुम्हारे इंतजार में बैठे रहे।।

©Deepa Ruwali #Life #SAD #treanding #poem #kavita #kavya #motivatation #vichar

Suvichar

Anagha Ukaskar

भविष्य त्याच्या हाती, तो निर्माता बालकांचा 
म्हणूनच त्याला दिला आपण दर्जा पालकांचा 
आठवतो तो दिवस जेव्हा त्याला "आई" म्हटले 
काहीतरी होते ज्यामुळे आम्हाला सुरक्षित वाटले 
घरापेक्षा जास्त वेळ शाळेतच तर असायचो 
कधी कधी तर चक्क त्याच्या मांडीवरही बसायचो!
लाडका-दोडका नाही, सगळी त्याचीच मुले होती 
त्यानेच गिरवायला शिकवली आम्हा पाटी समानतेची 
सण सारे, नवे निराळे, केले नेहमी साजरे 
त्याच्यामुळे सजवले आपल्या संस्कृतीचे नजारे 
मनोभावे आठवू त्याला, नको कशाची सक्ती 
हृदयी माझ्या सदा वसावी त्या गुरूचीच मूर्ती

©Anagha Ukaskar #Teachersday #poem #guru #marathi #kavita #nojotomarathi

Anagha Ukaskar

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