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Monika Vimal

परिधि_परिमाप💌 #ranveerdeepika #Poetry

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Arora PR

वर्तमान क़ी परिधि #कविता

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paritosh@run

सोच की परिधि...

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अपनी सोच की परिधि से मेरी औक़ात नापते हैं...
पागल हैं, ज़मीन पर खड़े-खड़े आसमान नापते है...


_paritosh@run सोच की परिधि...

Rakesh Sir

वृत का परिधि #जानकारी

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Monica Srivastava

तुम्हारे ख्यालों की परिधि #कविता

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Alok Vishwakarma "आर्ष"

श्वेत वस्त्र की परिसीमा में,
गुलमोहर सी दमक रही है
पढ़ते-पढ़ते हँसी अचानक,
लव लोभित तन चमक रही है

चञ्चल है थोड़ी,
चंचलता को समेट मन बाँध रही है
मुस्काती आँखों से,
क्रंदन के सुर परिधि साध रही है #alokstates #परिधि #प्रेमगीत #prolove #yqdidi

LOL

घूम रहा हूँ उस परिधि
केंद्र बिंदु जिसका तुम हो
पुकार लो इक दफा गर तुम
तो त्रिज्या हो जाऊं मैं
तुमसे ही मिल जाऊं मैं..
©KaushalAlmora
     #love 
#परिधि 
#yqquotes 
#lovequotes 
#youandme 
#life

Suman Kumavat

स्त्रियां कहाँ
निकल पाती हैं
चाँद सी गोल
रोटी की
परिधि से बाहर
😟😟

©Suman Kumavat #moonbeauty #रोटी🍪#चाँद#परिधि#स्त्रियां#नोजोटो#NojotoPoems#Nojoto

Madanmohan Thakur (मैत्रेय)

जीवन परिधि #writing sapno ki aawaz ✔️ Aarchi Advani Saini #कविता

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परिधि जीवन के उन्मुक्त भाव का।
सागर सी लहरे भी उठते जाते।
पथिक पथ पर ही-है, होती है बातें।
उन्मत सी फिर है संशय की रातें।
अरी लुभावनी जीवन, तू संग तो आ।
मैं नव संगीत पिरोऊँ, तू प्रेम गीत तो गा।।

माना कि हारे का हरि नाम नियम है।
द्वंद्व का हृदय में तनिक भाव नहीं पालूं।
तू थोड़ा आगे बढ ले, मैं तो गले लगा लूं।
तू जीवन मेरा, तुमको मन मीत बना लूं।
अरी मन भावन जीवन, तू थोड़ा मुसका।
मैं नव संगीत पिरोऊँ, तू प्रेम गीत तो गा।।

है निशा काल अभी, होगी उषा काल की आहट।
जीवन मैं टूटे छंदों का कर लूं थोड़ा सा मंथन।
अंधियारी रात के आँचल में दूर-दूर है निर्जन।
अभिलाषा के कोमल कपोल को करने दे तू सिंचन।
अरी मन भावन जीवन, तू नहीं ऐसे बात बना।
मैं नव संगीत पिरोऊँ, तू प्रेम गीत तो गा।

अंतर मन का भाव यही, है खुद को जानना बाकी।
आएगा नव प्रभात, सूर्य उदित होने को।
फिर क्यों विकल बनूं, नयनों से रोने को।
पथ पर यूं तो नहीं हूं, व्यर्थ के दुविधा ढोने को।
अरी मन भावन जीवन, तू मन के चिन्ता नहीं बढा।
मैं नव संगीत पिरोऊँ, तू प्रेम गीत तो गा।।

जीवन का उन्मुक्त भाव, कहूं तो वृत लिए है फैला।
किंचित सुविधा की खातिर, जो है अधिक विषैला।
मंजिल तक जाना ही तो है, है अभी रात की वेला।
लालच के बांहूपाश से, क्यों करूं मैं मन को मैला?
अरी मन भावन जीवन, तू नहीं व्यर्थ की छवि दिखा।
मैं नव संगीत पिरोऊँ, तू प्रेम गीत तो गा।।

©Madanmohan Thakur (मैत्रेय) जीवन परिधि

#writing  sapno ki aawaz ✔️ Aarchi Advani Saini

KISHAN KORRAM

#परिधि तय करता हूँ...©Reserved byKISHAN KORRAM★ #शायरी

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"हर बार ज़िंदगी के लिए एक परिधि तय करता हूँ

लकीरें वहीं रह जाती हैं, बस मैं ख़िसक जाता हूँ" #परिधि तय करता हूँ...©Reserved by#KISHAN KORRAM★
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