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sanju पहाड़ी
White देखा उसको मैंने जब उसने मेरी आँखों का नम चुरा लिया 🌹🌹🌹🌹🌹🌹 प्यार मोहब्बत की बातों से उसने मेरा हसीन दिल चुरा लिया ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ ©sanju पहाड़ी # देखा जब उसको जब
# देखा जब उसको जब
read moreRakesh frnds4ever
White खुद को हमेशा दूसरों के लिए खो देने वाला मैं, ,,,,,,,,,,,काश,,,,,,,,, किसी दिन कोई मुझको भी,,,,,, खो दे,,,,,, तो कैसा हो जब से जन्मा रो ही रहा हूं ,,,,,,,,,,,,काश,,,,,,,,,, किसी दिन कोई मेरे लिए भी,,,,,,, रो दे,,,,,, तो कैसा हो जनता हूं कि ऐसा हरगिज़ होगा नहीं फिर भी ,,,,,,,,,,,,,,,,काश ,,,,,,,,,,,,,,,, किसी दिन कभी,,,,,,,,, ऐसा भी हो,,,,,,,, तो कैसा हो ©Rakesh frnds4ever #काश_कभी_हो #खुद_को को हमेशा दूसरों के लिए #खो देने वाला मैं, काश, किसी दिन कोई #मुझको भी खो दे तो कैसा हो जब से #जन्मा रो ही रहा हूं क
#काश_कभी_हो #खुद_को को हमेशा दूसरों के लिए #खो देने वाला मैं, काश, किसी दिन कोई #मुझको भी खो दे तो कैसा हो जब से #जन्मा रो ही रहा हूं क
read moreMiMi Flix
"जंगल का खजाना – बुद्धिमान खरगोश, रहस्यमय अजगर और एकता की शक्ति: Inspiring and Epic Journey" - क्या होगा जब एक घने जंगल में एक बुद्धिमान खरग
read moreਸੀਰਿਯਸ jatt
अरे लड़कियों इतना दुख मत दो शरीर को कपड़े पहना कर नंगी घूमो! best Idea💡 बताया है ऐसे तुम कितने पैसे save कर सकती हो! जब नंगी घूम रही होगी तो
read moreANATH SHAYAR
जब कोई सहारा न हो #Motivation #follow love #sedfeel #ViralVideo #Youtubeshorts
read moreMatiullah Ansari
White जब जख्म गहरा हो जाता है तो उसको मरहम लगाने में मजा आता है मरहम लगा लेना तो उसमें इतिहास लिख लेंगे आसान हो जाती है ©Matiullah Ansari #sad_quotes जब जख्म गहरा हो जाए ना तो उसमें इतिहास लिखने में आसानी हो जाती है
#sad_quotes जब जख्म गहरा हो जाए ना तो उसमें इतिहास लिखने में आसानी हो जाती है
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दास - आज शरण में हो जब वंदन , दो बिसरा अपराध ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दा
मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दा
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था। तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।" जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे। फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?" लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ ChatGPT can make ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
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