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aditi the writer
White प्रेम कैसे पढ़ू? प्रेम कैसे पढ़ू मैं, शब्दों की किताब में नहीं मिलता, न कोई अर्थ, न कोई वाक्य, ये तो धड़कनों में बसता है, और सांसों में बहता है। प्रेम कोई पन्ना नहीं, जो उलट दूं और समझ जाऊं, ये तो एक एहसास है, जो बिना कहे सब कुछ कह जाता है। आंखों की भाषा में लिखा, और मुस्कानों में छिपा, ये वो लिपि है, जिसे दिल पढ़ता है, मगर जुबां कह नहीं पाती। हर स्पर्श में, हर आहट में, प्रेम की कोई कहानी होती है, न कोई किताब बताती इसे, न कोई कलम लिख पाती इसे। तो कैसे पढ़ू प्रेम मैं? बस महसूस करूं, दिल की गहराइयों में, जहां शब्द खत्म होते हैं, और एहसास शुरू। प्रेम को पढ़ना नहीं, जीना होता है, हर धड़कन के साथ, हर लम्हा, हर सांस में। ©aditi the writer #Couple आगाज़ Niaz (Harf) @it's_ficklymoonlight
#Couple आगाज़ Niaz (Harf) @it's_ficklymoonlight
read moreDr.Pooja Gaikwad
White तुझ्या असण्याची सवय आता इतकी झाली आहे.. तुला आताच भेटले, हे खरचं पटत नाही.. तुझें दूर असणे कदाचीत जास्त त्रास देते, भेटीची ओढ तुझी, आता मात्र आठवणीं मधेच घेते... तू कमी मात्र तुझे डोळेच फार काही बोलतात, तुझ्यापेक्षा आता, तुझें भासच जास्त छळतात... तुझ्या माझ्या मधले अंतर जरा जास्त आहे, नसूनहीं जवळ तू, मनात मात्र कायम तूच राहे... दिवास माघे दिवस, दिवस सारे सरत गेले, तू माझा, तु माझा महणता महणता मीचं तुझी होत गेले.. तुझ्या प्रत्येक दुःखात, धीर देईल मी तुला फक्त साथ देशील कायम तु, हेचं वचन हवंय मला हेचं वचन हवंय मला... ©Dr.Pooja Gaikwad #love_shayari awi tiwari Niaz (Harf)
#love_shayari awi tiwari Niaz (Harf)
read moreaditi the writer
White दर्पण जो देखा एक दिन सच पता चल गया दर्पण जो देखा एक दिन, सच पता चल गया, चेहरे पर हँसी थी लेकिन, मन का रंग बदल गया। आँखों की चमक तो थी, पर आंसू भी छिपे थे, जो सोचा था सजीव था, वो तो बस सपने थे। चेहरे पर थे नक़ाब कई, हँसी थी अधूरी, आत्मा की पुकार थी, दिल में छिपी मजबूरी। जीवन की इस दौड़ में, खो दिया था ख़ुद को, भीड़ में ढूँढा ख़ुद को, पर कोई ना मिला था वो। सपनों के पीछे भागते, हकीकत भूल बैठे, दर्पण ने दिखा दिया, हम कहाँ से गुजर बैठे। असली ख़ुशी वो नहीं, जो बाहरी रूप में दिखती, ख़ुशी तो वही होती है, जो दिल की गहराई से उठती। अब जाना ये सच्चाई, जो दर्पण ने सिखाई, ख़ुद से प्यार करना है, यही तो है सफ़ाई। चेहरे के पीछे की रौनक, मन से ही आती है, दर्पण जो देखा एक दिन, सच्चाई समझ आती है। ©aditi the writer #दर्पण आगाज़ Niaz (Harf) vineetapanchal shraddha.meera
#दर्पण आगाज़ Niaz (Harf) vineetapanchal shraddha.meera
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