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Mohammad Ibraheem Sultan Mirza

मरकज़ी दफ्तर जमीयत उलमा-ए-हिंद में इमाम मस्जिद-ए-नब्वी शेख़ अब्दुल्लाह बिन अब्दुर्रहमान की हज़रत मौलाना अरशद मदनी साहब से मुलाक़ात, Maulan

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अज्ञात

#राह-ए-ज़िंदगी

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दिल कहता है रुठों को मनाना होगा 
वो न झुकें तो ख़ुद झुक जाना होगा 

दिल के मेहमाँ हैं वो तमाम नखरों के 
उन्हें तो सर आँखों में बिठाना होगा 

तमाम गिले शिकवे भाड़ में डालकर 
ए दुश्मनों तुम्हें भी गले लगाना होगा 

जमाना कहता रहे चाहे बुज़दिल मुझे 
इसी राह मेरे कदमों में जमाना होगा 

इस जमीं ने इक छत तक न दिया मुझे 
अब तो हर दिल मकाँ बनाना होगा 

मैं कब तक उठाकर चलूँ गुरुर अपना 
इक दिन तो सब ख़ाक में जाना होगा 

कोई बैठा है मेरे अन्दर स्वासों के लिये 
बाद मोहलत तो वो भी रवाना होगा 

ए ज़िंदगी क्या बार बार मिल पायेगी तू 
हम गये तो फिर जाने कब आना होगा

©अज्ञात #राह-ए-ज़िंदगी

Anuj Ray

# दर्द ए दिल #

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White दर्द ए दिल, कोई 
शिकवा या शिकायत नहीं, ये निशानी है।

खुशी से जी रहे ,
यादों में जिसकी आज तक, वो जिंदगानी है।

©Anuj Ray # दर्द ए दिल #

रघुराम

रूख ए रौशन

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रूख ए रौशन माशूका हिलाल हो गयी।
कातिल ए नजर उनकी गर्क ए वदन कर गयी।।
लव ए मुस्कान उनकी,दिल निसार हो गया। 
चेहरा माहताब उनका,मोहब्बत परवान हो गया।।
स्वरचित

©रघुराम रूख ए रौशन

unknownफिलहाल

लफ्ज़ ए दिल...

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White बैठी मैं अकेले  मैं अक्सर 
मैने अकेलेपन से दोस्ती की
रात के तारों से दोस्ती की
दिन की सूरज की किरणों दोस्ती की
तन्हाई अक्सर पूछा करती मुझसे  तमन्ना क्या है तेरे 
और मैं कमबख्त जो रोज फिर से तन्हा हो जाती...

©Mahima Bisht लफ्ज़ ए दिल...

A saba

हाल ए dil

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BINOदिनी

दर्द-ए-बयान

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White कुछ बातों को भूलाना ,
कुछ लम्हों को गुजारना,
आसान नहीं होता।
चुभते हुए लफ़्ज़ों के खंजर,
बिन पौधों के जमीन यह बंजर।
सहना आसान नहीं होता।।

©BINOदिनी दर्द-ए-बयान

हिमांशु Kulshreshtha

ए दिल..

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White मन तो बावरा है
अटकता है कभी तो
भटकता है कभी.. 
विरक्त है कभी तो
आसक्त है कभी...
धूप है प्रेम की
तो छाह यादों की कभी!!

डूबता उतरता सा
मचलता, भटकता सा कभी,
कितने रंग समेटे खुद में
हो रहा बदरंग कभी

रे मन..
कैसे पाऊँ थाह तेरी
है तू आस कभी तो
तू है निर्लिप्त कभी

©हिमांशु Kulshreshtha ए दिल..

Deepak "New Fly of Life"

शक्ति ए औरत

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रोते रोते मुस्कुराने का,
हुनर सीख लेते हैं,
ये औरतें हैं जनाब,
सब कुछ सह लेते हैं।
न जाने कहाँ से मिली,
इन्हें ये ताकत है,
जिसे बस रोने में जाया कर देते हैं।
अगर पहचान लें ये,
और समझ लें,
खुद के अपने ज़ज़्बात को,
तो ये काली माँ से कम नहीं होते हैं।
रोते रोते मुस्कुराने का,
हुनर सीख लेते हैं,
ये औरतें हैं जनाब,
सब कुछ सह लेते हैं।

©Deepak "New Fly of Life" शक्ति ए औरत

PRAKASH GOURH ~> Azamgarh <~

तासीर ए जहर

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