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Ashok Topno
गुलाम बनकर जियोगे तो, कूत्ता समझकर लात मारेगी तुम्हे ये दुनिया, 😢 नवाब बनकर जियोगे तो सलाम ठोकेगी ये दुनिया,🙏 दम कपड़ों में नहीं जिगर में रखो.. 💯 ©Ashok Topno #गुलाम बनकर#जियोगे तो... #दम कपड़ों में नहीं #जिगर में होनी चाहिए #hindi_nojoto
#गुलाम बनकरजियोगे तो... #दम कपड़ों में नहीं #जिगर में होनी चाहिए #hindi_nojoto
read moreSandeep Roushan
Sonukuar
चीर कर धरती का सीना पैदा कर अन्न धान। वो फ़टे कपड़ों में लिपटा नाम पड़ा किसान।। किसान इस देश की अर्थव्यवस्था का सबसे मजबूत किला। पर राजनीति
read more#suman singh rajpoot
ख़ुशी खरीदने से ना ढूंढ़ने से मिलती है। मुस्कुराना सीख लीजिये हर जगह मिलती है। जरूरी नहीं की महलों में मिले झोपड़ी में भी मिलती है। ये आसमां का तारा नहीं जो ऊंचाई पर ही मिले, धरा पर भी मिलती है। कौन कहता है ये कीमती लिवासों में मिलती है गरीबों के धूमिल कपड़ों में मुस्कुराते होठों पर भी मिलती है। ©#suman singh rajpoot #Exploration ख़ुशी खरीदने से ना ढूंढ़ने से मिलती है। मुस्कुराना सीख लीजिये हर जगह मिलती है। जरूरी नहीं की महलों में मिले झोपड़ी में भी मिलती
#Exploration ख़ुशी खरीदने से ना ढूंढ़ने से मिलती है। मुस्कुराना सीख लीजिये हर जगह मिलती है। जरूरी नहीं की महलों में मिले झोपड़ी में भी मिलती
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#kuchlafz ख़ुशी खरीदने से ना ढूंढ़ने से मिलती है। मुस्कुराना सीख लीजिये हर जगह मिलती है। जरूरी नहीं की महलों में मिले झोपड़ी में भी मिलती है
read moreNiaz (Harf)
गरीबी फटे हुए कपड़ों में लिपटी ज़िन्दगी की कहानी, हर सांस में बसी है दर्द की निशानी। पेट की आग बुझाने को दिन रात जूझते हैं, ख्वाब तो हैं मगर, टूटे आईनों में सूझते हैं। रोटी के टुकड़ों में बंटा है सारा वजूद, हर ख्वाहिश पर लगता है जैसे कोई सूद। आंखों में आंसू, दिल में हसरतें दबती हैं, हर सुबह उम्मीदें फिर से मरती हैं। नहीं हैं किताबें, ना खेलों की बात, बस मेहनत में बीतता है बचपन का हर रात। वो टूटी हुई झोपड़ी, वो सूना सा चूल्हा, दौलत के आगे सब कुछ यहाँ बेमानी सा लगता है। कभी उम्मीदें होती हैं, कभी दिल तंग होता है, गरीबी में हर इंसान का सपना अधूरा सा रहता है। इस अंधेरी रात में बस एक ख्वाब है रोशनी का, शायद कभी खत्म हो ये दर्द गरीबी का। ©Niaz (Harf) गरीबी फटे हुए कपड़ों में लिपटी ज़िन्दगी की कहानी, हर सांस में बसी है दर्द की निशानी। पेट की आग बुझाने को दिन रात जूझते हैं, ख्वाब तो हैं म
गरीबी फटे हुए कपड़ों में लिपटी ज़िन्दगी की कहानी, हर सांस में बसी है दर्द की निशानी। पेट की आग बुझाने को दिन रात जूझते हैं, ख्वाब तो हैं म
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
तब उसने जवाब दिया कि यह देख रहें हों दीदी सामने एक रेस्टोरेंट में वहां किसी की शादी की सालगिरह बच्चों के जन्मदिन सभी मनाए जाते हैं यहां अक्स
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