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Ek villain
चलो दिन पहले हम ऊपर के फ्लोर वाली पड़ोसन के पास जरूरी मैसेज देने गए जैसा कि उनके दरवाजे की घंटी बजाई ठीक उस वक्त उनकी फूड डिलीवरी आ गई हम 2 मिनट रुके रहे थे कि पहले खाना ले लिया या डिलीवरी ब्वॉय जाए तो हम उन से मैसेज दे कर वापस चले उनसे खाना दिया और चले गए पड़ोसन अब हमारी तरफ मुताबिक हो गई और डिलीवरी ब्वॉय पलटा और हमारी बातचीत में काटते हुए बोला पड़ा मैडम रेटिंग दे दीजिए यह बात उसे दो-तीन बार दोहराई उसे देख याद आया कि पिछली बार टैक्सी से आई थी तब उस ड्राइवर ने रेटिंग की बात की थी आजकल हर सर्विस वर रेटिंग देनी पड़ती है यह सोचकर हमारे खोपड़ी को भी हम तो इतने साल से बिना छुट्टी बिना तनखा अपनी सर्विस दे रहे हैं लेकिन हमें तो रेटिंग नहीं देते शाम को पतिदेव के आते ही हमें चाय नाश्ता दिया और तुरंत सवाल किया कि कैसा है उन्होंने दिल खोलकर तारीफ की हमने बिना तारीफ में फूले सीधा लक्ष्य की बात शुरू की यदि इस पर रेटिंग देनी हो तो कितने स्टार दोगे पिताजी हमारी शक्ल देखने लगे फिर बोले चलो फाइव स्टार दिए अब यह से हर खाने नाश्ते की रेटिंग चाहिए आपसे हम भी अपनी सर्विस की रेटिंग चाहते हैं डार्लिंग तुम तो अपने परिवार के लिए कर रही हो यह सर्विस नहीं तुम्हारा प्यार है इसकी रेटिंग हम कैसे देंगे पतिदेव ने हमें समझाया कि प्रयास किया जो विफल ही नहीं हुआ था क्योंकि स्त्री हट के आगे ना कोई जीत पाया है और ना ही जीतेगा आखिर उन्होंने हथियार डाल दिए और अंत में बोले अब एक शर्त मेरी भी है जिसे की रेटिंग मिलेगी उसे ईमानदारी से स्वीकार करना फिर नाराज मत होना ©Ek villain # रसोई तक पहुंचा रेटिंग का खतरा #fog
# रसोई तक पहुंचा रेटिंग का खतरा #fog #Motivational
read moreASHVAM
#5LinePoetry ("उम्मीद") उम्मीदों की ललकार है , डरना नहीं तुझे है अब। करना है डगर पर हर सफर, मुश्किलों को खत्म ।। पग पग चले कांटे बिछे हैं, फिर भी लगे न कोई सितम।। ऐसे चलो बादलों पर, बिना पंख लिए जमीं पर "कदम" ।। पास पास हो या दूर अगर तू, कर उन्हें तू बेखबर । हो जा परिंदों की तरह मनचाहे रास्ते पर निडर।। चलना है तुझे, बढ़ाना है तुझे, करना है तुझे अब कुछ न कुछ। हाथों को बना ले पंख अगर उड़ना तुझे है बेखबर ।। ©Neeraj "उम्मीद" कविता का शीर्षक है कृपया इसे पूरा पढ़ें और अपने हिसाब से रेटिंग दें धन्यवाद
"उम्मीद" कविता का शीर्षक है कृपया इसे पूरा पढ़ें और अपने हिसाब से रेटिंग दें धन्यवाद #5LinePoetry
read moreParasram Arora
असल मे मरघट और महल का फासला उनके लीए ही है जिनके मन मे महल की आकांशा है मरघट और महल मे कोई फासला नही है फासला हमारी आकांक्षाओं मे है हम महल चाहते हैँ... मरघट हम नही चाहते इसीलिए फासला है. जहा महल खड़े हैँ वहा मरघट बहुत बार बन चुके जहाँ.मरघट बने हैँ वहा बहुतपहले महल बन कर गिर चुके हैँ और सब महल अंततः मरघट बन जाते है और सब मरघटोपर महल खडे हौ जाते हैँ फर्क क्या है? फासला क्या है? ©Parasram Arora फर्क क्या है? फासला क्या है?
फर्क क्या है? फासला क्या है?
read moreMr.Duke
गुलाब, ख़्वाब, दवा, जहर,जाम,क्या~क्या है। मैं आ गया हूं महफ़िल में,बस बता ©Mr.Duck~AK Shayar क्या क्या है????? #ShahRukhKhan
क्या क्या है????? #ShahRukhKhan #शायरी
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