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Mohan Sardarshahari
White काम करना तो वही है जो करते हैं हम शौक से बाकी तो बस चलता है जिम्मेदारियों के खौफ से।। ©Mohan Sardarshahari # शौक और खौफ
# शौक और खौफ
read moreParasram Arora
White अब सुख और सुकून की नींद कहा नसीब होती हैँ आज के इंसान को आदमी दिन भर व्यस्त रहता हैँ रोज़ी रोटी कमाने की ज़ददो ज़हद मे उसे सुकून और सुख की फ़िक्र करने.का वक़्त ही कहा मिलता हैँ? ©Parasram Arora सुख और सुकून
सुख और सुकून
read moreSatish Kumar Meena
White इंसान का चिंतन और मनन वातावरण पर निर्भर करता है वो भी स्वयं के। ©Satish Kumar Meena चिंतन और मनन
चिंतन और मनन
read moreAshok Verma "Hamdard"
White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी, इमारतों में, इंतजाम बहुत है!! गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं, शहरों में, सामान बहुत है!! खुली हवा में, जो चैन मिलता, बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!! न रिश्तों की अब, गर्मी बची है, पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!! दादी-नानी की बातें छूटीं, मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!! सच्ची हंसी, कम दिखती अब, लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!! सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान, पर दिलों में, अरमान बहुत है!! दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को, फिर भी जीने में, थकान बहुत है!! सादगी की जो मिठास थी कभी, अब दिखावे में, ईमान बहुत है!! अकेले होते लोग भीड़ में, फिर भी दिखते, महान बहुत है!! *अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता) ©Ashok Verma "Hamdard" #गांव और शहर
#गांव और शहर
read moreSatish Kumar Meena
White पक्षियों की उड़ान स्वतंत्र हैं और इंसानों को बंदिशों के दायरे में काम करना पड़ता है क्योंकि एक दूसरे की सरहद पार करना बहुत बड़ा गुनाह है। ©Satish Kumar Meena स्वतंत्रता और बंदिश
स्वतंत्रता और बंदिश
read moreseema patidar
White कुछ वक्त और ठहर जाओ तो अच्छा होगा जैसे हर पतझड़ के बाद बाग दुबारा खिल उठता है हवा अपना मुख मोड़कर दुबारा उन्ही पेड़ों से लिपट जाती है हर रोज अंधेरे के बाद सूरज की पहली किरण रोशनी ले आती है तुम भी दुबारा उन्ही लम्हों से गुजर जाओ तो अच्छा होगा खुशियों का समुंद्र भर लाओ सुकून के कुछ पल साथ बिता जाओ कितना खोया कितना पाया खुद बता जाओ चले जाते है सब लोग जिंदगी में साथ छोड़कर तुम उम्र भर साथ निभा पाओ तो अच्छा होगा ©seema patidar कुछ वक्त और ......
कुछ वक्त और ......
read moreParasram Arora
White माना कि हम अपनी भावनाओं और विचारों को कविता या ग़ज़ल की शक्ल मे ज़ाहिर करते है और उससे हमें ख़ुशी का अहसास भी होता है लेकिन उन रचनाओं का औचित्य और उदेश्य तब सही साबित होता है ज़ब वे रचनाएँ ज़माने भर को खुश रखने मे सफल हो जाय ©Parasram Arora औचित्य और उद्देश्य
औचित्य और उद्देश्य
read moreperson
गौतम बुद्ध ने एक बात कही थी इस पृथ्वी और / धरती पर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य हुआ हैं हर इंसान के पीछे इस धरती / पृथ्वी के संतुलन और मकसद छुपा होता हैं इस सृष्टि पृथ्वी धरती 🌎 पर जन्म लेने वाले हर व्यक्ति का कोई ना कोई उद्देश्य और मकसद होता हैं ©person 🙏गौतम बुद्ध ने एक बात कही थी इस पृथ्वी और / धरती पर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य हुआ हैं हर इंसान के पीछे इस धरती / पृथ्वी के संतुलन और मकस
🙏गौतम बुद्ध ने एक बात कही थी इस पृथ्वी और / धरती पर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य हुआ हैं हर इंसान के पीछे इस धरती / पृथ्वी के संतुलन और मकस
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