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Stories related to दाम्पत्य जीवन पर कविता

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वो SabnamKhatoon

जीवन पर कविता #कामुकता

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manoj kumar jha"Manu"

#वेदज्ञान दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाओ

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जाया पत्ये मधुमती वाचं वदतु शांतिवाम।

पत्नी पति के लिए मधुर वाणी का प्रयोग करे तथा दम्पति में शांति, संतोष एवं प्रेम बना रहे।
अथर्व० ३/३०/१ #वेदज्ञान

दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाओ

Parasram Arora

दाम्पत्य और विश्राम #कविता

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दाम्पत्य  और  विश्राम का महत्व
इंसान से ज्यादा एक परिंदा  अच्छे  से  समझता
है
तभी तों  चिड़िया  का एक जोड़ा  तिनका तिनका
चुनकर  किसी पेड़ की सुरक्षित शाख पर
अपना घोंसला बनाता है  और  फिर  आराम से
अपने  दाम्पतय को अपनी आने वाली संभावित
पीड़ी के लिये  विकसित  करता है

©Parasram Arora दाम्पत्य और विश्राम

P S Jha

प्रेम में विवाह करना गर पाप है तो प्रेमहीन दाम्पत्य को क्या कहेंगे ? #प्रेम #दाम्पत्य

Parasram Arora

करवा चौथ... और दाम्पत्य #विचार

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कि पति पत्नी के बींच जो भी कड़वाहट है वह धुल जाए
और  दाम्पतय जीवन मे खुशियाँ  बटोरने का क्रम
निरंतर  विकसित  होता रहे

©Parasram Arora  करवा  चौथ... और दाम्पत्य

Rajveer Salvi

#alone मेरी पहली कविता मेरे जीवन पर...

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Alone  दासता–ए–बेरोजगार

चार बायीं छ: फ़ीट के बन्द कमरे में, बैठ स्कूल लेक्चरार की तैयारी में,
जुटा है एक किशोर|

कुछ बनने की ख्वाहिश लेकर चन्द सालों पहले अपना घर छोड़,
कई मिलों दूर चला आया है,
एक किशोर|

बीते साल रीट में कुछ पॉइंट से रह गया था वो,
 इस अवसाद के साथ एक अनसुलझी,
 ख़ामोश ज़िन्दगी से बहुत कुछ ना कहते हुए भी,
 बहुत कुछ कह रहा है,
एक किशोर|

रोज़ इस फ़िराक से की कही पीछे ना छूट जाऊ मंझिल की राहों से,
इस कम्पा देने वाली सर्दी में भी जल्दी उठ जाता है,
एक किशोर|

रुपयों की अहमियत और मेहनत की
 कमाई से जोड़ें पैसों की क़द्र समझ,
 कई किलोमीटर दूर कोचिंग तक पैदल अपने हौसले भरे पैरों से बढ़ा जा रहा है ,
एक किशोर|

सर्दी आ रही है, मम्मी ने अपने हाथों की गर्म नरमाहट, प्यार और आशीर्वाद से भेजें स्वेटर को पहनकर,
 इस ढलती शाम में भागते वाहनों को चीरते हुए,
अपने कमरे की ओर बढ़ रहा है,
 एक किशोर|

पापा कह रहे थे, बेटा इस बार फसल अच्छी हो जाए तो,
 कुछ पैसे ज्यादा भेजूँगा,
तू एक अच्छा नया स्वेटर ले लेना और पाव भर दूध भी लाकर पी  लेना, 
बीते महीने तू आया था तो बड़ा कमज़ोर दिख रहा था,
पापा के दुलार को बढ़ाने में दिन रात जुटा हुआ है,
एक किशोर |

पर यह क्या था , इस बार तो बारिश बहुत हुई पक्क चुकी फसलें पानी से भर गई चारों ओर खेत में पानी ही पानी था ,
पापा के इस दुःख पर अपनी ज़िंदगी से कई शिकायतों के सवालों,
 के सैलाब से जूझ रहा है,
एक किशोर |

छुटकी बोल रही थी, फ़ोन पे भैया महीनों हो गये आपको देखे,
दीवाली भी  आ रही है,
आओगे ना आप  इस बार ,
ना जाने बदलतीं सरकारें और सत्ता पाकर बेसुध हुए दो-दो शहनशाहो का,
 कब परीक्षा फ़रमान जारी हो जाये इस डर से इस बार दीवाली पर जाने से कुछ नरवश सा हो गया है,
 एक किशोर |

बदलती सरकारों और बदलतें फैसलों महँगाई के चंगुल तथा शिक्षामंत्री जी की,
 चिड़िया उड़ कोवा उड़ खेल में बुरी तरह फंस चुका है, 
आज का हर एक किशोर |

इस उम्मीद से की एक दिन नई सुबह आएगी उसकी जिंदगी में यही सोच रूखी सुखी रोटी खा कर चंद बिस्तर लिपटकर सो रहा है,
एक किशोर |


            लेखक – कैलाश चंद्र सालवी #alone मेरी पहली कविता मेरे जीवन पर...

Parasram Arora

सुखद दाम्पत्य #delusion #विचार

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मधुर  दाम्पत्य ही
बन सकता है  आधार।
एक सुखद पारिवारिक  जीवन
के सृजन के लिए.
उसके  लि अवल  शर्त है
अपने अहं को जला कर  एक दूसरे के
प्रति प्रेम का माधुर्य भर दिया जाये  और 
कोशिश क़ी  जानी चाहिए  कि संतती.को
उपुयुक्त पालन पोषण मिले औरउनमे
सूद्रड विवेकशिल संस्कारो  का रोपण हो
इसके अलावा... स्त्री और पुरुष ..
पती और पत्नी. उस परिवार  मे
प्रतिद्व्न्दयों वाली  हैसियत
.. मिटा कर  एक आदर्श.. निस्वार्थ  और प्रेमिल
टीमवर्क  से उस परिवार कोपर्याप्त वैचारिक
और संवेदनशील. पोषण भी दे सकते हैँ

©Parasram Arora सुखद  दाम्पत्य 

#delusion

"kamal uniyal"

#जीवन (कविता) #poem

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Poem and Motivation with Divyanshu

आपके जीवन पर कविता । धन्यवाद। #foryou #yourpoem #Mypoem #thought

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मंजिल
              -----------

हारा नहीं मैं ना ही जीता हूं,
मैं तो केवल जिंदगी के खेल से अछुता हूं‌,
मंजिल की राहों में कंकड़ों से टकराता हूं,
थक कर भी मैं पीठ ना दिखाता हूं।

रुका नहीं मैं ना ही दौड़ता हूं,
मैं तो केवल अपनों से टुटा हूं,
पथिक बनकर चलता रहता हूं,
भय को मिटाकर निर्भय बन जाता हूं।
            
धन्यवाद।                            दिव्यांशु राय आपके जीवन पर कविता ।
धन्यवाद।
#foryou #yourpoem #mypoem

Arora PR

जीवन है कविता

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