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Pawan Dvivedi
ज़िन्दगी की करवटों मेँ,कुछ सलवटें तेरी यादों की,हर निगाह पूछती है.के,मुख़्तसर से वक़्त में कौन, सब कुछ ले गया हर सुबह समेट लेती हैं,मेरे रात भर के ग़म, हर रात मेरी लिखा करती है, सुबह के नाम ख़त, ये मेरे हर एक ख़त से कौन,एक एक हर्फ़ ले गया वो कहता है,लिखना ही, होता नहीं सब कुछ, एहसास भी तो चाहिए, मैंने पूछा ,बगैर एहसास के, तू वाह - वाह कर गया? अक़्सर देता था जो नसीहतें रिश्ते सम्हालने की,साहेब वही मुझसे रिश्ते तोड़ कर,फातिहा पढ़ गया.. ©Pawan Dvivedi #ArabianNight फातिहा
#ArabianNight फातिहा #Love
read morenishu singh
मैं भी तनहा हूँ और तुम भी तन्हा हो, वक़्त कुछ साथ गुजारा जाए। #Love #सुरु
dhiraj pandey
मुस्कुरने पे सुरु और रुलाने ख़तम हो ,ये वही जुल्म है जिसे लोग मोहब्बत कहते है मुश्कुराने पे सुरु
मुश्कुराने पे सुरु
read moreGumnam Shayar Mahboob
फरेबी होंठ और झूठे वादों से तंग आकर पढ़ लिया हमने भी फातिहा मुहब्बत पर #2liners #फरेबी #होंठ #झूठे_वादे #तंग #फातिहा #gumnam_shayar_mahboob #गुमनाम_शायर_महबूब
आयुष सिंह
अब उनकी बाहों से तो बाहर आगया हूँ कोई हम भी सम्हाल लेना । क्या पता उन फरीब बातो में फिर न फास जाओ उन्हें तो लाज नही पर हम कही बिगड़े अल्फ़ाज़ न बन जाएं... अल्फ़ाज़ का सिलसिला सुरु
अल्फ़ाज़ का सिलसिला सुरु
read moreARVIND SINGH URETY(अज़ीम)
अँधेरे में बैठे हो, यूँ रौसनी की चाह लिए फिर दिया जला कर तेरा वो तूफ़ान बुलाना...! तुझसे सुरु-तुझपे ख़तम।
तुझसे सुरु-तुझपे ख़तम।
read moreARVIND SINGH URETY(अज़ीम)
सिकन रहने दूँ ,तुझमे तेरा सबाब रहने दूँ, खयानत भी रहने दूँ और नकाब रहने दूँ। तुझमे गर सुकून तलासूं तो खो दूँ तुम्हें, तुझे पाना गर चाहूँ,तो बा-जबाब रहने दूँ। तेरी नींद का खलल हूं,मुझे दूर ही रखना, अपने ख्वाबों को फिर से मैं ख्वाब रहने दूँ। कुछ तुम खो दो मुझे,कुछ मैं खो दू तुझे, बचा है कुछ सीने में जो,आजाब रहने दू। मत रोक मुझे,समां जाने दे गर्त में आज, गर यही है सुकूँ तेरा,तो तुझे आजाद रहने दूं।। तुझसे सुरु-तुझपे ख़तम
तुझसे सुरु-तुझपे ख़तम
read moreARVIND SINGH URETY(अज़ीम)
ख़ाक में शिर्फ़ ज़िस्म ही नही मिलता, तेरी दी हुई जख्म-ओ-जाँ भी मिलती है। कोई जल रहा है तेरी लगाई आग में, उसकी चीख तुझे संगीत सी लगती है। बस कर!ठहर जा,अब किसी दहलीज पर तू कि ये यौवन बर्फ सी उम्र-दर-उम्र पिघलती है। मैं न सही,कोई और सही,कहीं,कोई तो सही, तू बहती नदी सी है तो बता,तू कहाँ गिरती है।। तुझसे सुरु-तुझपे खतम
तुझसे सुरु-तुझपे खतम
read moreARVIND SINGH URETY(अज़ीम)
तुझे पाना है तो तुझे बा-जबाब रहने दूँ, तुझमे गर सुकून तलासूं तो खो दूँ तुम्हें। ये और बात है, चाहत अब भी है दोनों में, वो और बात थी चाहत तब भी थी दोनों मे। तुम क्यों समझो कि क्या तालीफ़ है मुझे? तुम मिल रही हो मुझे,यही जबाब है तेरा।। तुमने दफन कर लिए हैं जबाब अपने सीने में मुझे भी अपने सीने में सवाल दफन करने होंगे।। तुझसे सुरु-तुझपर ख़तम
तुझसे सुरु-तुझपर ख़तम
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