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BROKENBOY

#UskeHaath सारी दुनिया से लड़ सकता हूं , बस एक तुझसे ना लड़ पाऊंगा, तेरे साथ की गई लड़ाई में , जीतने से अच्छा मैं हार जाऊंगा, डर लगता है त

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सारी दुनिया से लड़ सकता हूं ,
बस एक तुझसे ना लड़ पाऊंगा,
तेरे साथ की गई लड़ाई में ,
जीतने से अच्छा मैं हार जाऊंगा,
डर लगता है तुझे खोने से,
तेरे दूर होने से,
मेरे लबों पर बैठी कविता तू है,
तुम ही मेरे जख्मों की दवा भी ,
तेरे ही दिल के कोने में मिले मुझे बंदगी ,
भले देता रह सजा ही, 
जिस ख्याल से यह कलम चले
वो किस्सा तूं ही है,
जिसके बिना मेरी कहानी और मैं अधूरा हूं,
वो हिस्सा तू ही है,
दूरियों की मजबूरियों के नीचे हम दोनों की चीखें दबी है,
तुझे खोने से बेहतर है हांरूगा हर जंग में,
यह कहकर मैं गलत और तू सही है,

©BROKENBOY #UskeHaath 

सारी दुनिया से लड़ सकता हूं ,
बस एक तुझसे ना लड़ पाऊंगा,
तेरे साथ की गई लड़ाई में ,
जीतने से अच्छा मैं हार जाऊंगा,
डर लगता है त

shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#sad_qoute इक नजूमी ने देखकर मिरी पेशानी,मिरा जो हाल बता रखा है,यानि मुझपे नागानी आफत आने का वबाल बता रखा है//१ न रही इखलासे उल्फत,न तुझमे

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White इक नजूमी ने देखकर मिरी पेशानी,मिरा जो हाल बता रखा है
यानि मुझपे नागानी आफत आने का वबाल बता रखा है//१

न रही इखलासे उल्फत,न तुझमे कोई खुलुस ए इबादत,
ये कहकर उसने मिरि मुख्लिस बंदगी को दलाल बता रखा है//२

खुदाया तिरी हिक्मत मे,वो खुदाई दावा कर रहा है,जिसने कई मुफलिस
 मजलूम को कर क़त्ल,मासूम बेगुनाहो को दज्जाल बता रखा है//३

इधर दो जून रोटी के जुगाड़ मे फना हो गई गरीबों की उम्र तमाम,
उधर अमीरों ने दो नम्बरी आड़ को एक नम्बर हलाल बता रखा है//४

शमा" हर्गिज़ नहीं करती किसी नजूमी के दावे पे यक़ीन,के
 गैब की बात का इल्म तो रब ने खुद से ही हरहाल बता रखा है//५
#shamawritesbebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #sad_qoute इक नजूमी ने देखकर मिरी पेशानी,मिरा जो हाल बता रखा है,यानि मुझपे नागानी आफत आने का वबाल बता रखा है//१

न रही इखलासे उल्फत,न तुझमे

Mohanbhai आनंद

#good_night अपना कहकर आप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकात में, फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे , हिसाब मांगती है अश्कों का, गोरे गाल पर रोज़

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White अपना कहकर आप,फिर ग़ैर समझते हो
गैराना ताल्लुकात में, फिर क्यु उलझते हौ

बेहाल आखे , हिसाब मांगती है अश्कों का,
गोरे गाल पर रोज़ फिर क्यु फिसलते हो 

खुले आसमान में,चांद से मिलाकर आंखें,
हुस्नकी नज़ाकत,से,फिर क्यूं बिखरते हो

बैताब  इस दिलमे, बहुत तमन्नाएं बसी है,
उम्मीदों का बाजार खुला फिर क्यूं रखते हो

खाक और मीट्टीमे, कुछ भी फर्क कहां है?
फिक्र ज़िंदगीमे बेफिजूल ,फिर क्यूं करते हैं 

आसान कहां है ? फरमाएं इश्क़ मिज़ाज,
हाल ए दिल हक़ीक़त में फिर क्यूं मचलते हो

©Mohanbhai आनंद #good_night 
अपना कहकर आप,फिर ग़ैर समझते हो
गैराना ताल्लुकात में, फिर क्यु उलझते हौ

बेहाल आखे , हिसाब मांगती है अश्कों का,
गोरे गाल पर रोज़
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