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नवनीत ठाकुर
क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह में मोहब्बत बनकर पिघला था। तेरे बिना जो था खाली, वो तेरा ख्वाब बना, वही ख्वाब अब हमारी हकीकत बनकर उभरा था। रात में जो था नवनीत कभी अधूरा, वो तेरे होने से अब रोशनी बनकर उजला था। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह
#नवनीतठाकुर क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह
read moreअनिल कसेर "उजाला"
दिल को मेरे यार की चाहत नहीं मिली, अपनों को अपनों से राहत नहीं मिली। सूख कर पत्ते शज़र से जो गिर गए, डाल से टूटे जो इज्ज़त नहीं मिली। ©अनिल कसेर "उजाला" पत्ते
पत्ते
read moreनवनीत ठाकुर
"जहां से सब छोड़ देते हैं उम्मीदें सारी, हम वहां से नई शुरुआत करते हैं। जिस शाख से पत्ते भी झड़ जाएं सारे, हम वहीं से उड़ान भरते हैं । ©नवनीत ठाकुर "जहां से सब छोड़ देते हैं उम्मीदें सारी, हम वहां से नई शुरुआत करते हैं। जिस शाख से पत्ते भी झड़ जाएं सारे, हम वहीं से उड़ान भरते हैं ।
"जहां से सब छोड़ देते हैं उम्मीदें सारी, हम वहां से नई शुरुआत करते हैं। जिस शाख से पत्ते भी झड़ जाएं सारे, हम वहीं से उड़ान भरते हैं ।
read moreIG @kavi_neetesh
White चांदनी रात शरद पूर्णिमा पुरे शबाब पर है। जीवन तो चल रही है यु ही आजकल लोग हों रहें हैं चांद, तारों से दूर जिंदगी जीए जा रहें हैं जैसे कोई हिसाब पर है। शरद की पुर्णिमा तो बरस रही है। कृष्ण से मिलने को राधा तरस रही है। अब न जाने रास क्यों नहीं हो रहा है। दुःख से तड़प रहा इंसान,मानव भगवान से दूर कहीं खो रहा है। इसलिए इंसान रो रहा है। शरद पूर्णिमा की चांद की खुबसूरती जैसे प्रिया मिलन को सजी है। गहरे आकाश के माथे पर बसी कोई दुल्हन की बिंदी है। मंद मंद हवा बह रही है रात शीतल है। पेड़ पौधों के पत्ते डोल रहें हैं। तारों की बारात लेकर शरद की पुर्णिमा की चंद्रमा सुंदर सजी है। शरद पूर्णिमा में मैं बेगाना कवि प्रियसी की याद में रो रहा हूं। कब वो देंगी दर्शन मुझे बस यही चांद को देख सोच रहा हूं। वादियों में आज अजीब सा नशा है। क्यों की इस चांदनी रात में उसकी याद दिल में बसा है। जनम जनम से उसकी ही तलाश है। इस शरद पूर्णिमा में उस प्रभु से मिलन की आस है। ©IG @kavi_neetesh #sunset_time Hinduism प्रेम कविता हिंदी कविता हिंदी दिवस पर कविता देशभक्ति कविताकविता। शरद पूर्णिमा। चांदनी रात शरद पूर्णिमा पुरे शबाब प
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