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नवनीत ठाकुर
वो जो लम्हे तेरे साथ गुज़ारे कभी, आज भी साये से लिपटे रहे हैं सभी। तेरे इश्क़ का जादू जो दिल पे छा गया, हर धड़कन में बस तेरा ही नाम आ गया। तेरी यादों के दिए आज भी जलते हैं, ख़ामोशियों में तेरे कदमों को सुनते हैं। वो लम्हे, वो बातें, वो खुशबू का सफर, हर पल, हर घड़ी बन गए दिल का असर। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर वो जो लम्हे तेरे साथ गुज़ारे कभी, आज भी साये से लिपटे रहे हैं सभी। तेरे इश्क़ का जादू जो दिल पे छा गया, हर धड़कन में बस तेरा ही नाम आ गया। तेरी यादों के दिए आज भी जलते हैं, ख़ामोशियों में तेरे कदमों को सुनते हैं। वो लम्हे, वो बातें, वो खुशबू का सफर, हर पल, हर घड़ी बन गए दिल का असर।
#नवनीतठाकुर वो जो लम्हे तेरे साथ गुज़ारे कभी, आज भी साये से लिपटे रहे हैं सभी। तेरे इश्क़ का जादू जो दिल पे छा गया, हर धड़कन में बस तेरा ही नाम आ गया। तेरी यादों के दिए आज भी जलते हैं, ख़ामोशियों में तेरे कदमों को सुनते हैं। वो लम्हे, वो बातें, वो खुशबू का सफर, हर पल, हर घड़ी बन गए दिल का असर।
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ज़ुबाँ से कहूँ तो टूट जाती है ख़ामोशी, दिल से कहूँ तो बढ़ जाती है बेहोशी। आँखों में लफ्ज़ हैं, पर वो पढ़ते नहीं, दिल में सवाल है, पर वो सुनते नहीं। हर आह में छुपा है एक दर्द का समंदर, पर उनकी समझ से दूर है ये मुक़द्दर। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर ज़ुबाँ से कहूँ तो टूट जाती है ख़ामोशी, दिल से कहूँ तो बढ़ जाती है बेहोशी। आँखों में लफ्ज़ हैं, पर वो पढ़ते नहीं, दिल में सवाल है, पर वो सुनते नहीं। हर आह में छुपा है एक दर्द का समंदर, पर उनकी समझ से दूर है ये मुक़द्दर।
#नवनीतठाकुर ज़ुबाँ से कहूँ तो टूट जाती है ख़ामोशी, दिल से कहूँ तो बढ़ जाती है बेहोशी। आँखों में लफ्ज़ हैं, पर वो पढ़ते नहीं, दिल में सवाल है, पर वो सुनते नहीं। हर आह में छुपा है एक दर्द का समंदर, पर उनकी समझ से दूर है ये मुक़द्दर।
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आज तो बस देखना है उनके लबों का रंग, हम सवाल रखते हैं, वो जवाब क्या देते हैं। अब हमें देखना है, वो कहां तक निभाते हैं, हम सवाल रखते हैं, वो जवाब क्या लाते हैं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर आज तो बस देखना है उनके लबों का रंग, हम सवाल रखते हैं, वो जवाब क्या देते हैं। अब हमें देखना है, वो कहां तक निभाते हैं, हम सवाल रखते हैं, वो जवाब क्या लाते हैं।
#नवनीतठाकुर आज तो बस देखना है उनके लबों का रंग, हम सवाल रखते हैं, वो जवाब क्या देते हैं। अब हमें देखना है, वो कहां तक निभाते हैं, हम सवाल रखते हैं, वो जवाब क्या लाते हैं।
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हर बात में छुपा वो इशारा अजब सा था, जुमला तो उनका तीर, मगर असर ग़ज़ब सा था। खामोशियाँ भी जैसे फ़ासलों का हिसाब थीं, हँसी में जो छुपाई गई, वो दर्द की किताब थीं। लफ़्ज़ों के परदे में छुपा था जो राज़ उनका, वो कहानी अधूरी थी, मगर बेहिसाब थीं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर हर बात में छुपा वो इशारा अजब सा था, जुमला तो उनका तीर, मगर असर ग़ज़ब सा था। खामोशियाँ भी जैसे फ़ासलों का हिसाब थीं, हँसी में जो छुपाई गई, वो दर्द की किताब थीं। लफ़्ज़ों के परदे में छुपा था जो राज़ उनका, वो कहानी अधूरी थी, मगर बेहिसाब थीं।
#नवनीतठाकुर हर बात में छुपा वो इशारा अजब सा था, जुमला तो उनका तीर, मगर असर ग़ज़ब सा था। खामोशियाँ भी जैसे फ़ासलों का हिसाब थीं, हँसी में जो छुपाई गई, वो दर्द की किताब थीं। लफ़्ज़ों के परदे में छुपा था जो राज़ उनका, वो कहानी अधूरी थी, मगर बेहिसाब थीं।
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उम्मीदों में जिनसे था इश्क़, वही दर्द दे गए, हमने कभी नहीं लिया बदला, फिर भी ग़म दे गए। खामोशी में छुपी थी, एक गहरी साज़िश की ख़ुशबू, जो कभी नहीं कहा, वही राज़ सर्द कर गए। आँखों में जो जज़्बात थे, वो अब सीने से निकल आए, जो कभी नहीं कहा, वही सच्चाई अब उजागर हो जाए। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर उम्मीदों में जिनसे था इश्क़, वही दर्द दे गए, हमने कभी नहीं लिया बदला, फिर भी ग़म दे गए। खामोशी में छुपी थी, एक गहरी साज़िश की ख़ुशबू, जो कभी नहीं कहा, वही राज़ सर्द कर गए। आँखों में जो जज़्बात थे, वो अब सीने से निकल आए,
#नवनीतठाकुर उम्मीदों में जिनसे था इश्क़, वही दर्द दे गए, हमने कभी नहीं लिया बदला, फिर भी ग़म दे गए। खामोशी में छुपी थी, एक गहरी साज़िश की ख़ुशबू, जो कभी नहीं कहा, वही राज़ सर्द कर गए। आँखों में जो जज़्बात थे, वो अब सीने से निकल आए,
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"तेरी बातों पे विश्वास किया, फिर भी दिल टूटा, कितनी तुझसे उम्मीदें थीं, वो सब झूठा निकला।" तुम्हारी बातों पर था यकीन, फिर भी दिल दर्द से भर गया, हर बार तुमसे जो उम्मीदें थीं, इस बार भी ख्वाबों की तरह बिखरा। "तेरी कसमों पे विश्वास किया, फिर भी दिल टूटा, कितनी तुझसे उम्मीदें थीं, वो सब झूठा निकला।" ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर "तेरी बातों पे विश्वास किया, फिर भी दिल टूटा, कितनी तुझसे उम्मीदें थीं, वो सब झूठा निकला।" तुम्हारी बातों पर था यकीन, फिर भी दिल दर्द से भर गया, हर बार तुमसे जो उम्मीदें थीं, इस बार भी ख्वाबों की तरह बिखरा। "तेरी कसमों पे विश्वास किया, फिर भी दिल टूटा, कितनी तुझसे उम्मीदें थीं, वो सब झूठा निकला।"
#नवनीतठाकुर "तेरी बातों पे विश्वास किया, फिर भी दिल टूटा, कितनी तुझसे उम्मीदें थीं, वो सब झूठा निकला।" तुम्हारी बातों पर था यकीन, फिर भी दिल दर्द से भर गया, हर बार तुमसे जो उम्मीदें थीं, इस बार भी ख्वाबों की तरह बिखरा। "तेरी कसमों पे विश्वास किया, फिर भी दिल टूटा, कितनी तुझसे उम्मीदें थीं, वो सब झूठा निकला।"
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दिल में जो राज़ हैं, वो सब कहना चाहते हैं, लेकिन डरते हैं कहीं वो हमारी बातों को बुरा न मान जाएं। उन्हें अपना दर्द बताए बिना जीना मुश्किल है, पर ये डर भी है कि कहीं वो हमारी हालत को समझ न पाएं। सोचते हैं कि बताएं अपने दिल की दुआ, लेकिन क्या पता, कहीं वो हमारी सच्चाई को न देख पाएं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर दिल में जो राज़ हैं, वो सब कहना चाहते हैं, लेकिन डरते हैं कहीं वो हमारी बातों को बुरा न मान जाएं। उन्हें अपना दर्द बताए बिना जीना मुश्किल है, पर ये डर भी है कि कहीं वो हमारी हालत को समझ न पाएं। सोचते हैं कि बताएं अपने दिल की दुआ, लेकिन क्या पता, कहीं वो हमारी सच्चाई को न देख पाएं।
#नवनीतठाकुर दिल में जो राज़ हैं, वो सब कहना चाहते हैं, लेकिन डरते हैं कहीं वो हमारी बातों को बुरा न मान जाएं। उन्हें अपना दर्द बताए बिना जीना मुश्किल है, पर ये डर भी है कि कहीं वो हमारी हालत को समझ न पाएं। सोचते हैं कि बताएं अपने दिल की दुआ, लेकिन क्या पता, कहीं वो हमारी सच्चाई को न देख पाएं।
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इश्क़ की राह में जब दूरियाँ बढ़ जाएं, हर नफ़स में सर्द हवा, क्या ख़ता हो? जब तुम्हारे बिना हर पल गुम सा लगता है, क्या वो अधूरी मोहब्बत ही हमारी सज़ा हो? दिल की गहराई में जब तन्हाई की गूंज हो, क्या वो खामोशी ही अब हमारी आवाज़ हो? तुमसे बिछड़ने के बाद, हर राह वीरान सी लगती है, क्या वो फासला ही हमारी चाहत की सजा हो? ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर इश्क़ की राह में जब दूरियाँ बढ़ जाएं, हर नफ़स में सर्द हवा, क्या ख़ता हो? जब तुम्हारे बिना हर पल गुम सा लगता है, क्या वो अधूरी मोहब्बत ही हमारी सज़ा हो? दिल की गहराई में जब तन्हाई की गूंज हो, क्या वो खामोशी ही अब हमारी आवाज़ हो? तुमसे बिछड़ने के बाद, हर राह वीरान सी लगती है, क्या वो फासला ही हमारी चाहत की सजा हो?
#नवनीतठाकुर इश्क़ की राह में जब दूरियाँ बढ़ जाएं, हर नफ़स में सर्द हवा, क्या ख़ता हो? जब तुम्हारे बिना हर पल गुम सा लगता है, क्या वो अधूरी मोहब्बत ही हमारी सज़ा हो? दिल की गहराई में जब तन्हाई की गूंज हो, क्या वो खामोशी ही अब हमारी आवाज़ हो? तुमसे बिछड़ने के बाद, हर राह वीरान सी लगती है, क्या वो फासला ही हमारी चाहत की सजा हो?
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कभी खो जाने का डर था, फिर भी ढूंढते रहे, जब रौशनी मिली, तो फिर अंधेरों की सजा क्या है। हम नहीं चाहते थे कोई इनाम या शोर, पर जब खुद को समझ लिया, तो फिर ताल्लुुक़ में क्या है। ज़िंदगी के मोड़ों पे, ग़म और खुशी की छाँव मिली, मगर जब हकीकत सामने आई, तो फिर ख्वाबों में क्या है। तोड़ने चले थे हर तारा, अपने आसमान से, मगर जब खुदा मिला, तो फिर इस तलाश में क्या है। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर कभी खो जाने का डर था, फिर भी ढूंढते रहे, जब रौशनी मिली, तो फिर अंधेरों की सजा क्या है। हम नहीं चाहते थे कोई इनाम या शोर, पर जब खुद को समझ लिया, तो फिर ताल्लुुक़ में क्या है। ज़िंदगी के मोड़ों पे, ग़म और खुशी की छाँव मिली,
#नवनीतठाकुर कभी खो जाने का डर था, फिर भी ढूंढते रहे, जब रौशनी मिली, तो फिर अंधेरों की सजा क्या है। हम नहीं चाहते थे कोई इनाम या शोर, पर जब खुद को समझ लिया, तो फिर ताल्लुुक़ में क्या है। ज़िंदगी के मोड़ों पे, ग़म और खुशी की छाँव मिली,
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हर चेहरा नया है, मगर दर्द वही है, दिल के किसी कोने में, दबी आवाज़ वही है। किरदार बदलते गए, पर कहानी वही है, साँसें बदल रहीं हैं, पर धड़कन की राग वही है। हर रास्ता अलग है, फिर भी सफर वही है, जो खुशी थी कभी, आज उसकी कसक वही है। आसमान बदलता है, मगर रंग वही हैं, सितारे टूटते हैं, पर अरमान वही हैं। रिश्ते नए बनते हैं, पर एहसास वही है, हर चेहरे पर मुस्कान, पर दिल उदास वही है। ख्वाब जितने भी बदलें, हकीकत वही है, जिंदगी का ये नाटक, बस परछाईं वही है। दिल की ज़ुबां पर सवालों का शोर वही है, ज़िंदगी के हर मोड़ पर, सन्नाटा घना वही है। वक्त ने हर चीज़ को बदला, पर जख्म पुराने वही हैं, वो बातें जो छूट गईं थीं, अफसाने वही हैं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर रिश्ते नए बनते हैं, पर एहसास वही है, हर चेहरे पर मुस्कान, पर दिल उदास वही है। ख्वाब जितने भी बदलें, हकीकत वही है, जिंदगी का ये नाटक, बस परछाईं वही है।
#नवनीतठाकुर रिश्ते नए बनते हैं, पर एहसास वही है, हर चेहरे पर मुस्कान, पर दिल उदास वही है। ख्वाब जितने भी बदलें, हकीकत वही है, जिंदगी का ये नाटक, बस परछाईं वही है।
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