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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सखा तुम आज , प्रेम हम तुमसे करते ।। आओ खेलो संग , हमारा निर्मल नाता । समझा दूँगा साँझ , चलो घर मैं गौ माता ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सख
कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सख #कविता
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गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्
गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन् #कविता
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White {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवान् श्री कृष्ण जी के समस्त कर्म आसक्ति, अहंकार और कामनादि दोषों से सर्वथा रहित निर्मल और शुद्ध तथा केवल लोगों का कल्याण करने एवं नीति, धर्म, शुद्ध प्रेम और न्याय आदि का जगत् में प्रचार करने के लिये ही होते हैं। ©N S Yadav GoldMine #Lion {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवान् श्री कृष्ण जी के समस्त कर्म आसक्ति, अहंकार और कामनादि दोषों से सर्वथा रहित निर्मल और शुद्ध तथा केवल
#Lion {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवान् श्री कृष्ण जी के समस्त कर्म आसक्ति, अहंकार और कामनादि दोषों से सर्वथा रहित निर्मल और शुद्ध तथा केवल #मोटिवेशनल
read moreDevesh Dixit
शोभा (दोहे) शोभा देती है नहीं, अब तुमको ये बात। दुर्जन वाले काम कर, देते हो आघात।। कटु वचन नहीं बोलिये, हिय में होती पीर। बाणों जैसे ही चुभें, खोते भी फिर धीर।। क्या शोभा देती तुम्हें, जो देते हो तंज। भान नहीं इसका तुम्हें, होता कितना रंज।। मधुर वचन जो बोलते, ये शोभा है मान। ऐसे ही जो तुम रहो, खुश होते भगवान।। गलती पर जो डांँटते, ये उनका है फर्ज। शोभा अपनी है यही, माने उनका कर्ज।। शोभा ये जिससे बढ़े, उसे कहें संस्कार। निश्छल निर्मल मन रहे, सुंदर हो व्यवहार।। ........................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #शोभा #दोहे #nojotohindi #N_writes शोभा (दोहे) शोभा देती है नहीं, अब तुमको ये बात। दुर्जन वाले काम कर, देते हो आघात।। कटु वचन नहीं बोलिय
शोभा दोहे nojotohindi N_writes शोभा (दोहे) शोभा देती है नहीं, अब तुमको ये बात। दुर्जन वाले काम कर, देते हो आघात।। कटु वचन नहीं बोलिय
read moreMoHiTRoCk F44
सच में तुम बहुत सुंदर लगती थी सहज थी तुम तो सुंदर लगती थी सरल थी तुम तो सुंदर लगती थी मुझे तेरी बाह्य सुंदरता से क्या लेना देना निश्चल निर्मल थी तुम तो सुंदर लगती थी मेरे उर को छूती थी कोमल भावनाएं तेरी हॄदय से जीती थी तुम तो सुंदर लगती थी रूप- लावण्य, शैल- श्रृंगार में प्रीति नहीं थी मेरी मेरी वेदनाओं को पीती थी तुम तो सुंदर लगती थी अल्हड़ नदी की कलकल धार सी थी तुम तो सुंदर लगती थी गिरते मेघदूत की गीत मल्हार सी थी तुम तो सुंदर लगती थी अतिशय विशाल हॄदय की स्वामिनी थी तुम तो सुंदर लगती थी निश्चल निष्काम प्रेम की कामिनी थी तुम तो सुंदर लगती थी सहज थी तुम सरल थी तुम मेरे दिल की धड़कन थी तुम मुझसे प्यार करती थी तो सुंदर लगती थी ©MoHiTRoCk F44 #MohitRockF44 #poeatry #hindi_poetry #hindi_shayari poetry on love vineetapanchal Santosh Narwar Aligarh Kshitija Niaz (Harf) Andy Man
#MohitRockF44 #poeatry #hindi_poetry #hindi_shayari poetry on love vineetapanchal Santosh Narwar Aligarh Kshitija Niaz (Harf) Andy Man #Poetry
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